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122 लोगों की मौत के बाद अब खुलेंगे सत्संग वाले बाबा के ‘राज़’, फरार है बाबा, यौन उत्पीड़न के 5 केस, दुष्कर्म में हो चुकी है जेल

उत्तर प्रदेश

हाथरस में बीते दिन मौत का तगड़ा तांडव हुआ। एक बाबा का सत्संग सुनने पहुंचे लोग भगदड़ का शिकार हो गए। इस हादसे में 122 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है तो 100 से अधिक लोग घायल हैं। हैरानी की बात ये है कि हादसे के बाद से बाबा फरार है। खुद को भोले बाबा कहने वाले इस शख्स पर रेप का भी आरोप लग चुका है। दुष्कर्म के चलते बाबा ने जेल की सजा भी काटी है।

सत्संग में बाबा के बगल एक औरत को भी देखा जाता है, जिसे वो अपनी तथाकथित पत्नी बताता है। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वो महिला बाबा की रिश्तेदार है। बाबा का असली नाम सूरज पाल है। वहीं बाबा पर अलग-अलग शहरों में 6 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें 5 मुकदमे यौन उत्पीड़न के शामिल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार इटावा, कासगंज, फर्रुखाबाद, दौसा और आगरा में बाबा के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले चल रहे हैं। रेप केस के कारण बाबा जेल की सजा भी काट चुका है।

नारायण हरि उर्फ सूरज पाल उत्तर प्रदेश के कासगंज का रहने वाला है। वैसे तो बाबा और उसके सेवादारों ने हमेशा मीडिया से दूरी बनाकर रखी है। मगर बाबा ने अपने अनुयायियों को बताया है कि वो उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा था और उसने नौकरी छोड़कर प्रवचन का मार्ग चुना है। हालांकि यूपी पुलिस को शक है कि नारायण हरि को सस्पेंड किया गया है।

नारायण हरि के बड़े भाई राम प्रसाद की मौत हो चुकी है और उसका छोटा भाई राकेश पेशे से किसान है। बाबा के अनुयायियों का कहना है कि 18 साल तक यूपी पुलिस की नौकरी के दौरान नारायण हरि खुफिया विभाग में भी सेवा दे चुका है। बाबा ने बताया कि 1999 में उसने अपनी मर्जी से रिटायरमेंट ले ली और उसने अपना नाम सूरज पाल से बदलकर नारायण साकार हरि रख लिया। तभी से बाबा ने सत्संग करना शुरू किया। बाबा में आस्था रखने वालों की संख्या लाखों में है। खासकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा के लोगों में बाबा को लेकर गहरी आस्था है।

हाथरस हादसे के बाद स्वयंभू भोले बाबा के मैनपुरी स्थित आश्रम के बाहर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। ये आश्रम बिछवां कस्बे में है, जिसके बाहर कई थानों की पुलिस मौजूद है। आश्रम के अंदर किसी को भी दाखिल होने की इजाजत नहीं है। क्या बाबा इसी आश्रम के अंदर मौजूद है? इस सवाल पर पुलिस ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।

हाथरस को भोले बाबा की सत्संग के बाद मची भगदड़ में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। FIR के मुताबिक, भगदड़ तब मची जब दोपहर दो बजे भोले बाबा अपनी गाड़ी से वहां से निकल रहे थे। जहां-जहां से गाड़ी गुजर रही थी, वहां-वहां से उनके अनुयायी धूल-मिट्टी उठाने लगे। देखते ही देखते लाखों की बेकाबू भीड़ नीचे बैठे या झुके भक्तों को कुचलने लगी और चीख-पुकार मच गई। FIR में कहा गया है कि दूसरी तरफ लगभग तीन फीट गहरे खेतों में भरे पानी और कीचड़ में भागती भीड़ को आयोजन समिति और सेवादारों ने लाठी-डंडों से रोक दिया, जिसके कारण भीड़ बढ़ती गई और महिलाएं-बच्चे कुचलते गए।

मामले में सिंकदराराउ पुलिस थाने में बाबा के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। FIR में भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर-इरादतन हत्या), 110 (गैर-इरादतन हत्या की कोशिश), 126(2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (सरकारी आदेश की अवज्ञा), 238 (सबूतों को छिपाना) के तहत आरोप लगाए गए हैं। भारत में धार्मिक कार्यक्रमों में भगदड़ का लंबा इतिहास रहा है। जनवरी 2022 में ही वैष्णो देवी मंदिर में मची भगदड़ में दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। इससे पहले जुलाई 2015 में आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में गोदावरी नदी के तट पर भगदड़ मचने के बाद 27 लोगों की मौत हो गई थी। यहां पर लोग गोदावरी महा पुष्करम नाम का त्योहार मनाने के लिए जुटे थे। मान्यता थी कि गोदावरी में नहाने पर सारे पाप धूल जाते हैं। इस कारण नदी में नहाने को लेकर भगदड़ मची और लोग मारे गए।

हाथरस हादसे के बाद से प्रशासन की ओर से सबसे पहले इस हादसे के लिए जांच टीम बनाई गई। हाथरस भगदड़ स्थल की जांच के लिए फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई है। पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा कि मुख्य सचिव ने शासन के निर्देश को अवगत कराया है। मामले में एफआईआर करवाई जा रही है। सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। मामले की मंडलायुक्त और एडीजी जोन के द्वारा जांच कराई जा रही है। 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट दी जाएगी। वहीं सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। वहीं सीएम योगी ने इस पूरी घटना की जांच की रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर मांगी थी।

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