कैट ने जीएसटी नियमों को स्थगित करने और ई कॉमर्स में नए प्रेस नोट जारी करने की मांग की
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) के भारत व्यापार बंद के आव्हान पर आज देश भर में 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठनों के 8 करोड़ से अधिक व्यापारियों ने अपना कारोबार बंद रख भारत व्यापार बंद में शामिल हुए और देश के बाज़ारों में कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं हुई ! भारत व्यापार बंद का आह्वान कैट ने गत 22 दिसंबर को और उसके बाद जीएसटी के नियमों में किए गए कुछ मनमाने और गैरकानूनी संशोधनों के खिलाफ व्यापारियों की आवाज़ बुलंद करने के लिया किया था वहीँ दूसरी ओर बड़ी विदेशी ई कॉमर्स कम्पनियॉं द्वारा लगातार सरकार के कानून और नीतियॉं के उल्लंघन पर लगाम कसने हेतु एफडीआई पालिसी के तहत प्रेस नोट 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट जारी करने की मांग को लेकर किया ! केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल की बार-बार चेतावनी के बाद भी यह कंपनियां लगातार नीति का उल्लंघन कर यह बताने की कोशिश कर रही हैं की भारत के क़ानून और नीति कमजोर हैं ! आज के भारत व्यापार बंद से देश में 1 लाख करोड़ रुपए के व्यापार का नुक़सान हुआ है ।
देश भर के बाजारों में आज वीरानी छाई रही तथा पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक सभी राज्यों के व्यापारियों ने अपना व्यापार बंद रखा और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और जीएसटी कॉउन्सिल को मजबूत सन्देश दिया की जीएसटी कर का उपनिवेशीकरण करने से व्यापार और अर्थव्यवस्था में व्यवधान पैदा होगा। देश भर में व्यापारी से व्यापारी (बी टू बी) और व्यापारी से उपभोक्ता (बी 2 सी) का व्यापार पूरी तरह से बंद रहा ! कैट ने बंद में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, केमिस्ट शॉप ,दूध और डेयरी उत्पादों की आपूर्ति करने वाले जनरल स्टोर को व्यापार बंद के दायरे से बाहर रखागया। बड़ी संख्यां में राष्ट्रीय और झारखण्ड राज्य के संघठन सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जमशेदपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स
जमशेदपुर ज्वेलर्स एसोसिएशन
जमशेदपुर डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन
थोक वस्त्र विक्रेता संघ
झारखंड मोबाइल डीलर एसोसिएशन जमशेदपुर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन व्यापार मंडल
जमशेदपुर रेस्टोरेंट एसोसिएशन
जमशेदपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया
जमशेदपुर चैप्टर
जमशेदपुर एडवरटाइजर्स एसोसिएशन जमशेदपुर टाटा डीलर वेलफेयर एसोसिएशन
झारखंड सैलून एसोसिएशन
रिटेल मर्चेंट एसोसिएशन
मांगो व्यापारी संघ
गोलमुरी व्यापारी संघ
आदित्यपुर ट्रेडर्स एसोसिएशन
बिष्टुपुर ट्रेडर्स एसोसिएशन,
वयसायी एकता मंच
जमशेदपुर कमर्शियल टैक्स बार एसोसिएशन
जमशेदपुर CA सोसाइटी |।
राष्ट्रीय और राज्य स्तर के संगठनों ने व्यापर बंद में भाग लिया। पूरे भारत में लगभग 8 करोड़ व्यापारियों, 1 करोड़ ट्रांसपोर्टरों, 3 करोड़ हॉकर्स और लगभग 75 लाख छोटे उद्योगों ने अपना कारोबार बंद रखा।
जमशेदपुर में लगभग 200 करोड़ का व्यापार नुक़सान हुआ है।
कैट के राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश सोन्थलिया ने भारत व्यापार बंद को जबरदस्त सफल बताते हुए कहा कि कर अधिकारियों को दी गई मनमानी और अनैतिक शक्तियां एक बार फिर से देश में इंस्पेक्टर राज लाएगी और इसका उपयोग कर अपराधियों पर करने की बजाय ईमानदार और कर पालन करने वाले व्यापारियों के उत्पीड़न के लिया किया जाएगा क्योंकि व्यापारियों का पूर्व का अनुभव यही है !कैट ने मांग की है कि कानून या नियमों में कोई संशोधन लाने से पहले जीएसटी नियमों के विवादास्पद प्रावधानों को स्थगित किया जाए और व्यापारियों को विश्वास में लेकर ही नियमों एवं क़ानून में बदलाव किया जाए ! कैट ने यह भी कहा कि जीएसटी के तहत वर्तमान कर आधार और इस कर आधार से अर्जित राजस्व बहुत कम है और इसे दोगुना किया जा सकता है लेकिन जीएसटी कर प्रणाली को सरलीकृत और तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए और एक सामंजस्यपूर्ण साझेदारी के लिए व्यापारी सरकार का सहयोग करने के लिए तैयार है। कैट का यह स्पष्ट मत है की कर अपराधियों और कर वंचना करने वाले लोगों को अनुकरणीय सजा दी जानी चाहिए क्योंकि वे ईमानदार और कर पालन करने वाले व्यापारियों के लिए बहुत अनुचित प्रतिस्पर्धा लाते हैं लेकिन ‘त्रुटि’ और ‘चोरी’ के बीच के अंतर को स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए।
जीएसटी कानून और नियमों की जटिलता को रेखांकित करते हुए श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि “1 जुलाई 2017 को जीएसटी की घोषणा की गई थी जो वर्तमान में वास्तविक रूप से एक सरल कर था, लेकिन पिछले चार वर्षों में 1000 से अधिक संशोधनों के साथ जीएसटी को बेहद जटिल क़ानून बना दिया गया है। एक सामान्य व्यापारी की समझ से परे एक जटिल प्रणाली प्रणाली बन गई है !
