Breaking
Sat. Nov 8th, 2025

महुआडांड़ प्रखण्ड का एक ऐसा गांव है ग्वालखाड़ जो सभी मूलभूत सुविधाओं से है वंचित   

*मोहम्मद शहजाद आलम*

महुआडांड़ के सुदूरवर्ती क्षेत्र चम्पा पंचायत के ग्राम ग्वालखाड़ एक ऐसा गांव है जो मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।यह गांव अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दुर में स्थित है। यहां इस गांव में बिजली,पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।और न ही मनरेगा के तहत किसी तरह का कोई कार्य हो रहा है। यहां पर लगभग 50 से 55 घरों की आबादी है इस गांव में कोरवा बृज्या और नगेशिया समुदाय के लोग निवास करते हैं। यहां का निवासी सुरेंद्र कोरवा जो +2 किया हुआ है वहीं पौलुस कोरवा व महेन्द्र नगेसिया मैट्रिक तक पढ़े हुए हैं। पैसे की तंगी होने के कारण इन लोगों का आगे का पढ़ाई नहीं हो पाया। बाकी जितने भी गांव के लोग हैं सभी बिल्कुल ना के बराबर पढ़ें हुए हैं। वही यहां के लोग रोजगार की तलाश में अन्य स्थानों पर जाकर काम कर रहे हैं एक दो लोगों का 10 15 वर्षों से पता भी नहीं चल पाया कि वह कहां गए हैं। उनके घर परिवार वालों को इन लोगों से संपर्क भी नहीं हो पा रही है।

*8 किलोमीटर सड़क की हालत काफी जर्जर*

महुआडांड़ अनुमंडल मुख्यालय से ग्वालखाड़ ग्राम की दुरी 12 किमी है।जबकि मुख्यालय से निकलने के बाद 4 किलोमीटर सड़क ठीक है। परन्तु 8 किलोमीटर सड़क की हालत काफी जर्जर है। उस सड़क पर ना तो चार पहिया ना दो पहिया वाहन जा सकते हैं। बहुत ही मुश्किल से पैदल भी चलना संभव है। वहां के लोगों को गांव से मुख्यालय आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। रास्ते में बड़े-बड़े पत्थर निकले हुए हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए ग्राम प्रधान राधेश्याम नगेसिया व सुरेंद्र कोरवा ने बताया कि गांव जाने के लिए 8 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है वह सड़क काफी जर्जर है। हम लोगों को आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उस वक्त तो और परेशानियों का सामना करना पड़ता है जब इस गांव में कोई बीमार पड़ जाता है या किसी को प्रसव की जरूरत होती है। उस समय हम लोगो के द्वारा टोकरी या खाट में बैठाकर या सुलाकर उसे कंधों में ढोकर 8 किलोमीटर का दूरी तय कर लाना पड़ता है उसके बाद हम लोगों को वाहन की सुविधा मिल पाता है। जिसके बाद हम लोगों को इलाज के लिए ले जाना पड़ता है। यह सड़क का निर्माण लगभग 2005-6 में किया गया था जिसके बाद आज तक इस सड़क की मरम्मति तक नहीं की गई है। घाटी पहाड़ी रास्ता होने के कारण हम लोगों को आने जाने में या किसी को ले जाना है काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हम लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द इस सड़क की मरम्मति कराई जाए या तो नए सड़क का निर्माण कराया जाए ताकि हम लोगों को आने-जाने में सुविधा मिल सके।

*वहां लोग चुआड़ी के पानी पीने को हैं विवश* ग्वालखाड़ ग्राम में लोगों को पीने के पानी के लिए भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है यहां पर चापानल और ना ही कोई जल मीनार लगा है। लोग आज भी आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी चुआड़ी का पानी पीने को विवश है। यह चुआडी़ जिसका नाम झरना जूना दाढ़ी है गांव से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है इसी पर सारा गांव निर्भर है 50 से 55 घरों की आबादी इसी पर आश्रित है। और यही का पानी पीकर गुजारा करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर इस चुआडी़ से हमेशा सालों भर पानी आते रहता है जिसके कारण हम लोगों की पानी की कमी नहीं होती है। लेकिन बरसात के दिनों में पानी गंदा हो जाता है जिसके कारण हम लोगों को पानी को हमेशा छानकर उबालकर पीना पड़ता है। बरसात के दिनों में इस पानी को पीने से बीमारियों का बढ़ने का खतरा बन जाता है।

*बिजली का खंभा तार तो लगा है पर नहीं लगा ट्रांसफार्मर*

बिजली विभाग के द्वारा इस गांव में कुछ दिन पूर्व खंभा लगाया गया है तार भी लगाया गया है परंतु अभी तक इस गांव में एक भी ट्रांसफार्मर बिजली विभाग के द्वारा नहीं लगाई गई है। आजादी के कई दशक बीत जाने के बावजूद भी यहां के लोग ढिबरी युग में गुजारा कर रहे हैं। आज भी यहां के लोगों को लाइट की सुविधा मयस्सर नहीं हुई है। जंगलों के पास में बसा गांव हैं यहां जानवरों का भी खतरा मंडराता रहता है साथ ही अन्य प्रकार के सांप बिच्छू का भी डर बना रहता है। अगर बिजली विभाग इस ओर ध्यान दें तो वहां के लोगों को महुआडांड़ के अन्य स्थानों की तरह बिजली उपलब्ध कराई जा सकती हैं ताकि लोगों को ढिबरी युग से बाहर निकाला जा सके।

