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आजादी के 74 वें वर्ष में भी सड़क नहीं बन पाने का अल्पसंख्यकों को मलाल

दुमका प्रियव्रत झा

आज़ादी के 74वे साल में कदम रखने एवं संयुक्त बिहार से अलग राज्य बने झारखंड के 20 वर्षो के बाद भी दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड के बेल्टिकरी के अल्पसंख्यक सड़क नहीं होने का दंश झेल रहे हैं। मुख्य पथ से गांव को जोड़ने के लिए संपर्क पथ की मांग करते करते कई पीढ़ी दफन हो गए। इसके बावजूद रोड नहीं बन पाया। मुसलमानों की मौजूदा पीढ़ी को भी गांव का मेन रोड से कटा रहना सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों की अनदेखी महसूस होता है। पढ़े लिखे मुस्लिम नौजवान भी सरकार की विकास के तमाम दावे की हवा निकालते हुए बेल्टिक्री के लिए बेईमानी बताया। बरसात के दिनों में गांव वाले की दास्तां बयां करते हुए कुछ युवक कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो रास्ते में ही रोगी के दम तो़ड देने की नौबत उत्पन्न हो जाती है। गर्भवती स्त्री की सुरक्षित प्रसव की गारंटी सड़कों के अभाव में परिवार के लोगों के लिए आज भी चुनौती बना हुआ है। ग्रामीणों का मानना है कि एक समय संयुक्त

बिहार पर झारखंडी नेता सौतेला व्यवहार का आरोप लगाते थे। लेकिन यहां के नेता बिहारियों से सवा सेर निकले। 2019 के असेंबली चुनाव में बीजेपी कांग्रेस सहित तमाम दलों के उममीदवारों ने सड़क निर्माण कराए जाने का शपथ लिया था। लेकिन जीते उममीदवार की मंत्री पद प्राप्त कर लिए जाने के बाद भी सड़क की सुधि नहीं ली गई। मौक़े पर जाकिर अंसारी मोहमद इमरान मोहमद आयाश सज्जाद ज़हीर अकरम जुनैद तौफीक सहित दर्जनों ग्रामीण मौजूद थे।

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