अगर किसी शख्स की मौत शराब पीने की वजह से हुई है तो उसे इंश्योरेंस क्लेम नहीं मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि शराब पीने से हुई मौत पर इंश्योरेंस क्लेम नहीं मिलेगा. कोर्ट ने कहा कि मामले में बीमा कंपनी का दायित्व पूरी तरह या प्रत्यक्ष तौर पर किसी दुर्घटना से पहुंची चोट के मामले में मुआवजा देने का है. इसलिए उस व्यक्ति की कानूनी उत्तराधिकारी के बीमा दावे को खारिज किया जाता है जिसकी मौत अत्यधिक शराब पीने के बाद दम घुटने के कारण हुई थी.
न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौदर और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को बरकरार रखा जिसने कहा था कि मृत्यु किसी दुर्घटना की वजह से नहीं हुई और बीमा नीति के तहत ऐसे मामले में मुआवजा देने का कोई सांविधिक दायित्व नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने उस व्यक्ति की कानूनी उत्तराधिकारी के बीमा दावे को खारिज कर दिया जिसकी मौत अत्यधिक शराब पीने की वजह से दम घुटने के कारण हुई थी. अदालत ने कहा कि मामले में बीमा कंपनी का दायित्व पूरी तरह या प्रत्यक्ष तौर पर किसी दुर्घटना से पहुंची चोट के मामले में मुआवजा देने का है.
कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को बरकरार रखा जिसने कहा था कि मृत्यु किसी दुर्घटना की वजह से नहीं हुई और बीमा नीति के तहत ऐसे मामले में मुआवजा देने का कोई सांविधिक दायित्व नहीं है.
अदालत ने कहा कि ‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर हमें राष्ट्रीय आयोग के 24 अप्रैल, 2009 के आदेश में हस्तक्षेप का कोई कारण दिखाई नहीं देता.’
क्या है मामला?
अदालत ने यह आदेश हिमाचल प्रदेश राज्य वन निगम में तैनात एक चौकीदार की कानूनी उत्तराधिकारी नर्बदा देवी की याचिका पर दिया. हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में इस चौकीदार की मृत्यु वर्ष 1997 में सात-आठ अक्टूबर की मध्य रात्रि को हो गई थी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण अत्यधिक शराब पीने से दम घुटने को बताया गया था.
अदालत ने कहा कि इस तरह की मृत्यु दुर्घटना से होने वाली मृत्यु की श्रेणी में नहीं आती और संबंधित बीमा नीति के तहत ऐसे मामलों में मुआवजा देने का बीमा कंपनी का दायित्व नहीं बनता.