*पुलिस द्वारा लोहा चोरों को प्रश्रय दिए जाने से चोरों का बढ़ा मनोबल:दीपू कुमार सिन्हा*
अभिजीत ग्रुप पावर प्लांट के अंदर से हर दिन हजारों टन लोहा कि चोरी रैयत आहत
मुकेश कुमार सिंह
चंदवा।चंदवा के अभिजीत ग्रुप के पावर प्लांट में लोहा चोरों द्वारा समूह बनाकर सैप (पुलिस)एवं सिक्योरिटी गार्ड के जवानों पर जानलेवा हमला की घटना पुलिस द्वारा लोहा चोरों को प्रश्रय दिए जाने का प्रतिफल है। विदित हो कि इसके पूर्व भी लोहा चोर पुलिस की पेट्रोलिंग गाड़ी पर हमला कर चुके हैं। जिस प्रकार भगवान भोलेनाथ ने भस्मासुर को वरदान दे दिया था और भस्मासुर स्वयं भगवान भोलेनाथ को ही भस्म करने पर उतारू हो गया था। ठीक उसी प्रकार चंदवा पुलिस ने लोहा चोरों को भी वरदान (छूट) दे रखा है और अब लोहा चोर भस्मासुर की तरह पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को भी निशाना बनाने में लगे हैं।
ऐसे में देखना है पुलिस अब कौन सा रुख अख्तियार करती है? चोरों पर सख्त कार्रवाई कर उनका मनोबल तोड़ चोरी रोकती है।या फिर पूर्व की भांति सबकुछ चलता रहता है। उक्त बातें अभिजीत एवं एस्सार प्लांट के लैंड लूजर रैयत सह झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य दीपू कुमार सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है।
श्री सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा है कि लोहा चोरी की शिकायत करने पर पुलिस के पदाधिकारी कहते हैं जाने दीजिए इतना हंगामा क्यों मचाये हुए हैं। आपका तो कुछ चोरी नहीं हो रहा है, अब इन पुलिस वालों को कैसे समझाया जाए की हम लोगों ने बड़े ही उत्साह से चंदवा को औद्योगिक नगरी बनाने एवं इसका सर्वांगीण विकास करने के अरमानों के साथ अपने बाप– दादा के द्वारा अर्जित एवं खेती की जाने वाली जमीनों को औने– पौने दामों में इकरारनामा कर कंपनी को सौंपा था। बदले में कंपनी ने हम रैयतों के हर एक परिवार के सदस्यों को नौकरी देने प्लांट लगने के बाद प्लांट में होने वाले मुनाफा में शेयर देने समेत न जाने कितने वादे किए थे।इन वादों में उलझ कर हम स्वर्णिम भविष्य के सपने देखते हुए अपने पूर्वजों की जमीनें जो मां समान हमारा लालन-पालन करती थी। उन्हें खोया है, जी हां साहब हमें याद है कि जब हम छोटे थे तो हमारे बाप – दादा खेती कर इन जमीनों से धान, मकई, जिनोरा,
मडुआ,महुआ,सेम,खेतबोदी, डोरी,आम,कटहल और ना जाने कितने सब्जी फल और अनाज घर लाते थे। मकई और महुआ से तो पूरा घर भर जाता था। वैसे ताजा मकईयों में जिनमें पूरी तरह से दाने नहीं उगे होते थे। जिन्हें चर गोटिया, पचगोटिया कहा जाता था। उन्हें अलग कर लकड़ी के चूल्हे में मां जब मिट्टी के बर्तन में उबालती थी तो उसकी सोंधी महक से हमारे मन मस्तिष्क बौरा जाते थे और हम उन्हें जल्दी खाने के लिए मचलने लगते थे और जब उबले हुए मीठे पानी के साथ यह मीठे मकई हमें खाने को मिलते थे तो जो स्वाद आता था। वह तृप्ति और स्वाद अवर्णनीय है। इसके अलावा उबले हुए मीठा महुआ का स्वाद मडुआ की रोटी का मधुर स्वाद, रसीले आमों का मधुर स्वाद, नए चावल के छिलका रोटी के साथ खेतबोदी की सब्जी का स्वाद, मकई की रोटी के साथ खेतों से लाए गए ताजे आलू ,भंटा एवं सेम की सब्जी का स्वाद हमारा यह सब चोरी हो रहा है साहब और आप कहते हैं
कि आपका तो कुछ नहीं लूट रहा। हमें याद है कि महुआ के दिनों में एक डेढ़ महीना पापा हम लोगों को छोड़कर गांव की जमीनों में चले जाते थे और महुआ चुनवाते थे। उसी महीने में चंदवा का प्रसिद्ध हरैया मेला लगता था और जब हम मेला जाने के लिए मचलते हुए मां से पैसे मांगते थे तो मां कहती थी पापा तो घर में नहीं है पैसे कहां से आएंगे जाओ पापा से मांग लेना। पैसे मिलने का और कोई रास्ता ना देख बड़ी हिम्मत कर हम अपने कुछ दोस्तों के साथ साइकिल से गांव में पापा के पास पहुंचते थे, वहां के हरे भरे खेत सैकड़ों महुआ, आम एवं कटहल के पेड़ देख हम मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे। पापा जब पूछते थे क्यों आए हो तो बड़े