पाकिस्तान (Pakistan) की एक अदालत ने मुंबई हमलों (Mumbai Attack) के मास्टरमाइंड व जमात उद दावा के सरगना हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को 10 साल की सजा सुनाई है. पाक अदालत ने यह सजा आतंकवाद से जुड़े दो मामलों में सुनाई है. लाहौर स्थित आतंकवाद रोधी अदालत (ATC) ने गुरुवार को दो अन्य मामलों में हाफिज सईद समेत जमात-उद-दावा (Jamat-ud-Dawa) के चार सदस्यों को सजा सुनाई. संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित हाफिज सईद के सिर पर एक करोड़ डॉलर का इनाम है. आतंकी वित्त पोषण मामले में उसे पिछले साल 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था.
हाफिज सईद के अलावा उसके दो सहयोगी जफर इकबाल और याह्या मुजाहिद को भी 10 साल छह महीने की सजा सुनाई गई है.
जबकि हाफिज के रिश्तेदार अब्दुल रहमान मक्की को छह महीने की जेल की सजा मिली है. इसी साल फरवरी में आतंकियों को पैसा मुहैया कराने के दो मामलों में उसे 11 साल की सजा हो चुकी है. अभी वह लाहौर की हाई सिक्योरिटी कोट लखपत जेल में बंद है. भारत के बार-बार सबूत देने के बावजूद पाकिस्तान हर बार हाफिज सईद पर कार्रवाई करने से बचता रहा है. मगर FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की कोशिश में अब वह आतंकियों पर कार्रवाई करने को मजबूर हुआ है. आतंकियों को शरण देने और उन पर कार्रवाई नहीं करने की वजह से अंतरराष्ट्रीय निकाय FATF ने उसके खिलाफ यह कार्रवाई की हुई है.
हाल ही में हाफिज सईद के रिश्तेदार समेत जमात-उद-दावा के दो अन्य नेताओं को भी पाक की आतंकवाद रोधी अदालत ने दो मामलों में 32 साल की सजा सुनाई थी. पाक की अदालत ने इस आतंकी संगठन के प्रवक्ता याह्या मुजाहिद को 32 साल की सजा सुनाई थी। जबकि प्रोफेसर जफर इकबाल और प्रोफेसर हाफिज अब्दुल रहमान मक्की को 16 और एक साल की सजा सुनाई थी. मक्की हाफिज सईद का रिश्तेदार है.
भारत में मोस्ट वॉन्टेड है हाफिज सईद
भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में 26 नवंबर 2008 को 10 आतंकियों ने हमला कर दिया था, जिसमें 160 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 300 से ज्यादा घायल हुए. आतंकियों ने रेलवे स्टेशन, ताज और ट्राइडेंड होटल समेत कई इलाकों को निशाना बनाया था. इस हमले में कई विदेशी नागरिक भी मारे गए थे. जांच में यह सच सामने आया था कि इस हमले के पीछे हाफिज सईद का हाथ है. भारत ने कई बार पाक को इस संबंध में सबूत भी सौंपे, लेकिन वो हर बार कार्रवाई से बचता रहा. इस हमले के बाद अमेरिका ने हाफिज को ब्लैक लिस्ट कर दिया था.
आखिर कार्रवाई को क्यों मजबूर हुआ पाक
कंगाली की कगार पर पहुंचा पाकिस्तान खुद को किसी भी हालत में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से बाहर निकालना चाहता है. मगर ऐसा करने के लिए उसे आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी पड़ेगी. अगर पाक इस ग्रे लिस्ट में बना रहता है, तो उसकी अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क होना लगभग तय है. ऐसी स्थिति में उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक या यूरोपीय संघ से मदद मिलना भी मुश्किल होगा.
JuD पर कुल 41 केस
JuD पर कुल 41 केस दर्ज हैं. इनमें से 24 पर फैसला आ चुका है जबकि बाकी केस अभी कोर्ट में लंबित हैं. अभी तक सईद के खिलाफ चार मामलों में फैसला आ चुका है.