श्री सोन्थलिया ने चुनौती देते हुए कहा की “हम किसी भी सार्वजनिक मंच पर किसी भी कर विशेषज्ञ की मदद के बिना जीएसटी रिटर्न फॉर्म भरने के लिए किसी भी राज्य के वित्त मंत्री को चुनौती देते हैं? – क्या वो रिटर्न फार्म भर पाएंगे ? जीएसटी कॉउंसिल तो इतनी बड़ी संख्या में जीएसटी कानून और नियमों को संशोधित कर सकती है लेकिन व्यापारियों को कम से कम एक बार भी अपने जीएसटी रिटर्न को संशोधित करने की अनुमति नहीं है। जीएसटी को अच्छा और सरल कर देने के लिए प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आवाहन ” गुड एंड सिंपल टैक्स ” को जीएसटी कॉउंसिल ने पलीता लगा दिया है ! दोनों नेताओं ने कहा कि मजबूरी से कर पालन व्यवसाय के विकास के लिए एक कृत्रिम बाधा है। कानून और नियम समावेशी होने चाहिए और स्वैच्छिक पालन के लिए एक प्रेरणा होनी चाहिए। “- उन्होंने कहा की कानून और नियम 5% लोगों के लिए बने हैं जो किसी भी व्यवस्था में आदतन अपराधी हैं लेकिन कानून या नियमों का उपयोग 95% अन्य लोगों के खिलाफ किया जाता है जो कानून का पालन कर रहे हैं। यह मानसिकता अच्छी नहीं है !
श्री सोन्थलिया ने कहा कि अगर इन संशोधनों को लागू किया जाता है बड़ी संभावना इस बात की है की व्यापार से प्राप्त राजस्व में कमी होगी क्योंकि अनजानी त्रुटि को ठीक करने का कोई प्रावधान नहीं है और विभाग को अधिकार है की वो जीएसटी पंजीकरण नंबर को निलंबित कर सकते हैं ! यह एक खुला तथ्य है कि सरकार के अधीन सरकारी विभाग और सार्वजनिक उपक्रम समय पर व्यापारियों को भुगतान नहीं करते फिर वे व्यापारियों से समय पर करों का भुगतान करने की अपेक्षा कैसे करते हैं। हम केंद्र और राज्य सरकार दोनों से आग्रह करते हैं कि दोनों सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के तहत विभागों द्वारा किए गए भुगतान का एक चार्ट तैयार करें, वास्तविक तस्वीर सामने आएगी। इसके अलावा, जब लेट फीस और ब्याज का प्रावधान है तो व्यापारियों का जीएसटी नंबर निलंबित या रद्द क्यों किया जाए। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि सरकार देर से रिटर्न जमा कराने पर 18% ब्याज एकत्र कर रही है लेकिन बैंक लोगों की बचत पर लगभग 8% लोगों को ब्याज दे रहे हैं। एक और सवाल यह है कि व्यापारी एक छोटी सी चूक के लिए भी जवाबदेह हैं लेकिन कर अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं है। इस विवेकाधीन शक्ति ने व्यापारियों को खूंखार आतंकवादी अजमल कसाब से भी गया बीता करार दिया है क्योंकि कसाब को अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका भी दिया गया था और सुप्रीम कोर्ट को उन्हें सुनने के लिए सुबह 2.00 बजे खोला गया था, जबकि जीएसटी में कर अधिकारी नोटिस देने के लिए बाध्य नहीं हैं अथवा सुनवाई का कोई मौका ही देंगे ! हम किस तरह के लोकतंत्र की बात कर रहे हैं? भारतीय न्यायशास्त्र की मौलिक पंक्ति है “100 अपराधी सजा से बेशक मुक्त हो जाएँ किन्तु एक निरपराधी को सजा नहीं होनी चाहिए ! जीएसटी के नियमों में इस मौलिक पंकितयों की धज्जियाँ उड़ाई गई हैं ! करता व्यापारी यदि अपने कर का भगतां नहीं करता है तो उसकी सजा खरीदार व्यापारी को मिलेगी जिसने अपने कर का भुगतान कर दिया है ! इससे साफ़ जाहिर है की जीएसटी कॉउंसिल का सिस्टम कर अपराधियों का पता लगाने में विफल है और इसलिए उन्होंने ईमानदार और कर का पालन करने वाले व्यापारियों को बलि का बकरा बना दिया है। यह अनूठा कानून दुनिया भर में केवल भारत में ही मौजूद है और जीएसटी परिषद का दावा है कि यह एक अच्छा और सरल कर है।
श्री सोन्थलिया ने कहा कि कैट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और जीएसटी कॉउंसिल से मांग की है कि विवादास्पद संशोधनों को स्थगित रखा जाए और किसी भी संशोधन को लाने से पहले व्यापारी संगठनों को विश्वास में लिया जाए । इसके अलावा जीएसटी के प्रभावी कार्यान्वयन और एक अनुकूल व्यापार का वातावरण प्रदान करने के लिए सरकार को एक जीएसटी समिति का गठन करना चाहिए जिसमें केंद्रीय स्तर और राज्य स्तर पर अधिकारी और व्यापार प्रतिनिधि शामिल हों और देश में प्रत्येक जिले में एक जीएसटी समिति हो।