हम कुर्मी नहीं कुड़मि हमारी मातृभाषा कुड़मालि और धर्म सारना है- डॉ बी एन हस्तुआर
कुड़मि आज भी हिंदू और मुस्लिम उत्तराधिकार अधिनियम से बाहर – संजीव महतो
गोड्डा
आज कुड़मि समाज का कार्यशाला पंचायत भवन परसपानी जिला गोड्डा में आगामी “जनगणना 2021 और कुड़मि जनजाति” विषय पर दुमका व गोड्डा जिला का संयुक्त एक दिवसीय बुद्धिजीवी कार्यशाला का आयोजन किया गया है। आयोजन की अध्यक्षता मा. अर्जून महतो ने किया।
बतौर मुख्य अतिथि *डॉ बी एन महतो*, शोध निर्देशक बिनोद बिहारी महतो युनिवर्सिटी, धनबाद ने कहा कि सभी कुरमी महतो कुड़मि हैं साज़िश के तहत ” ड़ ” को गायब कर ” र ” का स्थापित किया गया है और आज भी कौशिश किया जा रहा है जबकि कुड़मि और कुर्मी एतिहासिक, सामाजिक और वैज्ञानिक हर तरह से दो अलग अलग जीन , आचार-व्यवहार के हैं । कुड़मि आदिवासी हैं वहीं कुर्मी गैर आदिवासी यह साफ और स्पष्ट है। कार्यक्रम के मुख्य संयोजक व बतौर संचालनकर्ता के रूप में उपस्थित हुए अखिल भारतीय आदिबासी कुड़मि महासभा के संस्थापक सदस्य *मा. संजीव कुमार महतो बानुआर* (गोड्डा) ने कहा कि कुड़मि को आज भी सरकार गैरसरकारी आदिवासी लिखती मानती है आज भी भारतीय कानून कुड़मि के परंपरागत स्वशासन को कानूनी स्वीकृति दे रही है। कुड़मि जनजाति को सरकारी साजिश या भुल के कारण आजाद भारत में अनुसूचित नहीं किया गया। इसका सबसे बड़ा वजह कुड़मि के ड़ को र से ढंककर मिलाकर कुड़मि के जनजातीय परिचय पर ठेस पहुंची है। अब समाज की जिम्मेदारी है कि पिछले भुल को सुधार कर जनगणना में सही सही विवरण दर्ज करायें। वहीं विशिष्ट अतिथि *मा. दिपक पुनरिआर* (इतिहास शोधकर्ता व चारिबिद) ने कहा कि कुड़मि का इतिहास भुगोल सब के साथ छेड़छाड़ किया गया है। राड़खंड से झारखंड तक में किसी का पहचान और इतिहास भुगोल, संस्कृति , भाषा का अतिक्रमण जितना होना था हो चुका अब कुड़मि आर का मतलब ड़ है र नहीं ये समझता है। *मा. महादेब डुंगरिआर* (इतिहास शोधकर्ता व भाखिबिद बोकारो) ने कहा कि कुड़मि झारखण्ड समेत पूरे छोटा नागपुर पठार यानि राड़खंड मानो या चुहाड़खंड इसका जन्मजात आदिवासकिता है। कुड़मि के पास अपने पूर्वज का बनाया भाषा , संस्कृति व जन्म जीवन मरन शादि विवाह श्राद्ध से लेकर वो सारे मानव जीवनोपयोगी सारी चीजें थीं जो आज भी है। हमलोग की ये जिम्मेदारी है कि पूर्वजों ने जो हमें दिया उसे संरक्षित और संवर्धित कर आगामी पीढ़ियों को और अन्य समाज को देना होगा। *डॉ. निरिसबानुआर* (भाखिचारि सचेतक धनबाद), ने कहा कि कुड़मि समाज के एक एक सदस्य की ये जिम्मेदारी है कि पिछले भुल को सुधारते हुए शतप्रतिशत समाज के लोग जागरूक रहकर जनगणना 2021 में जाति कुड़मि भाषा कुड़मालि धर्म सारना दर्ज करायें और करवायें। के साथ स्थानीय प्रमुख लोगों में से कुड़मि समाज के इतिहास, भाषा, संस्कृति , सभ्यता , नेग, विधी आदि के जानकार द्वारा व्याख्यान प्रस्तूत किया गया। कार्यशाला के संरक्षकों में से मा. देवेन्द्र महतो पूर्व जिला परिषद सदस्य व मुखियाओं में मा. मदन महतो,मा. प्रुफुल्ल महतो, मा. अशोक महतो उपस्थित हुए। आयोजन के संयोजकों में से मा. धनंजय महतो, मा. अवनीकांत महतो, मा. के पी महतो, मा. आशुतोष महतो, मा. जयकिशोर महतो, डॉ हरेंद्र महतो, मा. श्यामलाल महतो, मा. श्रवण महतो, मा. चंद्रशेखर महतो, मा. देवेन्द्र प्र महतो, मा. कार्तिक महतो, मा. हरिहर महतो, मा. मालेश्वर महतो, मा. डोमन महतो आदि उपस्थित हुए। यह कुड़मि समाज का कार्यशाला *अखिल भारतीय आदिबासि कुड़मि महासभा (ऐकता)* के मार्गदर्शन में *भाखि-चारि आखड़ा (KBCA) गोड्डा व दुमका जिला चेंघी* द्वारा आयोजित किया गया। कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रमुख लोगों में महादेव महतो, भरत महतो, मांगन महतो, बिनोद महतो, डॉ शिव प्रसाद महतो, चक्रधर महतो, बजरंग महतो, विवेक महतो, अजय महतो, उमेश महतो , बुद्धिनाथ महतो, राजेश महतो, सुभाष महतो समेत कुड़मि समाज के सैकड़ों सदस्य ने भाग लिया।
गोड्डा से कौशल कुमार की रिपोर्ट