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चंदवा में अभिजीत ग्रुप और एस्सार पॉवर प्लांट में पीतल, तांबा और कीमती मशीन स्क्रैप के भाव में बिक रहा है।कॉरपोरेट मालामाल, स्थानीय प्रशासन की भी मिली भगत

मुख्यमंत्री जी झारखंड में लूट जारी और कॉरपोरेट मालामाल, स्थानीय प्रशासन की भी मिली भगत

 

*चंदवा में अभिजीत ग्रुप और एस्सार पॉवर प्लांट में पीतल, तांबा और कीमती मशीन स्क्रैप के भाव में बिक रहा है **

चंदवा संवाददाता मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट

 

 

 

 

चंदवा। चंदवा प्रखंड में दो पॉवर प्लांट लग रही थी। स्थानीय लोगो मे काफी उत्साह दिखाई पड़ रहा था। प्लांट आने पर स्थानीय के साथ साथ बाहर के लोगो को रोजगार मिल रहे थे। परंतु केंद्र में सरकार बदलने के बाद अभिजीत ग्रुप और एस्सार पॉवर को कोयले का खदान नही मिला जिससे अर्ध निर्मित दोनों पावर प्लांट के कार्य पूरी तरह बंद हो गई एक प्लांट अरधे गांव में लगे एस्सार पॉवर जो अब पूरी तरह से एक डेड एसेट घोषित हो चुका है। वहीं दूसरी अरिजीत ग्रुप पावर प्लांट को भी डेड घोषित कर दिया गया उसके बाद डी लाइट स्क्रैप कंपनी के द्वारा अभिजीत ग्रुप पावर प्लांट में लगे कई बड़े मशीन को भी स्क्रैप में बेच दिया जा रहा है लगभग अढ़ाई सॉ कंपनी के वर्कर अपने पेमेंट के लिए लगातार आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं परंतु डी लाइट कंपनी के द्वारा कहा जाता है कि हम यह सब नहीं देंगे । डी लाइट कंपनी कुछ स्थानीय पूंजी पतियों को मिलाकर हर दिन करोड़ों रुपए का स्क्रैप बनाकर बड़ी बड़ी कीमती मशीनों का बेचने का काम कर रही है और यह भी कहती है कि सरकार के सभी शासन-प्रशासन हमारे साथ हैं आप लोग को आंदोलन करने से कुछ भी नहीं होगा । इधर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार 3 जनवरी 2020 को यह फैसला दिया गया कि यह प्लांट लिक्विडेशन में जा चुकी है। इस घोषणा के बाद ई ऑक्शन के माध्यम से यह प्लांट लिक्विडेटर के हाथ में चली गई। मार्च 2020 में ई ऑक्शन के माध्यम से सबसे पहले 5000 टन स्क्रैप का उठाव का आदेश हुआ।जो धीरे – धीरे बढ़कर 26500 टन का ऑक्शन हुआ और उसका उठाव भी हुआ।इसके लिक्विडेटर खुजैफा सिताब खान फाखरी ( मुंबई) के हैं। पेटी कॉन्ट्रैक्ट में यह काम लोकल पूंजीपतियों ने इस कार्य को अपने हाथ में लिया। कहने को तो 26500 टन का ई ऑक्शन हुआ है ,लेकिन इससे डेढ़ गुना स्क्रैप का उठाव कर लिया गया है।जिसमें लिक्विडेटर के स्टाफ ,पूंजीपति व प्रशासन की मिलीभगत परिलक्षित होती है।सबसे आश्चर्य बात यह है कि लोहे के दाम में पीतल व तांबा को भी बेच दिया गया।लोहे का मूल्य लगभग 30 रुपया निर्धारित है ,जबकि तांबा और पीतल 600 रुपए प्रतिकिलो निर्धारित है।ऐसे में लगभग 10 करोड़ रुपए की हेराफेरी हुई है।यहां चालान निर्गत होने में भी अनियमितता बरती जाती है।उदाहरण के लिए चालान 10 टन का काटा जाता है ,जबकि ट्रक पर 25 टन से ज्यादा स्क्रैप लदा होता है।जिसे देखने वाला कोई नहीं है।विशेष सूत्रों के अनुसार यहां फर्जी चालान का भी चलन है।

