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बहूचर्चित पर्यटन स्थल होने के बावजूद सुविधा की मोहताज गारू प्रखंड*

*बहूचर्चित पर्यटन स्थल होने के बावजूद सुविधा की मोहताज गारू प्रखंड*

*नेटवर्क और सड़क की खस्ता हालत, नहीं है एक भी रेस्टोरेंट*

 

*उमेश यादव*

*गारू*

गारू प्रखंड क्षेत्र पलामू टाइगर रिजर्व तथा विधायक, सांसद के उदासीन रवैए का शिकार हो गया है। दूरदराज से आए पर्यटक मिर्चईया जलप्रपात तथा सुगा बांध जलप्रपात के बारे में तो जानते हैं, परंतु इस क्षेत्र में छुपे सैकड़ों दर्शनीय स्थल अभी भी गुमनाम है। पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित होने के बाद आज तक प्रभावित होने वाले लोगों की संतुलित विकास उपेक्षित माना जाता है। एक तो पिछले दशक में नक्सालियों का गढ़ माना जाता था।समय के साथ बारेसांढ़ थाना, सरयू टीओपी के साथ साथ कई जगह सीआरपीएफ कैंप लगने के बाद आवागमन तो रुका परन्तु आज तक बुनियादी सुविधा भी बहाल नहीं किया जा चूका है। दिसंबर से जनवरी तक हजारों पर्यटक क्षेत्र से होकर गुजरते हैं, लेकिन यहां ठहरने के लिए कोई भी रेस्टोरेंट का सुविधा नहीं मिल पाता है।

*नेटवर्क, सड़क और रेस्टुरेंट का नहीं है कोई सुविधा*

 

आधुनिक युग में लोग अपने परिवार तथा सम्बंधियों से ऑनलाइन कनेक्ट होते हैं, यहाँ तक कि अपने पल पल की अनुभव को साझा करना चाहते हैं। गारू प्रखंड के मिर्चईया फॉल से लेकर सुग्गाबांध तक का सड़क काफी जर्जर हो गयी है, जिसके कारण कई शैलानी बनारी के रास्ते नेतरहाट जाना पसंद करते हैं। हालांकि कई शैलानी रुकने की कोशिश करते हैं लेकिन नेटवर्क और आवासीय सुविधा नहीं मिलने के कारण मजबूरन उन्हें जाना पड़ता है।

 

*नेतरहाट की तरह विकसित किया जा सकता है गारू से बारेसांढ़ तक को*

कोयल नदी, मिर्चईया जलप्रपात, मारोमार, द्वारसेनी घाटी, सुग्गाबांध के अलावा इस क्षेत्र में और कई गुमनाम खूबसूरत जगह है। जिन्हे विकसित किया जा सकता है। खासकर सुग्गाबांध के आसपास के क्षेत्र को उपेक्षित माना जाता है। हजारों की संख्या में प्रतिदिन शैलानी आने के बावजूद अभी तक इसे विकसित करने के लिए कोई पहल नहीं किया गया है। बता दें कि, हाल में ही लोधा जलप्रपात को विकसित किया गया है, ठीक उसी प्रकार इसका भी विकास किया जा सकता था।

*40 प्रतिशत युवा काम की खोज में करते हैं पलायन*

गारू प्रखंड में लगभग हर तीन घर में एक युवक काम की खोज में परदेस चले जाते हैं। स्वर्ग जैसे धरती पर जन्म लेने के बावजूद यह आंकड़ा वाकई हैरान करती है। ज्यादातर लोग बताते हैं कि, एक तो महंगाई उपर से बेरोजगारी बाहर जाने पर मजबूर करती है। अगर रोजगार सृजन होता घर परिवार के साथ काम करना कौन नहीं चाहेगा। खासकर बारेसांढ़ में अच्छी नेटवर्क नहीं होने के कारण ससमय लोग घर में बात भी नहीं कर पाते हैं।

*जिओ नेटवर्क पिछले चार वर्षों से हाथी का दांत साबित हो रहा है*

यूं तो हाथी का दांत का संज्ञा क्षेत्र के अनुसार कुछ अजीब सा लगता है, परंतु पिछले 4 वर्षों से जिओ का नेटवर्क की दास्तान कुछ ऐसा ही है। अनापत्ति प्रमाण पत्र, वन विभाग, जिओ अधिकारी, फलाना ढिकाना के चक्कर में बेकाम का बना हुआ है। मारोमार और बारेसांढ़ में लगा जिओ नेटवर्क शुरू होने से 5000 से ज्यादा लोगों को इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है।

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