सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ टाटा स्टील प्रोक्योरमेंट विभाग के साथ आयोजित होने वाली नियमित बैठक का आयोजन चैम्बर भवन में किया गया है। बैठक में प्रोक्योरमेंट विभाग के उच्च अधिकारियों चीफ प्रोक्योरमेंट ऑफिसर रंजन कुमार सिन्हा, चीफ प्रोेक्योरमेंट डिलीवरी मैनेजमेंट टीएसजे टीएसके राणा दास, एचएचसी, चीफ प्रोक्योरमेंट एमआरओ एंड सर्विसेज रजत मधुर, चीफ प्रोक्योरमेंट सप्लायर मैनेजमेंट एंड प्रोसेस इंप्रूवमेंट आशुतोष पाणीग्रही, चीफ बल्क, इंडस्ट्रीयल गैसेस प्रोक्योरमेंट अभिषेक कुमार, चीफ कॉमर्शियल मैन्यूफक्चरिंग संग्राम केशरी पंडा, हेड कॉमर्शियल मैन्यूफक्चरिंग विशाल चन्द्रा के अलावा उनकी टीम के अन्य प्रोक्योरमेंट ऑफिसर अशोक कुमार, रविन्द्र कुमार, सुमन कुमार सिंह, वी.सुरेश विजयन, सत्यब्रत महापात्रा, श्रवणी झा,, ए.रमेश बाबू, रविकांत गुप्ता, कुमार गोपाल, पवन कुमार, रत्नेश कुमार, अनिल ठाकुर, सौरभ चटर्जी, प्रत्युष पती, रिषभ नारायण सिंह उपस्थित थे। बैठक में स्थानीय वेडरों को टाटा स्टील में प्राथमिकता, वेंडरों की हो रही समस्याओं को प्रमुख के साथ उठाया गया। की टीम मौजूद रहेगी जिन्हें टाटा स्टील के साथ व्यवसाय करने वाले वेंडरों की समस्याओं से अवगत कराया गया तथा इस पर विस्तृत चर्चा की गई। यह जानकारी उपाध्यक्ष पुनीत कांवटिया एवं सचिव बिनोद शर्मा ने संयुक्त रूप से दी।
बैठक में विषय प्रवेश करते हुये उपाध्यक्ष पुनीत कांवटिया ने कार्यक्रम की शुरूआत की तथा मंच संचालन सचिव अंशुल रिंगसिया ने की।
इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुये अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा कि चैम्बर पूरी तरह आशान्वित है कि वर्तमान समय में वैश्विक उथल-पुथल के बीच देश में स्टील की मांग में जल्द सुधार होगा और टाटा स्टील के साथ ही स्थानीय व्यवसायियों कीे व्यवसाय स्थिति में सुधार होगा। स्थानीय व्यवसायी एवं उद्यमियों ने हमेशा से ही टाटा घराने के व्यवसाय की नींव को जमशेदपुर में मजबूती प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई है। इसलिये टाटा स्टील को भी अपने हित के साथ ही स्थानीय वेंडरों की समस्याओं के समाधान के प्रति ईमानदार होना होगा। चैम्बर टाटा स्टील एवं स्थानीय वेंडरों के बीच एक सेतु का कार्य कर रहा है। हम स्थानीय वेंडरों की समस्याओं और टाटा स्टील की आवश्यकताओं को समय-समय पर होने वाली नियमित बैठक के माध्यम से साझा कर रहे हैं और आपके द्वारा इसके समाधान की दिशा में पहल किया जा रहा है। यह चैम्बर और स्थानीय व्यवसायी एवं उद्यमियों के लिये अच्छी बात है। टाटा स्टील को स्थानीय वेंडरों को ज्यादा से ज्यादा इन्क्वायरी दी जानी चाहिए। स्थानीय वेंडर अपने पूरी क्षमता के साथ टाटा स्टील को उनकी आवश्यकता के अनुरूप गुणवत्ता पूर्ण माल उपलब्ध कराने में सक्षम है।
अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा कि भारत सरकार के द्वारा स्टील के आयात शुल्क लगाये जाने से टाटा स्टील को मिलने वाले लाभ के लिये बधाई देते हैं। चैम्बर ने इसके लिये केन्द्र सरकार के समक्ष इस मामले को कई बार उठाया जिसका परिणाम आज हमारे सामने है। हमारा मानना है कि इससे टाटा स्टील को मिलने वाले लाभ का एक हिस्सा उन वेंडरों के बीच वितरित करना चाहिए कठिन समय में टाटा स्टील के साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़ा रहा।
*बैठक में चैम्बर सदस्यों ने निम्नलिखित मुद्दे उठाये -*
