वैवाहिक विवादों में गुजारा भत्ते को लेकर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. नए दिशा-निर्देशों (Guidelines) के बाद गुजारा भत्ता (computation Of maintenance) तय करने के नियम बदल जाएंगे. अब दोनों पक्षों को कोर्ट में अपनी आमनदनी की पूरी जानकारी देनी होगी, इसके बाद भी गुजारा भत्ता तय किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट (SC) की नई गाइडलाइन के मुताबिक विवाह विवाद के बाद अलग रह रही पत्नी (Wife) अगर अपने बच्चों और परिवार (Children Or Family) की देखभाल के लिए अपनी नौकरी (Job) छोड़ देती है, तो पति को उसे हर महीने गुजारा भत्ता देना होगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद फैमली कोर्ट (Family Court) की राह आसान हो गई है.
दरअसल इस कानून (Law) को लेकर अलग-अलग कोर्ट के जजमेंट में विरोधाभास था.
‘नोटिस के बाद 60 दिन में गुजारा भत्ता देने का नियम
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता देने से संबंधित मुकदमे अदालत में सालों से लंबित हैं. अदालत के नोटिस के बाद गुजारा भत्ता देने के लिए के लिए 60 दिनों का समय तय किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता मामले में ट्रायल कोर्ट्स और हाई कोर्ट्स ने व्यापक कानूनों पर विचार किया और इसके लिए दिशा-निर्देश बनाए.
सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार बच्चों की देखभाल के लिए महिलाओं द्वारा किए गए कैरियर के बलिदान पर विचार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला महिलाओं के अंतरिम मुआवजे को बढ़ाने के लिए दिया गया है, ताकि वह बिना किसी परेशानी के जीवन जी सकें. आमतौर पर अदालतें ऐसे फैसले देने से पहले पति की आय और संपत्ति को ध्यान में रखती हैं, उसके बाद ही पत्नी को देने वाली राशि को निर्धारित किया जाता है.
कोर्ट में देना होगा आय और संपत्ति का पूरा ब्यौरा
कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ते की याचिका दायर करने के साथ ही अब दोनों पक्षों को आय और संपत्ति की जानकारी भी हलफनामे में देनी होगी, उसमें यह भी बताना होगा कि शादी के बाद कितनी चल और अचल संपत्ति अर्जित की गई. बच्चों और ससुराल वालों के लिए महिला द्वारा दिए गए योगदान को भी हलफनामे में बताना होगा.