सराइकेला नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष सह उत्कल सम्मेलनी सरायकेला खरसावां के जिला सलाहकार मनोज कुमार चौधरी ने प्रति घंटा मानदेय के आधार पर शिक्षकों की संविदा पर रखने का ऐलान भाषा एवं भाषाई छात्रों व जनता का अपमान है। साथ ही ये छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का षड्यंत्र है क्योंकि इससे मातृभाषा में पढ़ने की इच्छा रखने वालों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। न तो छात्र और न ही अभिभावक संविदा आधारित अस्थाई व्यवस्था पर (प्रारंभिक शिक्षा से ग्रेजुएशन तक) आश्वस्त हो सकेंगे। और जहां तक सरायकेला की बात है ये वहां ये करने की कोशिश हो कर रहे है जहां राज्य संपोषित मातृभाषा के माध्यम से पहली कन्या से स्नातक स्तर की पढ़ाई होती रही है। और उस पढ़ाई से हमारे क्षेत्र के विद्यार्थियों को ओड़ीसा के शैक्षणिक संस्थानों में 2% आरक्षण का लाभ भी मिला है ऐसी प्रक्रिया में राज्य सरकार की प्रथम कक्षा से 12वी क्लास एवं ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की कही पर भी गारंटी नहीं है।
शिक्षण को भी बहुत युवा केरियर आप्शन (पेशा) के रूप में ग्रहण करके शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों में दाखिला लेते हैं निश्चित रूप से किसी भी राज्य सरकार को वहां के रहनेवाले लोगों की मातृभाषा में पढ़ाई करने की व्यवस्था हो उसके बारे में समुचित प्रबंध करने का दायित्व है भारत सरकार की नई शिक्षा नीति के अंतर्गत मातृभाषा आधारित शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।घंटी आधारित शिक्षक नियुक्ति होनहार शिक्षक बनने की युवाओं के साथ एक छल है एवं यह निविदा सूचित कर रही है कि वाकई में सरकार क्षेत्रीय भाषाओं की संवर्धन के प्रति कितना गंभीर है।
यदि राज्य सरकार सचमुच भाषा एवं भाषाई छात्रों की हितेषी है तो पिछले 5 साल कहां थी और यदि अभी भी भाषा एवं भाषाई छात्रों के लिए कुछ करना चाहती है तो पहले स्थानीय नीति तय करें उसके उपरांत भाषा एवं भाषाई छात्रों के लिए स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति और पहले जैसी संपूर्ण व्यवस्था करें। सरकार से अनुरोध है कि घंटी आधारित शिक्षक नियुक्ति को सरकार रद्द करें एंव प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्ति की दिशा में कारवाई करें।