1) वाहनों के गेट पास के लिये विभाग के हेड के द्वारा हॉर्ड कॉपी और ईमेल पर स्वीकृति आवश्यक है। यह एक बोझिल प्रक्रिया है और अनावश्यक प्रतीत होता है। गेटपास जारी करने के लिये मेल या हार्ड कॉपी में स्वीकृति को स्वीकार किया जाना चाहिए।
2) विशेष कौशल वाले तकनीशियनों के लिये मल्टी लोकेशन गेटपास जारी हो जिससे इन्हें प्लांट के अंदर किसी भी विभाग में जाकर कार्य करने की अनुमति हो।
3) जेनेरिक और विशेष वस्तुओं के लिये वैसे वेंडरों को भी इन्क्वारी भेजी जाती है जो आवश्यक वस्तुओं के बारे में कोई जानकारी नहीं रखते हैं। इससे गलत कोटेशन और कम गुणवत्ता के वस्तुओं के डिलीवरी भी हो जाती है जिससे टाटा स्टील के द्वारा उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता खराब होती है। इसलिये आवश्यक वस्तुओं से संबंधित वेंडरों को ही इन्क्वायरी भेजी जानी चाहिए ताकि गुणवत्तापूर्ण माल की डिलीवरी टाटा स्टील को मिल सके।
4) डीलरांे और वितरकों के माध्यम से दीघकालीक आपूर्ति अनुबंधों के लिये ओईएम की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
5) श्रमिकों को एक विभाग से दूसरे विभाग मंे जाने पर नये गेटपास जारी करने के लिये फिर से मेडिकल फिटनेस टेस्ट की अनिवार्यता है जो अनुचित है। मेडिकल फिटनेस टेस्टu की समयावधि तय होनी चाहिए।
6) कोविड के दौरान वेंडरों को भुगतान की अवधि जो 30 दिन थी उसे बढ़ाकर 45 दिन और कुछ विशेष मामलों में 60 दिन भी कर दिया गया था। इसपर फिर से विचार करते हुये 30 दिन की अवधि तय की जानी चाहिए।
7) सभी वेंडरों को टेंडरों में भाग लेने की अनुमति देने से वेंडरों के कार्य करने की मात्रा कम हो रही है। इससे स्थानीय वेंडरों को समस्यायें उत्पन्न हो रही है।
8) वेंडरों से जुड़ने में आसानी के लिये कमोडिटी मैनेजरों की सूची उनके ईमेल के साथ ई-प्रोक साईट पर उपलब्ध होनी चाहिए।
9) पारिवारिक व्यवसाय वाले वेंडरों (फर्मों) की पहली पीढ़ी के समाप्ति के बाद उनके उत्तराधिकारी को उनके फर्म में स्वामित्व प्रदान किया जाना चाहिए। इसकी प्रक्रिया सरल की जानी चाहिए।
इसके अलावा उपस्थित सदस्यों, व्यवसायियों एवं उद्यमियों के द्वारा अन्य बिन्दुओं से उपस्थित अधिकारियों को अवगत कराया गया।
प्रोक्योरमेंट विभाग के अधिकारियों ने इन बिंदुओं पर साकारात्मक जवाब दिया तथा कहा कि टाटा स्टील स्थानीय वेंडरों की समस्याओं के प्रति उदार है और ज्यादा से ज्यादा कार्य उन्हें मिले इसके लिये प्रतिबद्ध है। चैम्बर इसमें अहम भूमिका निभा रहा है। टाटा स्टील के द्वारा हमेशा कार्य में पारदर्शिता बरती जाती है और उसी के अनुरूप टाटा स्टील कार्य करता है। आगे भी चैम्बर के साथ बैठकों का दौर जारी रहेगा जिसमें आपकी समस्याओं से हम रूबरू होंगे और इसके समाधान की कोशिशों में लगे रहेंगे।
बैठक के अंत में धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष अनिल मोदी ने किया। इस अवसर पर उपाध्यक्ष पुनीत कांवटिया, अधिवक्ता राजीव अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल गोल्डी, सचिव भरत मकानी, अधिवक्ता अंशुल रिंगसिया, बिनोद शर्मा, कोषाध्यक्ष सीए अनिल रिंगसिया, आकाश मोदी, प्रतीक अग्रवाल, राहुल पसारी, नरेन्द्र सिंह, जयकुमार पारीक, अर्चित बागरोदिया, हर्षद साह, आर.के. अग्रवाल, विक्रम लोधा, राहत हुसैन, सुभाष राहिला, आनंद तिवारी, विवेक अग्रवाल, सुनील बागरोदिया, मनीष अगीवाल, शशंाक शेखर, बिनोद कसेरा, राजकुमार खंडेलवाल, बीके लोधा, आकाश अग्रवाल, नवल सोंथालिया, सुधीर कुमार, नवीन सिंहानिया, निसिथ दास, जिग्नेश वसानी, कमल मकाती, मनोज कुमार अग्रवाल, तनवीर हुसैन, मितेश खारा, विवेक पुरोहित सहित काफी संख्या में व्यवसायी एवं उद्यमी गण उपस्थित थेे।