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Wed. Mar 19th, 2025

कई वर्ष बीत जाने के बाद भी चालू नहीं हो पाया 15 लाख लागत से बना मिट्टी जांच केन्द्र।

 

कई वर्ष बीत जाने के बाद भी चालू नहीं हो पाया 15 लाख लागत से बना मिट्टी जांच केन्द्र।

 

 

 

मोहम्मद शहजाद आलम।

महुआडांड़ प्रखंड के किसानों की आय दोगुनी हो सके और किसान खुशहाल जिंदगी जी सके इसके लिए सरकार के द्वारा रामपूर स्थित कृषि फार्म मे 15 लाख रुपए की लागत से भवन बनाकर 2012-13 मे मिट्टी जांच केंद्र की स्थापना कराई गयी थी। ताकि किसान खेतो की मिट्टी की जांच कराकर उन्नत फसल लगा सके एवं कम लागत में कृषक अच्छी फसल हासिल कर सके,पर प्रखंड में केंद्र तो बना दिया गया लेकिन जांच करने वाले कर्मी के नहीं रहने के कारण यह आज तक चालू नहीं हो सका, इसलिए इसका लाभ भी प्रखंड किसानों को नहीं मिल पाया। वही मिट्टी जांच केंद्र पर रखे उपकरण धूल फांक रहा है, एवं बेकार पड़े बर्बाद हो गया है, मिट्टी जांच केंद्र भवन भी खंडहर मे तब्दील हो रहा है।

*इसलिए जरूरी है मिट्टी परीक्षण*

 

प्रखंड कृषि तकनिकी प्रबंधक राहुल सिंह के मुताबिक किसी भी पौधे की पूर्ण वृद्धि के लिए 16 पोषण तत्व आवश्यक होते हैं। इन 16 तत्वों में एक की भी कमी होने पर पौधे पर दुष्प्रभाव देखने को मिलते है। मिट्टी में किसी विशेष पोषक तत्व की अधिकता या कमी हो सकती है, जो फसल की वृद्धि व पैदावार पर प्रभाव डालती है। इसलिये मिट्टी का परीक्षण सबसे महत्वपूर्ण और पहला कदम है। मिट्टी परीक्षण के अभाव में कभी-कभी किसान उसी पोषक तत्वधारी उर्वरक का लगातार उपयोग करते हैं, जो पहले से ही मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। पोषक तत्व की अधिकता से भी फसल की उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए वर्तमान परिस्थितियों में फसलोंं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए जरूरी है कि खेत की मिट्टी का परीक्षण कराया जाए और परिणामों के आधार पर उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा का संतुलित रूप में उपयोग किया जाए। जिससे खेतो में लोग बिना जांच के सिर्फ खाद ही न डाले,बल्कि उचित मात्रा में उचित खाद का प्रयोग करे।

*क्या बोलते है किसान*

प्रखंड के किसान सहादुर उरांव ने कहा कि मैं पिछले कई दो दशक से खेती कर रहा हूं, खरीफ या रबी, हर सीजन की फसल लगाता हूं, लेकिन अभी तक मुझे में प्रखंड मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला होने की जानकारी नहीं मिली और न ही किसी ने इसके बारे में बताया गया है।

महुआडांड़ पंचायत के किसान जोगिन्दर बखला, जोसेफ टोप्पो, केशवर प्रसाद, गढ़बूढ़नी के ऐलियस टोप्पो, लुरगुमी, नसीमुद्दीन अंसारी, कापू, मनोज यादव, दुरूप के संदीप खलखो, परहाटोली के सगीर अंसारी, समेत अन्य ने कहा यदि मिट्टी परीक्षण की जानकारी होती तो मिट्टी जांच कराकर खेतो के अनुसार ही खाद डालते परन्तु अभी हम अपने खेतों में खाद एक दूसरे किसान की देखा देखी डाल देते हैं, वही हर साल फसल का उत्पादन बढऩे की बजाय घट रहा है।

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