नियम कानून को ताक में रखकर चंदवा अस्पताल के अच्छे भवन को किया गया ध्वस्त , संवेदक की मनमानी चरम पर।
चंदवा संवाददाता मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट
चंदवा। चंदवा भ्रष्टाचार के क्षेत्र में चंदवा आज खबरों के माध्यम से लगता है कि एक नंबर के पायदान पर चल रहा है।
कुछ दिन महीने पूर्व चंदवा क्षेत्र में डीएमएफटी फंड से तालाब पीसीसी सड़क के नाम पर पैसों का खूब बंदरबांट होने का चर्चा रहा।
चंदवा में अब सरकारी राशि का दुरुपयोग कहें या लूट मचाने की बारी का जिम्मा भवन निर्माण विभाग ने लिया है। भवन निर्माण विभाग चंदवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में चहारदीवारी, फेवर ब्लॉक, एमटीसी तथा कोविड-19 का निर्माण करना है। इन कार्यों को अंजाम देने के लिए विभाग के सारे कायदे कानून नियमों को ताक पर रखते हुए पूर्व से अवस्थित अस्पताल भवन को ठेकेदार इंजीनियर तथा अस्पताल प्रभारी डॉ नन्द कुमार पांडेय के मिलीभगत से बिना किसी सरकारी लिखित आदेश के बिना ही उसे भवन को जमींदोज कर दिया गया जो भवन वैश्विक महामारी कोरोना काल में अच्छा उपयोग में आया था। सभी कोरोना मरीज एवं आम लोगों का जांच इसी भवन में होता था, आज यह भवन भ्रष्टाचारियों ने अपने निहित स्वार्थ के पूर्ति चक्कर में अच्छे खासे भवन के अस्तित्व को खत्म कर दिया गया। इस भवन को भ्रष्टाचारियों के द्वारा गिराए जाने पर भी अस्पताल के प्रबंधक तथा प्रभारी के द्वारा भवन गिराए जाने पर किसी तरह का सवाल नहीं किया जाने से ऐसा प्रतीत होता है की इस भ्रष्टाचार के खेल में इनका भी साथ रहा है। टूटे भवन से लाखों का खिड़की दरवाजा तथा छड़ को बिना नीलामी के कबाड़ में भिजवा दिया गया। देखा जाए तो यह भी एक तरह से अपराध ही तो है। कपड़ों की नीलामी होती तो सरकार के खजाने में राजस्व आ जाते।
इन भ्रष्टाचारियों के कार्यों को देख कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इनके कार्यों को दोषपूर्ण बताते हुए चरणबद्ध आंदोलन करने की बात भी कही है।
भवन तोड़े जाने के संबंध में भवन निर्माण विभाग के कनिय अभियंता मोहम्मद निसार अहमद के द्वारा बताया गया कि भवन को हम लोगों ने नहीं तोड़ा है यह हम लोगों की संपत्ति नहीं है यह प्रभारी महोदय के द्वारा करवाया गया है वही जानेंगे वहां पर हम लोगों का चार्ट काम करना है 1. फेवर ब्लॉक 2. बाउंड्री वॉल 3. एमटीसी वार्ड 4. कॉविड वार्ड का कार्य करना है तोड़े गए साइट पर फेवर ब्लॉक लगाना भी नहीं है। इधर ठेकेदार का कहना है कि सीएचसी प्रभारी मौखिक ही मुझे बोले कि हटा दो अब इस बात से प्रभारी मुकर रहे है।
वही जेसीबी संचालक से पूछा गया कि आप किसके आदेश से भवन को तोड़ रहे हैं जेसीबी से तो उनका जवाब है कि आप लोग कौन होते हैं पूछने वाले वही उनके द्वारा भवन को गिराने के बाद जो भी ग्रील गेट था उनको नियम को ताक पर रखते हुए गायब कर दिया गया । जब मीडिया वाले पहुंचे तो उन्हें 1 दो दरवाजा दिखा दिया गया और जनता के द्वारा उस सरकारी संपत्ति को जानबूझकर इन लोगों के द्वारा अपने कर्मों को छिपाने के लिए बचे कुचे संपत्तियों को लुटा दिया गया।
आपको बताते चलें इनके द्वारा बाउंड्री वॉल का भी काम हो रहा है उस में घोर अनियमितता है उसमें भी प्रभारी से पूछने पर उन्होंने बोला मुझे नहीं मालूम।
नाही प्रभारी और ना ही संवेदक और ना ही जेसीबी संचालक अभी तक मीडिया को संतुष्ट जवाब दिए हैं
झारखंड के मुख्यमंत्री से कहना है। कि किसको गुनाहगार समझा जाए।