पटना : ये हैं पटना मेरी जान,हत्यारा,राजनंदनी और मौत के सौदागर जैसी भोजपुरी फिल्मों से एक निर्माता निर्देशक के तौर पर पहचान बनाने को तैयार ब्रजेश पाठक कभी आईएएस अधिकारी बनने की सोच रखते थे।लेकिन,शायद किस्मत को यह मंजूर था और बन गए लेखक निर्माता निर्देशक।ब्रजेश आरा भोजपुर के रहने वालें हैं।लेकिन,वर्तमान में पटना के निवासी हैं।ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए और स्कूली शिक्षा गाँव में पूर्ण करने के उपरांत उच्च शिक्षा के लिए पटना चले आयें।पिता सी.बी पाठक सरकारी नौकरी किया करते थे।जबकि,दादा जी पूजा पाठ का काम किया करते थे।पर ब्रजेश पाठक को कभी भी उनके दादा की इच्छा थी कि वे मेहनत से कुछ बड़ा करें।ब्रजेश पाठक को फ़िल्में पसंद न थी,पर लिखने का शौक हमेशा से ही रहा हैं।जिसकी शुरुआत पटना आने के बाद हुई।पटना आने के बाद कई लेख इन्होंने लिखें।जिनमें ब्रेन ड्रेन,भारत पाकिस्तान मित्रता,सी.टी वी.टी संधि आदि प्रमुख मुद्दो पर आधारित थी।जो पूर्व प्रधानमन्त्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान इन्होंने लिखी थी।लेखक कार्य में काफी आगे बढ़ने के उपरांत कालिदास रंगालय हेड ऑफ़ दी डिपार्टमेंट स्व.अजित गांगुली से नाटक से सम्बंधित बातचीत के लिए मिलने गए।अजित गांगुली ने कहा इस कहानी पर नाटक सम्भव ही नहीं हैं।उन्होंने ब्रजेश पाठक की कहानी को फ़िल्म के लायक बताई।इसके बाद उन्होंने फ़िल्म लेखन की ओर रुख किया।कई फिल्मों में बतौर लेखन व सहायक निर्देशक भी जुड़े।धीरे-धीरे इनका शौक व्यवसाय बन गया और जो वे नापसंद करते थे।उसी क्षेत्र में इनकी सक्रियता बढ़ती चली गयी।आज इनकी पत्नी और बच्चे समेत पूरा परिवार गौरान्वित महसूस करता हैं।प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद को अपना आदर्श मानते हैं और इच्छा हैं कि बिहार में भी फ़िल्म सिटी बनें।