रांची:-झारखंड के लगभग 8 हजार वकीलों की प्रैक्टिस पर तलवार लटक रही है। राज्य के 7 हज़ार 945 अधिवक्ताओं ने अगर समय रहते अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन नहीं कराया तो इनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। इनकी प्रैक्टिस पर भी रोके लग सकती है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने देश के सभी स्टेट बार काउंसिल को वकीलों का सत्यापन कराने का निर्देश दिया है।
झारखंड बार कौंसिल से करीब 21245 वकील निबंधित हैं। लेकिन अभी तक सिर्फ 16493 अधिवक्ताओं ने ही अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया है। जबकि 7945 वकील ऐसे हैं जो बिना सत्यापन कराये वकालत कर रहे हैं।
* क्या कहता है नियम
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बार काउंसिल के वेरिफिकेशन रूल्स 2015 के तहत देश के सभी बार काउंसिल को वकीलों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन को अनिवार्य बताया गया है। पूर्व में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें वकालत की डिग्री लेने के बाद कई लोग प्रैक्टिस के लिए बार कौंसिल से निबंधन कराने के बावजूद प्रैक्टिस न कर दूसरा व्यवसाय करते हैं। एवं जिला बार एसोसिएशन, स्टेट बार काउंसिल एवं बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा वकीलों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेते हैं।
* वकीलों को भेजे गये हैं कई रिमांडर
झारखंड स्टेट बार कॉउंसिल के प्रवक्ता संजय विद्रोह के मुताबिक वर्ष 2010 के बाद इनरोल्ड हुए अधिवक्ता को वेरिफिकेशन फॉर्म नहीं भरना है। जबकि 2010 से पहले इनरोल्ड हुए वकीलों को वेरिफिकेशन फॉर्म भरने के लिए काउंसिल द्वारा पत्र भेजा जा रहा है। इन्हें पिछले 2 वर्षों में कई बार रिमाइंडर भी भेजा जा चुका है। उन्होंने अधिवक्ताओं से वेरिफिकेशन फॉर्म भरने की अपील की है। ताकि वे वकीलों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ ले सकें। और वेरिफिकेशन फॉर्म के अभाव में अधिवक्ताओं की प्रैक्टिस ना रुके। अधिवक्ताओं के निबंधन और वेरिफिकेशन फॉर्म नहीं भरे जाने संबंधी जानकारी झारखंड के अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता दीपेश निराला के आरटीआई से सामने आयी है।