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पंचायत चुनाव कराने में विलंब कर अपने पैर में कुल्हाड़ी लगा रही है हेमन्त सरकार: मिस्टर आलम अशरफी

*पंचायत चुनाव कराने में विलंब कर अपने पैर में कुल्हाड़ी लगा रही है हेमन्त सरकार: मिस्टर आलम अशरफी*

*पंचायती राज संस्थाओं को हाईजैक कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है हेमन्त सरकार: भाजपा नेता*

*दो वर्षों की नाकामियों को को कब तक छिपाएगी महागठबंधन की सरकार ? : अशरफी*

*पंचायत चुनाव कराने में विलंब करने से राज्य सरकार की असली नीयत उजागर हो गई: पूर्व प्रत्याशी*

प्रात: आवाज़ प्रतिनिधि

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चतरा। झारखंड में छः वर्ष बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार द्वारा पंचायत चुनाव कराने में विलंब किया जा रहा है जिसका सीधा असर राज्य के ग्रामीण विकास की गति पर पड़ रहा है। पंचायत चुनाव कराने में विलंब कर अपने पैर में कुल्हाड़ी लगा रही है हेमन्त सरकार। उक्त बातें पब्लिक राहत कमिटी के चेयरमैन, भाजपा अल्पसंखयक मोर्चा कोडरमा के ज़िला प्रभारी एवं चतरा लोकसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी मिस्टर आलम अशरफी ने प्रात: आवाज़ प्रतिनिधि से विशेष भेंटवार्ता में कहीं। भाजपा नेता ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं का विघटन 4 जनवरी 2021 को ही हो गया था फिर भी दिसंबर 2020 में पंचायत चुनाव नहीं कराया गया। उन्होंने बताया कि राज्य निर्वाचन आयुक्त शिव बसंत के अवकाश ग्रहण करने के बाद अगस्त 2020 में इस पद पर किसी आईएएस अधिकारी का राज्य सरकार ने मनोनयन नहीं किया। जिससे समय पर पंचायत चुनाव नहीं कराया जा सका। जब पंचायत चुनाव समय पर नहीं हुआ तब झारखंड सरकार के पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि अप्रैल – मई 2021 में पंचायत चुनाव करा लिए जाएंगे। श्री अशरफी ने सवालिया लहजे में कहा कि जब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव करोना काल में संपन्न करा लिए गए तो पंचायत चुनाव कराने में कौन सी दुश्वारियां हो जाती, इतना ही नहीं मौजूदा समय पंचायत चुनाव के अनुकूल है तो फिर विलंब किस बात का ? श्री अशरफी ने कहा कि राज्य सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए ऐन चुनाव के समय दो वर्षों की उपलब्धियों को बताने के नाम पर पंचायतों में *सरकार आपके द्वार* कार्यक्रम चला रही है , जबकि जनता सब समझ रही है। श्री अशरफी ने दावे के साथ कहा कि पंचायत चुनाव कराने में विलंब होने से सरकार द्वारा की गई वैकल्पिक व्यवस्था से भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा मिल रहा है और अप्रत्यक्ष रूप से झारखंड सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं को हाईजैक कर लिया है। उल्लेखनीय है कि राज्य गठन के बाद पहली बार राष्ट्रपति शासन के दौरान 2009 में झारखंड विधानसभा का चुनाव नवंबर – दिसंबर में ही हुआ था और उस समय भी झारखंड स्थापना दिवस (15 नवंबर को) समारोह आयोजित किए गए थे। इतना ही नहीं राज्य में पहली बार पंचायत चुनाव जब 2010 में कराया गया था तो वह महीना भी नवंबर – दिसंबर ही था और स्थापना दिवस समारोह भी आयोजित किया गया था। उसी तरह 2014 और 2019 का विधानसभा चुनाव नवम्बर – दिसंबर महीने में ही संपन्न कराये गये थे । यहां ये उल्लेख करना अनिवार्य है कि 2015 में जब पंचायत हुए थे तो वह महीना भी नवंबर – दिसंबर ही था। चतरा लोकसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी मिस्टर आलम अशरफी ने कहा कि पंचायत चुनाव कराने में विलंब होने से हेमन्त सरकार की असली नीयत उजागर हो गई है।

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