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Thu. Nov 13th, 2025

शिकारीपाड़ा में पर्यावरण पर्यावरण नियमों व खान सुरक्षा को ताक पर रखकर संचालित है पत्थर खदान व क्रेशर*

राष्ट्रीय उच्च पथ से महज 20 फुट की दूरी पर दलदली मौजा में संचालित क्रेशर में नहीं हो रहा तय नियमों का अनुपालन*

प्रातः आवाज दुमका

शिकारीपाड़ा अंचल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर संचालित पत्थर खदान व क्रेशर में सरकारी नियमों एवं दिशा निर्देशों का पालन नहीं करना अब आम बात हो गई है। चाहे वह पत्थर खदान हो या क्रेशर उद्योग इसमें पर्यावरण संरक्षण व खान सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। यहां तक की संचालित उद्योग से संबंधित सूचना पट्ट भी नहीं लगाया जा रहा है| जिसके कारण क्रेशर का लाइसेंस है या नहीं, वह कितने क्षेत्र में संचालित करना है, उसकी क्षमता क्या है और उसका प्रोपराइटर कौन है इसका कोई अता-पता नहीं चलता है| ऐसा ही एक अनूठा क्रेशर दुमका रामपुरहाट राष्ट्रीय उच्च पथ से महज 20 फुट की दूरी पर दलदली मौजा में संचालित किया जा रहा है| राष्ट्रीय उच्च पथ के इतने करीब क्रेशर के अनुमति किस परिस्थिति में दी गई यह एक विचारणीय व जांच का विषय है। इस क्रेशर के संचालन से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है।

बताते चलें कि दुमका में पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए क्षेत्रीय पर्यावरण पदाधिकारी का कार्यालय भी संचालित है, लेकिन समाचार प्रकाशित होने के बाद भी विभाग द्वारा कारवाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ लीपापोती का काम किया जा रहा है| पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए संचालित पत्थर खदानों एवं क्रेशर के विरुद्ध कोई कार्रवाई सरजमीं पर दिखाई नहीं दे रही|

इस संबंध में अंचल अधिकारी शिकारीपाड़ा कपिल देव ठाकुर से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है| अगर गलत ढंग से क्रेशर का संचालन किया जा रहा है तो जांच कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जबकि जिला खनन पदाधिकारी आनंद कुमार से संपर्क स्थापित नहीं हो सका।

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