देश के सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने के संकल्प पत्र से आगे कुछ नहीं है केंद्रीय बजट में-धर्म प्रकाश

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देश के सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने के संकल्प पत्र से आगे कुछ नहीं है केंद्रीय बजट में-धर्म प्रकाश

हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, रोडवेज बिकेगें, बिजली पहुंचाने वाली वितरण लाइन बिकेंगी, गैस ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (गेल), इंडियन ऑयल की पाइप लाइन, सरकारी भंडारण के वेअर हाउस तो बिकेंगे ही बल्कि आत्मनिर्भर आर्थिक विकास की रीढ़ बैंक और एलआईसी के शेयर बेच अपने पूंजी यारों को तोहफे देने का संकल्प से आगे कुछ नहीं।

न किसान की सुध न मजदूरों का संज्ञान। आमजन की पीड़ा से सरोकार तो इनका कभी रहा ही नहीं। पीएफ पर ब्याज दर तो पहले ही घटा दी थी अब ब्याज पर भी टैक्स लगाकर दोहरी मार कर दी। यह बजट आम जनता की संगठित लूट का दस्तावेज है। जिसकी जितनी निंदा की जाए, कम है।

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज केंद्रीय बजट 2021 पेश किया। उन्होंने अपने बजट भाषण में बीमा उद्योग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं जिसमें सरकार एफडीआई को बढ़ाने के लिए बीमा अधिनियम 1938 में संशोधन करेगी और बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश 49% से 74% तक करने और बीमा में विदेशी स्वामित्व की अनुमति देंगी। उसने सार्वजनिक क्षेत्र की दो बैंकों के साथ एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की अपनी योजना की भी घोषणा की। इसके अलावा इस वित्तीय वर्ष में एलआईसी का आई.पी.ओ. भी लायेगी। देश के बीमा कर्मचारियों के संगठन अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ (AIIEA) ने केंद्रीय बजट में प्रस्तुत इन प्रस्तावों का कड़ा विरोध किया। बीमा उद्योग में एफडीआई बढ़ोतरी का कोई औचित्य नहीं है।

निजी बीमा उद्योग में कुल निवेश में अभी तक अनुमतियोग्य एफडीआई की तुलना में बहुत कम है। इसके बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है। बीमा उद्योग का विकास विदेशी पूंजी के सहारे नहीं हुआ बल्कि घरेलू बचतों के संकलन और उनके निवेश से होता रहा है। बीमा में एफडीआई बढ़ोतरी से देश की आत्मनिर्भर को नहीं बल्कि विदेशी पूंजी लाभ में मदद मिलेगी।

हमारी कीमती घरेलू बचतों पर अब विदेशी पूंजी का और अधिक नियंत्रण होगा। यह महत्वपूर्ण है कि हमारी जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था में राज्य घरेलू बचतों पर अधिक नियंत्रण रखता है परंतु दुर्भाग्य से मोदी सरकार का

विदेशी पूंजी का घरेलू बचत पर अधिक नियंत्रण देना निश्चित रूप से राष्ट्र को नुकसान पहुंचाएगा।

एआईआईईए की राय है कि किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के सामान्य बीमा का निजीकरण कंपनी राष्ट्र के हित में नहीं है। तीव्र प्रतिस्पर्धा के बावजूद, सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने बाजार पर प्रभुत्व को बनाए रखा है।

अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों ने इस अवधि में प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई। भविष्य में विनिवेश के लिए इन कंपनियों को मजबूर होना किया जाना कतई देशहित में नहीं है। किसी भी पीएसजीआई कंपनी का निजीकरण करने के बजाय सरकार को वास्तव में सभी सार्वजनिक सामान्य बीमा कंपनियों को समेकित किया जाकर उनको और अधिक सक्षम बनाया जाये ताकि वे व्यवसायिक प्रतियोगिता का सफलतापूर्वक सामना कर सकें।

एलआईसी आईपीओ निश्चित रूप से “आत्मनिर्भर भारत” की अवधारणा के लिए एक बड़ा झटका होगा। (self-reliant India) पर सरकार लगातार जोर देती रही है। एलआईसी अपने आप में एक अद्वितीय संस्था है । ऐसा संस्थान दुनिया में कहीं भी नहीं पाया जा सकता है।

यह एक ऐसी संस्था है जो अपने लिए कोई लाभ पैदा नहीं करती बल्कि यह संपूर्ण लाभ का 95% हिस्से का वितरण अपने बीमा धारकों और शेष 5% हिस्सा सरकार को वितरित कर करती है।

खुद के लिए कोई लाभ पैदा न कर उसे राष्ट्र को समर्पित करने और उसके निस्काम सेवा करके आदर्श के साथ काम करती है। इस ललित संस्थान का श्रेय यह है कि वह राष्ट्र के लिए निष्ठावान रहा है और उन उद्देश्यों के लिए जिसके लिए इसे संसद के एक अधिनियम द्वारा वर्ष 1956 में स्थापित किया गया था। LIC IPO उसके निर्माण के बहुत से उद्देश्यों को खत्म कर देगा।

देश और उसके पॉलिसीधारकों के लिए मूल्यवान यह बीमा कंपनी को अब मूल्य बनाने के काम करने के लिए मजबूर किया जाएगा जिसका काम अब शेयरधारकों के लिए मुनाफा पैदा करना रह जायेगा। सभी भारतीयों के स्वामित्व वाली कंपनी LIC की संपत्ति अब देश के चंद अमीरों की सम्पत्ति में बदलकर उनके मुनाफे के लिए शोषित की जाएगी। एआईआईईए के नेतृत्व में देश के बीमा कर्मचारी एलआईसी के आईपीओ के खिलाफ जनता की राय जुटा रहे हैं। देश की जनता सामान्य बीमा कंपनियाँ के विनिवेश और बीमा में FDI बढ़ोतरी के विरुद्ध है। 350 से अधिक संसद सदस्यों को हमारी इकाइयों द्वारा हाल ही में संपर्क किया गया है। देश के एक बड़े वर्ग की राय सरकार के इन कदमों के खिलाफ है।

AIIEA के बैनर तले बीमा कर्मचारी सरकारी कुचालों के खिलाफ प्रतिरोध को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ हैं। सरकार            FDI बढ़ाने का निर्णय वापस ले, LIC का IPO न लाएं और सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण न करें।

धर्म प्रकाश संयुक्त सचिव बीमा कर्मचारी संघ।

 

डिम्पल की रिपोर्ट।