जमशेदपुर: भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस)1990 बैच के अधिकारी अनुराग गुप्ता को झारखंड की गठबंधन सरकार ने लगातार दूसरी बार सेवा विस्तार दिया है। इस निर्णय के बाद केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।झारखंड में डीजीपी पद को लेकर चल रहे विवाद पर अब कतार में खड़े आईपीएस अधिकारियों के बीच भी धीरे-धीरे प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं।आख़िर एक आईपीएस अधिकारी को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच इतनी तल्खी क्यों है?
राज्यों के जिलों और केंद्रों में सभी विभागों के एसपी भारतीय पुलिस सेवा (IPS) से ही आते हैं। इसी तरह, सभी मंत्रालय और भारत सरकार के विभिन्न विभाग भी उन्हीं अधिकारियों द्वारा संचालित होते हैं, जो सीधे तौर पर राजनीतिक रूप से चयनित मंत्रियों के निर्देशों पर काम करते हैं।
ऐसे परिदृश्य में, मुख्यमंत्री को एक ईमानदार और स्वतंत्र सोच वाले डीजीपी की बजाय ऐसा अधिकारी अधिक उपयुक्त लगता है, जो उनकी बात से सहमति जताए और बिना प्रतिरोध के निर्देशों का पालन करे।
हेमंत सरकार एक ऐसे DGP को सेवानिवृत के बाद क्यों विस्तार देना चाहते हैं, जिनपर 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान हॉर्स ट्रेडिंग का गंभीर आरोप लगा चूका है?
झारखंड में वर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव के दौरान विधायकों की खरीद-फरोख्त (हॉर्स ट्रेडिंग) के आरोप सामने आए थे। इस प्रकरण में झारखंड के तत्कालीन डीजीपी और हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा सेवानिवृत्त किए गए आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने बड़कागांव की तत्कालीन कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान के लिए प्रलोभन दिया था, और उनके पति, पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को धमकाया था।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक ऑडियो टेप सार्वजनिक किया, जिसमें कथित रूप से अनुराग गुप्ता की आवाज सुनाई देती है। इस टेप में विधायक को प्रभावित करने का प्रयास स्पष्ट रूप से सुना गया। हालांकि, बाद में इस मामले की जांच हुई और अनुराग गुप्ता को कानूनी एवं विभागीय स्तर पर क्लीन चिट दे दी गई।
केंद्र सरकार के नियम:
केंद्र सरकार के अनुसार, अनुराग गुप्ता की सेवानिवृत्ति 30 अप्रैल 2025 को तय है और उसी तारीख से उन्हें रिटायर्ड मानना होगा।
राज्य सरकार ने 30 अप्रैल की रात केंद्र को पत्र भेजा, जिसमें दावा किया कि नियुक्ति “नियमानुसार” की गई है, और वे पद पर बने रहेंगे।