लजाते हुए कहते थे कि मेला देखने जाना है, यह सुनकर पापा कहते थे कि बेटा अभी तो महुआ नहीं बेचे हैं इसलिए नगद पैसा नहीं है यह कहते और अफसोस करते हुए वह 10 –5 किलो महुआ ही हम लोगों को दे देते थे। चंदवा के दुकानदारों को यह महुआ बेचकर हमें इतने पैसे मिल जाते थे जिससे हम सभी दोस्त मेले का आराम से लुफ्त उठाते थे। प्लांट लगने और नौकरी के लालच में हमने इन्हीं हरे भरे खेतों को बेच डाला। मिट्टी की सोंधी महक वाले मकई– मडूवा खत्म हो गए और आम, महुआ ,बर ,पीपल सभी बड़े पेड़ों को काटकर वहां कंक्रीट और लोहे के स्ट्रक्चर खड़े हो गए। हम खेतों को उजड़ते और पेड़ों को कटते इस आस में देखते रहे कि अब प्लांट शुरू होगा अब बिजली से हमारा शहर और राज्य परिपूर्ण हो जाएगा। और इस प्लांट की छांव में कई छोटे-बड़े उद्योग धंधे लगेंगे जिससे हमारा तथा हमारे गांव शहर का सर्वांगीण विकास हो जाएगा कुछ समय तो हमारे सपने साकार होते दिखे और हमारे शहर का नाम औद्योगिक नगरी चंदवा भी पड़ गया।
अचानक केंद्र में सरकार बदल गई और भारतीय राजनीति में आई गिरावट के कारण बढे दलगत कटुता की ज्वाला में भस्म होकर इन कंपनियों के कोल ब्लॉक रद्द हो गए। कोल ब्लॉक रद्द होने से हम रैयत भौंचक होकर नई सरकार द्वारा इस प्लांट के उद्धार करने की आस देखते रह गए। नई सरकार द्वारा नए नियमों इनक्रप्सी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कानूनी रूप से मामले का समाधान शुरू किया गया और पुन: प्लांट लगाने हेतु कई कंपनियों के दौरे शुरू हुए। हम रैयतों में से कुछ भाग्यशाली रैयतों को प्लांट में कॉन्ट्रैक्ट वर्कर के रूप में नौकरियां मिली थी उनकी उम्मीदें एवं वेतन फिर से शुरू हो गए। जमीन एवं पेड़ पौधों के बकाए की प्रक्रिया भी शुरू हुई। अभी हम अपने जमीन,पेड़—पौधे तथा वेतन के बकाए पैसों की रिकवरी हेतु अपने दावे को परिसमापक (लिक्विडेटर) के पास सबमिट ही कर रहे थे कि अचानक इस चोर और पुलिस के गठजोड़ ने हमारी रही सही आशाओं पर भी पानी फेरना शुरू कर दिया। वैसे चंद अधिकारी– पदाधिकारी, पुलिस, माफिया एवं लोहा चोरों के गठजोड़ ने हमारी रही– सही उम्मीदों पर भी पानी फेरना शुरू कर दिया है। यहां जिन्हें हमारी तथा हमारे संपत्तियों की रक्षा और सुरक्षा के लिए भेजा गया वही हमें कुछ गद्दारों और चोरों के साथ मिलकर लूट रहे हैं और कहते हैं, कि आपका क्या लूटा जा रहा है?
साहब यहां की सभी चीजें हमारी हैं इसके कण–कण पर हमारा अधिकार है ।इसके लिए हमने अपने हरे– भरे खेत और लहराते हुए पेड़ पौधों का बलिदान किया है। अपनी मां समान जमीनों को खोया है। क्या आप हमें यह लौटा सकते हैं? हमें हमारी माटी की सोंधी महक और जमीनों को तो आप नहीं लौटा सकते तो कृपया कर जो हमारा है उसे सलामत रहने दीजिए ताकि कुछ दिनों तक हम अपनी रोजी-रोटी को और चला सकें। जिसे आप मुफ्त का माल समझकर बड़ी बेदर्दी से गटक जा रहे हैं साहब वह मुफ्त का माल नहीं हमारे पूर्वजों के खून पसीने से कमाई गई दौलत और हमारे अरमान है। आप चंद रुपए पाकर खुश हैं और इनसे जमीनें और संपत्ति खरीदना चाहते हैं। साहब ऊपर वाले के खौफ से डरिए और कुछ करिए यहां हजारों लोगों की उम्मीदें और आहे लगी हुई है।विश्वास मानिए इन चोरी के रुपयों से आप तथा आपके बाल– बच्चे ज्यादा सुखचैन नहीं पाएंगे। क्योंकि जब हम और हमारे बच्चे बिलबिलायेंगे तो उनकी आहें आपको भी लगेंगी। आप लोग तो हम लोगों से ज्यादा पढ़े– लिखे तथा समझदार हैं, इसीलिए हम बेरोजगार हैं और आप साहब हैं। इतना तो आप भी जानते होंगे की किसी की आह लेकर और गलत तथा चोरी से कमाए गए रुपयों से सुखचैन नहीं मिलते और तरक्की नहीं होती। साहब भगवान के घर में देर है अंधेर नहीं वह सब कुछ देखता और सुनता है इसलिए साहब अभी भी समय है
कृपया इस चोरी को रोकिए क्योंकि इसीलिए आपको नौकरी मिली है और आपको वेतन मिलते हैं। इसी लिए आपको हथियार तथा बड़ी पावर दी गई है। इस शक्ति और अपने जमीर को जगाइए। यह आपका सच्चा कर्म है इसे करने से हमारे और आपके बच्चे सुखचैन से रहेंगे।