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इस वर्ष 50 लाख 5 हजार में नेतरहाट की महिला शुशांति देवी ने लिया नास्पती बगान का टेंडर महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा

*इस वर्ष 50 लाख 5 हजार में नेतरहाट की महिला शुशांति देवी ने लिया नास्पती बगान का टेंडर महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा*

 

मोहम्मद शहजाद आलम।

झारखंड की रानी जाने वाली महुआ प्रखंड के दर्शनीय स्थल नेतरहाट की आबोहवा सालों भर काफ़ी खुशगवार रहती है। विदेश विदेश यहां आते हैं। नेतरहाट की जलवायु नाशापती के फलों के काफी उपयुक्त माना जाता है।इसीलिए यहां पर बड़े स्तर पर नाशपाती का बागान लगाया जाता है।नेतरहाट की नासपाती बागान से प्रति वर्ष सरकार को लाखों रूपये की आमदनी होती है।इस वर्ष नासपाती बगान की नीलामी 50 लाख 5 हजार रूपये में की गयी है। सेक्टर तीन की नीलामी 27 लाख व सेक्टर चार के बगान की नीलामी 23 लाख कुछ रुपए में हुई है। इस तरह से दोनों बगान मिलाकर 50 लाख 5 हजार रुपए में नीलामी हुई है।नीलामी जब भी होती थी तो अक्सर रांची के लोगों के द्वारा लिया जाता था। लेकिन इस वर्ष खास है और खास इसलिए है की नाशपाती बागान की नीलामी रांची के लोगों के द्वारा ना लिया जाकर सरनाटोली नेतरहाट के रहने वाली महिला शुशांति देवी के द्वारा लिया लिया। यह पहली बार देखा जा रहा है कि नेतरहाट के महिला के द्वारा नाशपाती बागान नीलामी में लिया गया।यह एक अच्छा पहल है।अब हमारे क्षेत्र के महिलाएं भी व्यापार के क्षेत्र में आगे आ रहे हैं।ऐसा कार्य कर शुशांति देवी यहां के महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है कि आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में बढ़-चढ़कर कर हिस्सा ले रहीं हैं और कामयाब भी हो रहीं हैं।

*संयुक्त कृषि निदेशक कार्यालय रांची से होती है नाशपाती बागान की नीलामी*

जानकारी के लिए आपको बता दें कि नेतरहाट स्थित नाशपाती के बागान का नीलामी प्रति वर्ष रांची स्थित संयुक्त कृषि निदेशक कार्यालय में संपन्न कराया जाता है। इस वर्ष इसी कार्यालय में नाशपाती बागान की नीलामी को भी है और इस वर्ष 50 लाख 5 हजार रुपए में नीलामी हुई है।

जबकि वर्ष 2020-21 में 44.20 लाख रूपये में नीलामी हुई थी. 2019-20 में नाशपाती बागान की नीलामी नहीं हो पायी थी. वर्ष 2018-19 में नाशपाती बागान की नीलामी 46 लाख रूपये में हुई थी. वर्ष 2017-18 में नासपाती बागान की नीलामी 27.60 लाख रूपये में हुई थी.वर्ष 2015-16 में 14.85 और वर्ष 2014-15 में 5.65 लाख रुपए में नास्पती बगान की निलामी हुई थी।

 

 

 

*450 एकड़ में हजारों हजार लगाए गए हैं नासपाती के पौधे*

 

कृषि विभाग के द्वारा वर्ष 1982-83 में प्रयोग के तौर पर नेतरहाट में नाशपाती के पौधे लगाये गये थे। और यह प्रयोग काफी सफल रहा था।इसके बाद वर्ष 1999 में नाशपाती की खेती को प्रोत्साहन करने के लिए वृहत रूप में 450 एकड़ भूमि पर नाशपाती के पौधे लगाये गये।वर्ष 2004-05 में इस बगान का विस्तारीकरण किया गया। और इन बगानों में हजारों हजार नाशपाती के पौधे लगाए गए। विस्तारीकरण के बाद राज्य का सबसे बड़ा नाशपाती उत्पादक क्षेत्र नेतरहाट बन गया. प्रति वर्ष जुलाइ व अगस्त महीने में प्रति दिन क्विंटलों क्विंटल से नाशपाती के फल पेड़ों से टुटते हैं। यहां की नाशपाती की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर की है. यही कारण है कि इसकी मांग पड़ोसी राज्य बंगाल और बिहार के अलावा महाराष्ट्र एवं दिल्ली में भी खूब है।

*किसानों के द्वारा भी नेतरहाट के अन्य क्षेत्रों में लगाया गया है नाशपाती का बागान*

 

इन बड़े बगानो को देख कर वहां के किसानों को भी प्रोत्साहन मिला। वहां के लोगों ने देखा कि नाशपाती से आय प्राप्त किया जा सकता है और इसकी खेती कर अच्छी आमदनी कमाए जा सकते हैं। वहां के लोगों के द्वारा अपने भूमि ने नाशपाती के पौधे लगाए जाने लगे और देखते ही देखते पूरे नेतरहाट क्षेत्र में नाशपाती के पौधे नजर आने लगे। वहां के लोगों ने बताया की हमें नाशपाती के लिए ग्राहक ढूंढने की जरूरत नहीं होती लोग बागान में ही आकर पहले ही पूरे बागान खरीदारी कर लेते हैं। वही जो पर्यटक नेतरहाट आते हैं उन्हें भी हम लोगों के द्वारा नाशपाती बेचा जाता है जिससे हम लोगों को अच्छी आमदनी हो जाती है।

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