भारतीय स्टेट बैंक कोरोना की वजह से प्रभावित हुए अपने रिटेल कर्जदारों और होम लोन लेने वालों को राहत दी है। बैंक या तो दो साल यानी 24 महीने तक का मोराटोरियम मुहैया कराएगा या फिर लोन को रीस्ट्रक्चर कर के उसकी अवधि को 2 साल तक के लिए बढ़ाएगा। भारतीय स्टेट बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर सीएस शेट्टी ने इस स्कीम की घोषणा करते हुए कहा कि रीस्ट्रक्चरिंग की अवधि इस बात पर निर्भर करेगी कि कोरोना से प्रभावित शख्स की आमदनी कब से शुरू हो सकती है। या फिर कब तक वह दोबारा नौकरी पर लग सकते हैं।
किसे मिलेगी ये सुविधा
भारतीय स्टेट बैंक की ये सुविधा उन लोगों को मिलेगी, जिन्होंने 1 मार्च 2020 से पहले लोन लिया हुआ है और कोरोना के चलते लॉकडाउन की वजह से उनकी आमदनी प्रभावित हुई है। हालांकि, कर्जदारों को ये साबित करना होगा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से उनकी आमदनी प्रभावित हुई है। यानी ऐसा ना समझें कि हर ग्राहक इस सुविधा का फायदा उठा सकता है।
HDFC और ICICI जैसे बैंक भी दे सकते हैं ऐसी सुविधा
भारतीय स्टेट बैंक लोन रीस्ट्रक्चरिंग में सबसे आगे है, लेकिन आने वाले समय में HDFC और ICICI जैसे बैंक भी लोन रीस्ट्रक्चरिंग की सुविधा दे सकते हैं। उम्मीद की जा सकती है कि यह बैंक इस महीने के आखिरी तक इस सुविधा की ओर जा सकते हैं। लोगों की लोन रीस्ट्रक्चरिंग की योग्यता को समझने के लिए भारतीय स्टेट बैंक ने एक ऑनलाइन पोर्टल भी लॉन्च किया है।
यूं तय होगी मोराटोरियम की अवधि
ग्राहकों के आय के स्रोत की पूरी एनालिसिस के बाद बैंक ये पता लगाएगा कि एक ग्राहक को कितने दिनों तक मोराटोरियम की सुविधा दी जाए। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार कर्जदारों को 6 महीने से लेकर 2 साल तक के मोराटोरियम की सुविधा दी जाएगी। यह सुविधा किसे 6 महीने के लिए मिलेगी और किसे ज्यादा दिन के लिए, ये एनालिसिस के बाद पता चलेगा।
90 लाख ग्राहक चाहेंगे इस सुविधा का फायदा उठाना
जून के अनुसार बैंक के करीब 10 फीसदी लोन पर अभी मोराटोरियम सुविधा दी जा रही है और रजनीश कुमार का मानना है कि अधिक लोग लोन रीस्ट्रक्चर के लिए अप्लाई नहीं करेंगे। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि करीब 90 लाख लोग इस सुविधा का फायदा उठाना चाहेंगे। बता दें कि जो भी कॉरपोरेट या एमएसएमई लोन रीस्ट्रक्चर की सुविधा पाना चाहते हैं उन्हें बैंक की किसी ब्रांच में जाना होगा, वह ऑनलाइन यह सुविधा नहीं ले पाएंगे।