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विश्व आदिवासी दिवस के सुअवसर पर झारखण्ड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने पुस्तक “शिखर को छूते ट्राइबल्स” का ऑनलाइन विमोचन किया.

जमशेदपुर:

विश्व आदिवासी दिवस के सुअवसर पर *झारखण्ड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू* ने पुस्तक *”शिखर को छूते ट्राइबल्स”* का ऑनलाइन विमोचन किया. उन्होनें कहा कि आदिवासी प्रकृति प्रेमी होता है. आज भी जहाँ जहाँ आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं, वहाँ वहाँ पेड़ पौधे नदी नाले जंगल बचे हुए हैं, प्रकृति सुरक्षित है. महामहिम ने कहा कि आदिवासी की संस्कृति है नाचना गाना और आज आदिवासी दिवस का दिन तो नाच गा कर ही मनाया जाता था. किन्तु कोरोना के कारण इस वर्ष यह उत्सव घर में रह कर ही मनाया जा रहा है. आदिवासियों को यदि अवसर मिले तो वे शिखर को छू सकते हैं उदाहरण के तौर पर गिरीश चंद्र मुर्मू को देश का कैग नियुक्त किया गया है. कई आदिवासियों को उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए पद्म अवार्ड्स प्रदान किए गए हैं. यह प्रसन्नता का विषय है कि ऐसे 18 पद्म सम्मानित जनजाति व्यक्तित्वों की संक्षिप्त जीवनियों को पुस्तक का आकार दिया गया है. राज्यपाल ने लेखक संदीप मुरारका एवं प्रकाशक स्टोरी मिरर को अपनी शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आदिवासी लोग विज्ञापन व प्रचार से दूर रहने वाले होते हैं. ऐसे जनजाति समुदाय के विषय में पुस्तक लिखना निसंदेह प्रशंसनीय कार्य है.

गूगल मीट पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए *स्टोरी मिरर प्रकाशक मुम्बई के सीइओ विभु दत्ता* ने कहा कि ये उनके लिए गौरव का पल है कि माटी से जुड़े लोगों के विषय में लिखी गई पुस्तक के प्रकाशन का अवसर मिला. उन्होनें ओड़िया भाषा में भी महामहिम राज्यपाल का अभिवादन किया.

*पुस्तक के लेखक संदीप मुरारका* ने कहा कि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहाँ आदिवासियो ने अपने नाम का परचम ना फहराया हो. इस पुस्तक में जिनकी कहानियाँ हैं, उन आदिवासियों ने अपनी योग्यता व मेहनत के बल पर यह मुकाम हासिल किया है, ना कि आरक्षण के बल पर. जिस प्रकार स्कूलों में स्वतंत्रता सेनानी एवं महापुरुषों की गाथायें पढ़ाई जाती हैं, उसी प्रकार ऐसे महान जनजातीय व्यक्तित्वों की गाथाओं को भी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए.

कार्यक्रम के पहले सत्र का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए *आदिवासी फिल्मकार विनय पूर्ति* ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासियों से सम्बन्धित राष्ट्र स्तरीय पुस्तक का लोकार्पण होना यह सुखद अनुभव है. पुस्तक की प्रस्तावना लिखने के दौरान मैंने पाया कि लेखक ने विषय पर गहराई से शोध किया है . ऐसे चरित्र जो समय के साथ भुला दिए जाते, उन्हें कलमबद्ध कर के भावी पीढ़ी को विरासत के रूप में सौपने का प्रयास है – शिखर को छूते ट्राइबल्स पुस्तक का प्रकाशन.

*कोल्हान विश्वविधालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष शशि लता* ने सफल व जीवित आदिवासी महानुभावों पर लिखी गई पुस्तक को साहित्य समाज के लिए ग्रंथ की संज्ञा दी.

कार्यक्रम को राज्यपाल के निजी सचिव जे पी दाश,
राँची के रवि कांत तिर्की, पुस्तक की संपादक दिव्या मिरचंदानी, सह संपादक अमिता केडिया, कहानीकार व संयोग पुस्तक के लेखक यश यादव, डॉ शिखा तेजस्वीनी ने भी सम्बोधित किया. द्वितीय सत्र का धन्यवाद ज्ञापन स्टोरी मिरर के सीओओ हितेश जैन ने किया.

 

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