फास्टैग तकनीक से न सिर्फ सरकार का राजस्व तेजी से बढ़ा है बल्कि देशभर के टोल प्लाजा पर यातायात जाम की समस्या कम हो रही है। लेकिन मानवरहित टोल व्यवस्था का बेजा फायदा उठाकर व्यावसायिक वाहनों द्वारा कम टोल टैक्स का भुगतान करने की शिकायतें आ रही हैं। ऐसे वाहन चालक सावधान हो जाएं, क्योंकि सरकार ने उनके फास्टैग और बैंक खाता सील करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी प्रकार की निजी कारों के लिए बैगनी रंग फास्टैग दिया जाता है।
और टोल प्लाजा पर उनके लिए टोल की दरें एक समान हैं। लेकिन तीन पहिया व चार पहिया के व्यवसायिक वाहनों की टोल टैक्स की दरें उनके एक्सल के अनुसार तय होती हैं। इसलिए व्यावसायिक वाहनों की श्रेणी के मुताबिक बैगनी, गुलाबी, नारंगी, पीला, आसमानी नीला व काला रंग का फास्टैग उनके एक्सल भार के तहत जारी किया जाता है।
टोल प्लाजा पर वाहन के फास्टैग रंग के आधार पर स्वत: टोल टैक्स का भुगतान होता जाता है। अधिकारी ने माना कि कई स्थानों से व्यावसायिक वाहनों द्वारा तय फास्टैग नहीं लगाने के कारण कम टोल टैक्स भुगतान की शिकायतें मिल रही हैं। हालांकि इनकी संख्या ज्यादा नहीं है। ऐसे वाहनों का फास्टैग व बैंक खाता सील करने की कार्रवाई शुरू हो गई है। जिससे उक्त वाहनों को दो गुना टैक्स देना होगा। विभाग इस खामी को दूर करने के लिए काम कर रहा है। जिससे कम टैक्स देने वाले वाहनों से जुर्माने के साथ पूरा टैक्स वसूला जा सकेगा।
तकनीक से पकड़ में आते हैं कम भुगतान करने वाले वाहन
सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि ऑटोमैटिक व्हीकल क्लासीफायर तकनीक से कम टैक्स का भुगतान करने वाले वाहनों को पकड़ लिया जाता है। उदाहरण के लिए भारी व्यवसायिक मशीन (एचसीएम) के फास्टैग का रंग काला होता है और इसकी टोल दरे सबसे अधिक होती हैं। जबकि दो एक्सल ट्रक-बस हल्के व्यासायिक वाहन (एलसीवी) के फास्टैग का रंग हरा है। इसकी टोल दरें निजी वाहन कार से थोड़ी अधिक होती है। एचसीएम वाहन एलसीवी के फास्टैग लगाकर कम टोल दे कर निकल जाते हैं। इसकी जानकारी काफी समय बाद में टोल प्लाजा कंपनी को होता है। जब ऑटौमैटिक व्हीकल क्लासीफायर वाहनों की फोटो कैद कर लेता है। ऑनलाइन शिकायत पर टोल कंपनी को पूरा पैसा मिल जाता है, लेकिन सरकार को चूना लग रहा है।