Sun. Nov 10th, 2024

कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर एवम कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की का बयान राजनीतिक और दिग्भ्रमित करने वाला : दीपक प्रकाश

कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर एवम कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की का बयान राजनीतिक और दिग्भ्रमित करने वाला : दीपक प्रकाश

 

कहा, अगर वाकई जनभावनाओं का ख्याल तो तत्काल सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा करे कांग्रेस

 

रांची। कांग्रेस हो या झामुमो हो, दोनों ने सदैव अपनी सहूलियत की राजनीति की है। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की का एसटी-एससी के प्रोन्नति मामले को लेकर बयान हो या फिर प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर का दूसरे प्रदेश से 10वीं और 12वीं पास करने वाले खतियानी को नौकरी देने का बयान, यह इससे इतर नहीं है। इस सवाल पर जेएमएम और कांग्रेस का अलग-अलग राग जनता को केवल दिग्भ्रमित करने वाला है। कांग्रेस नेताओं का बयान महज राजनीतिक है। कांग्रेस और जेएमएम आदिवासियों और मूलवासियों से प्रेम का झूठा राग अलापती रहती है।

प्रोन्नति मिले, इसकी सारी अड़चने तत्काल दूर हो, भारतीय जनता पार्टी इसकी सख्त पक्षधर है परंतु सरकार में रहकर भी कांग्रेस के मुंह से इस प्रकार का ढकोसला शोभा नहीं देता।

कांग्रेस केवल झूठा बयानबाजी कर आदिवासियों की हितैषी होने का ढोंग रचती है। परंतु जब आदिवासियों को वास्तव में न्याय और मरहम की जरूरत होती है तब यही कांग्रेस सरकार के पक्ष में मजबूती से खड़ी नजर आती है। कांग्रेस नेताओं का उपरोक्त बयान “हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और” वाली कहावत चरितार्थ कर रही है। आदिवासी बेटी रूपा तिर्की मामले में यही बंधु तिर्की साहब, दिवंगत रूपा के परिजनों को सीबीआई जांच की जिद छोड़ने के लिए मुख्यमंत्री का दूत बनकर पेट्रोल पंप से लेकर सरकारी नौकरी देने तक का प्रलोभन देने पहुंच जाते हैं। यह किसी से छुपा है क्या ? उस वक्त कांग्रेस का आदिवासी प्रेम कहां चला जाता है ? गुमला के विशुनपुर के गुरदरी में दो नाबालिग बहनों के साथ गैंगरेप की घटना हो या फिर दुमका में एक आदिवासी महिला के साथ 17 लोगों के द्वारा गैंगरेप का मामला, तब पूरी कांग्रेस मौनी बाबा क्यों बन जाती है ?

बंधु तिर्की के बयान से कई प्रश्न उठते हैं। कांग्रेस द्वारा भले ही अधिकारियों को निशाना बनाया गया हो परंतु सवाल सीधे तौर पर सरकार की मंशा और इच्छाशक्ति पर है। क्या किसी राज्य में मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद भी अधिकारियों की इतनी हिम्मत है कि वह रोड़ा अटका सकते हैं अगर ऐसा है तो कहने को कुछ नहीं बचता। यह स्पष्ट है कि लालफीताशाही चरम पर है और सरकार का अधिकारियों पर कोई भी नियंत्रण नहीं है। या फिर झारखंड सरकार के दो चेहरे हैं। दिखावे के लिए मुख्यमंत्री प्रोन्नति की अड़चनों को दूर करने का कुछ और आदेश देते हैं और अनुपालन के लिए अधिकारियों को बाद में मौखिक कुछ और आदेश। अब दोनों में सच क्या है, यह या तो सरकार बता सकती है या फिर जेएमएम के दिव्य ज्ञानी नेतागण। जेएमएम को अवतरित होकर सारी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। कांग्रेस और जेएमएम को उपरोक्त तमाम मामले में सामूहिक रूप से पत्रकार वार्ता कर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। हमारा मानना है कि कांग्रेस अगर वास्तव में जनता की, आदिवासियों की हितेषी है और इन्हें जनभावनाओं का इतना ही ख्याल है तो इन्हें बयान बाजी छोड़कर तत्काल सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा करनी चाहिए।

Related Post