भारतीय जीवन बीमा निगम देश की आर्थिक रीढ़ है—-धर्म प्रकाश

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गिरिडीह

बीमा कर्मचारी संघ हजारीबाग मंडल गिरिडीह शाखा इकाई के द्वारा बीमा राष्ट्रीयकरण दिवस के अवसर पर एलआईसी गेट पर 500 मास्क वितरण किया गया। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए सचिव धर्म प्रकाश ने कहा कि 19 जनवरी 1956 को 154 भारतीय निजी बीमा कंपनी, 16 विदेशी निजी बीमा कंपनी तथा 75 भविष्य निधि समितियों को अधिग्रहण करने का तत्कालीन केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी किया था। उन तमाम कंपनियों को मिलाकर भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना की गई। एलआईसी अपने स्थापना काल 1 सितंबर 1956 से अभी तक विकास की कई सीढ़ियां पार कर भारत की नंबर वन वित्तीय संस्था बन गई। कर्मचारियों, अधिकारियों, विकास अधिकारियों एवं अभी कर्ताओं के कठिन परिश्रम के बदौलत एलआईसी पॉलिसी धारकों की संख्या के आधार पर विश्व में प्रथम स्थान बना ली है। इतना ही नहीं भारतीय जीवन बीमा निगम ग्राहकों के छोटे-छोटे बच्चों को संग्रह कर देश की आधारभूत संरचना जैसे रेलवे, सड़क, बिजली, पेयजल, सिंचाई आदि के विकास में अपना अहम योगदान देते आ रही है। वर्तमान की केंद्र सरकार ऐसे उत्कृष्ट वित्तीय संस्था का आईपीओ के माध्यम से निजीकरण करने का मन बना ली है। अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ केंद्र सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध कर रही है। चूंकि जो संस्था देश का आर्थिक रीढ़ है वैसे संस्था का निजीकरण करना देश हित में नहीं है।

कार्यक्रम में मंडली अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण गुप्ता ,शाखा अध्यक्ष संजय शर्मा ,उपाध्यक्ष संहिता सरकार एवं डेनियल मरांडी, संयुक्त सचिव अनुराग मुर्मू, विजय कुमार तथा राजेश कुमार उपाध्याय ,संगठन सचिव उमा नाथ झा, सुनील कुमार वर्मा तथा दीपक कुमार पासवान ,कोषाध्यक्ष श्वेता कुमारी, कुमकुम बाला वर्मा, विनय कुमार, रोशन कुमार ,अभय कुमार ,अंजलि श्वेता ,देवनाथ दास, सबा परवीन ,गौरव सिंह, सुकृति कुमारी ,नीरज कुमार सिंह , प्रवीण हंस दा, कुलजीत कुमार रवि, नीतीश कुमार गुप्ता, प्रीतम कुमार, पंकज कुमार, संजय कुमार शर्मा ,श्वेता, माहेश्वरी वर्मा ,अरविंद मुर्मू ,प्रदीप कुमार आदि उपस्थित थे।

गिरिडीह से डिम्पल की रिपोर्ट