*नहीं खुलती है सरकारी विद्यालय*

इस गांव में 2001 में एक सरकारी विद्यालय का निर्माण कराया गया था और उसी के बगल में एक गांव है गांजाटोली वहां भी एक विद्यालय है। आज से कुछ वर्ष पूर्व ग्वाल कांड की विद्यालय को बंद कर गांजा टोली विद्यालय में पढ़ाई कराई जा रही थी। लेकिन वहां के ग्रामीण भोला कुरवा डोंगचु कोरवा, पौलुस कोरवा, राजेश कोरवा सुखदेव नागेशिया, आदि लोगों का कहना है कि जो गांजा टोली का विद्यालय जो कभी कभार खुलता था वह अब लॉकडाउन से पूर्व से ही बंद पड़ा हुआ है वहां जिस शिक्षक की पदस्थापना की गई है वह शिक्षक वहां पर नहीं पहुंचते हैं जिसके कारण बच्चों के पठन-पाठन में भी काफी परेशानियों का सामना हम लोगों को करना पड़ता है। वही विद्यालय नहीं खुलने के कारण बच्चों को मध्यान भोजन का चावल व कुकिंग का पैसा भी नहीं मिल पाया है। शिक्षा नहीं मिलने के कारण हम लोगों का जीवन अंधकारमय हो सकता है। अगर इसमें शिक्षा विभाग संज्ञान नहीं लेता है तो हम लोगों का स्कूल ऐसा ही बंद पड़ा रहेगा विद्यालय नहीं खुलेगी और हम लोगों के बच्चे नहीं पढ़ पाएंगे।

*डीलर के द्वारा जाम कोना में बुला कर दिया जाता है राशन*

ग्वालखाड़ की ग्रामीणों का कहना है कि हम यहां पर कोरवा,बृज्या नगेशिया समुदाय के लोग रहते हैं। लगभग सभी लोगों का राशन कार्ड बना हुआ है। सभी को राशन दी जाती है। परंतु हम लोगों को गांव में राशन पहुंचा कर नहीं मिलता है।संबंधित डीलर के द्वारा हम लोगों को ग्राम जाम कोना राशन लेने के लिए बुलाया जाता है हम लोग वहां जा कर राशन लेते हैं।

*गांव में मनरेगा के तहत नहीं चल रहा है एक भी कार्य*

इस गांव में मनरेगा के तहत किसी प्रकार की कोई योजना का संचालन नहीं हो रहा है सरकार की यह लाभकारी योजना जिसमें ग्रामीणों को रोजगार मिलता वह योजना ही इस गांव में नहीं चलाई जा रही है जिसके कारण ग्रामीणों को जीविका उपार्जन के लिए पलायन करना पड़ता है। उस गांव के जुगेश्वर कोरवा, तीली करवाईन अपने जीविका उपार्जन के लिए ईट भट्ठा कमाना गए हुए हैं। वही गुड्डी कुमारी, पिता पोकला कोरवा,लेदनी कुमारी पिता चैतू कोरवा, कई वर्ष पूर्व काम करने के लिए दिल्ली गए हुए थे जो आज तक लौट कर वापस गांव नहीं आए। वह आज भी लापता हैं। उनके घर वालों का कहना है कि कई वर्षों से उन लोगों से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है लेकिन आज तक उन लोगों से संपर्क नहीं हो पाया है। मेरी माने तो इस गांव में अगर मनरेगा के तहत योजना का संचालन किया जाता तो लोगों को काम मिल जाती और पलायन करना नहीं पड़ता।

*कई लोगों को नहीं मिलता है वृद्धा पेंशन*

गांव के ही मधु करवा, हिरवा कोरवा, पलू बृज्या,विलास बृज्या,चैतू कोरवा,डोगचु कोरवा,पोकला कोरवा, सुमित और कई गांव के लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही वृद्धा पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सभी का बिरधा पेंशन नहीं बन पाया है।

*आधार कार्ड और बैंक अकाउंट का मामला*

वहां के ग्रामीणों को इस कारण भी अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है वहां के कुछ लोगों का आधार कार्ड नहीं बन पाया है और कुछ लोगों के नाम में गड़बड़ी है जिसके कारण बैंक में अकाउंट भी नहीं खुल पाता है। और बैंक में अकाउंट नहीं रहने के कारण वृद्धा पेंशन समेत अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ इन ग्रामीणों को नहीं मिल पा रही है। अगर इस ओर अधिकारियों और कर्मचारियों का ध्यान नहींं गया तो यहां के लोगों को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलना काफी मुश्किल हो सकता है।

*अधिकतर लोगों को मिला है प्रधानमंत्री आवास का लाभ पहुंचती है स्वास्थ्य विभाग की सहियांए*

अन्य सुविधाओं से वंचित होने के बावजूद भी वहां के अधितर लोगों को प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिला है कुछ अन्य घर ही बाकी है जिन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाया है। वहां के ग्रामीणों का कहना है अन्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी इस गांव में पहुंचते हो या ना पहुंचते हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग की सहिया यहां पर पहुंचती है। यहां के लोगों से मिलकर स्वास्थ्य से संबंधित हाल-चाल जानते हैं।

*मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग*

वहीं ग्वालखांड़ के रहनेवाले ग्राम प्रधान राधेश्याम नगेसिया, सुरेन्द्र कोरवा,भोला कोरवा,पलू बृज्या,डोगचू कोरवा,फुलचन्द बृज्या,पौलुस कोरवा, राजेश कोरवा, सुखदेव नगेसिया,आदि लोगों ने सरकार से मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।

Related Post