स्करैप निकाले जाने का सही लेखा जोखा लिक्विडेटर के पास नहीं। देखा जाए तो एक सरकारी आदेश के आड़ में करोड़ों रुपए की संपत्ति की लूट होती जा रही है।लिक्विडेटर की आड़ में जो स्क्रैप निकाला गया। वह कंपनी के द्वारा कबाड़ी को ₹26 प्रति किलो के हिसाब से बेचा गया। जिसमे एस्सार कंपनी और लोकल पेटी कांट्रेक्टर ने खूब मुनाफा कमाया।यह काम बड़े पूंजीपति व्यवसायियों ने अपने हाथ में लिया है। इस कार्य में कई बार सुरक्षा प्रहरीयों के साथ मारपीट भी की गई है। कई बार चोर पकड़े भी जाते हैं और तुरंत उन्हें छोड़ भी दिया जाता है ।देखा जाए तो सफेदी के आड़ में यह काला धंधा जबरदस्त फल फूल रहा है।कुछ बेरोजगार नौजवानों को रोजगार देने की आड़ में यह काम करवाया जाता है और उन्हीं नौजवानों से स्क्रैप की कटाई कराई जाती है पकड़े जाने पर उन नौजवानों के नाम से प्राथमिकी भी दर्ज करा दी जाती है।बगैर पुलिस को सूचना दिए प्रतिदिन पंजाब ,मुंबई और राजस्थान नंबर के बड़े ट्रक मे लादकर लेकर चंदवा शहर से पार होते हैं ।बेखौफ होकर पूरी तरह से स्क्रैप का कालाबाजारी किया जा रहा है लिक्विडेटर के नाम के जीएसटी और इऑक्शन चालान के आड़ मे ये कार्य किए जा रहे हैं। पूछे जाने पर बताया जाता है कि सरकार से लेकर प्रशासन तक को हमने मैनेज कर लिया है। हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। बताते चले कि चालान में एस्सार कम्पनी के कर्मचारी राज सिंह और प्रकाश कुमार के द्वारा हस्ताक्षर किया जाता है उसके बाद ही लोहे तांबे पीतल लदा ट्रक बड़े शहरों में जाकर अलग-अलग रकमों में बेच दिए जाते हैं। एस्सार कंपनी तो लगभग 2 साल से एस्क्रैप बेच रही है अब दूसरी अभिजीत ग्रुप नामांक कंपनी को डेट घोषित कर डी लाइट कंपनी बेच रही है जानकार बताते हैं कि डी लाइट कंपनी को 14 नवंबर तक स्क्रैप काटने की कोई सरकारी अनुमति नहीं है परंतु प्रशासन के मिलीभगत से कई बड़े मशीन और कई यंत्रों को भी रात दिन कटिंग कर बेचने का काम कर रही है वही स्थानीय प्रशासन को डी लाइट कंपनी के द्वारा मोटी रकम ही व्यवस्था कर दी गई है जिससे देखा जाता है कि स्थानीय जनता और वर्कर लगातार विरोध कर रहे हैं परंतु स्थानीय प्रशासन इन सब से कभी सुध लेने तक नहीं गई है झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी ऐसे दलालों को झारखंड से भगाने का काम करें जिससे झारखंड की संपत्ति बचाई जा सके। इधर स्थानीय जनता डी लाइट कंपनी से स्थानीय प्रशासन से यह पूछती है कि अगर आपके पास पेपर है तो रात के अंधेरे में गाड़ी क्यों चंदवा से बाहर भेजते हैं।चंदवा में अभिजीत ग्रुप और एस्सार पावर की ओर से 1200 मेगावाट का पावर प्लांट लगाया जाना था. लगभग 40 फीसदी काम हो चुका

था.आइसीआइसीआई बैंक के 3468.29 करोड़ बकाया था। जिसे देने में असमर्थ हो गयी।एस्सार पावर झारखंड लिमिटेड चंदवा के टोरी में 1200 मेगावाट का पावर प्लांट लगा रहा था।कंपनी को चकला और अशोका कोल ब्लॉक आवंटित हुआ था।कंपनी ने 40 फीसदी तक काम पूरा कर लिया था।इसी बीच 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द कर दिया गया।इस दौरान कंपनी लगभग 3500 करोड़ का निवेश कर चुकी थी।आवंटन रद्द होने के बाद कंपनी कर्ज के बोझ में दबती चली गयी। आइसीआइसीआइ बैंक ने कर्ज न चुकाने की स्थिति में एनसीएलटी में याचिका दायर की थी। एनसीएलटी ने पांच अप्रैल को कंपनी के अधिग्रहण का आदेश दे दिया।

इधर जमींदाता बोल रहे है। कि हमलोग कम्पनी को जमीन देकर अपने आपको ठग्गा महसूस कर रहे है। कम्पनी के जमीन देने से पहले इस जमीन पर खेती बारी करते आ रहे थे। परंतु अब उससे भी गए। स्थानीय जनता लगातार आंदोलन कर रही है परंतु प्रशासन की मिलीभगत से मामला दर्ज करने के बाद डी लाइट कंपनी वर्करों को भी धमकी देती है आ रही है वही देखा जा रहा है कि कुछ स्थानीय पूंजीपति को भी मिलाकर इस काम को बड़े सहजदा से अंजाम देने का काम कर रहा है क्षेत्र के सांसद सुनील कुमार सिंह और लातेहार विधायक वैद्यनाथ राम भी इस मामले से दूर ही दिखाई दे रहे है स्थानीय जनता कहती है कि नेता केवल वोट के लिए आते हैं जनता को जब परेशानी होती है तो वह अपना हाथ सीख लेते हैं। मोटी रकम लेकर अपने को नजरअंदाज करते दिखते हैं।

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