Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsair domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u490868641/domains/newsrajdhani.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsair domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u490868641/domains/newsrajdhani.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
चंदवा के देवनद घाट और भुषाड़ घाट सज धज कर तैयार  । पहला अर्घ्य आज, अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगी व्रती – Rajdhani News
Fri. Nov 22nd, 2024

चंदवा के देवनद घाट और भुषाड़ घाट सज धज कर तैयार  । पहला अर्घ्य आज, अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगी व्रती

चंदवा के देवनद घाट और भुषाड़ घाट सज धज कर तैयार

 

*पहला अर्घ्य आज, अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगी व्रती*

 

चंदवा। चंदवा के दोनों छोर स्थित दक्षिणी छोर पर देवनद घाट और उत्तर दिशा में भुषाड़ घाट सज धज को तैयार पहला अर्घ्य आज, अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगी व्रती

चार दिवसीय महापर्व छठ का पहला अर्घ्य कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को दिया जाता है. इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस साल पहला अर्घ्य 30 अक्टूबर को है. पष्ठी तिथि को सूर्यास्त 05 बजकर 34 मिनट में होगा. व्रती दिन भर निर्जला व्रत रखकर शाम में किसी तालाब, नदी या जलकुंभ में जाकर सूर्य की उपासना करती हैं और डूबते हुए सूर्य के अंतिम किरण को दूध और पानी से अर्घ्य देती है।

पहले अर्घ्य के दिन सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं

बता दें कि केवल छठ महापर्व में ही अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य की उपासना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसीलिए छठ के पहले अर्घ्य के दिन प्रत्यूषा को अर्घ्य देने से लाभ की प्राप्ति होती है. सनातन मान्याताओं के अनुसार, अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन की सभी परेशानी दूर होती हैं और जीवन में संपन्नता आती है. सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र का प्रयोग करना चाहिए. इसमें दूध और गंगा जल मिश्रित करके सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।

दूसरे दिन उदीयमान सूर्य को दिया जाता है।

अर्घ्य छठ पूजा का अंतिम दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होता है. इस दिन सूर्योदय के समय उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. इस साल दूसरे और अंतिम अर्घ्य 31 अक्टूबर को दिया जायेगा. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा. उदियमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण कर निर्जला उपवास तोड़ती हैं. जिसके बाद छठ महापर्व का समापन हो जाता है. परंपरा के अनुसार, छठ के दूसरे दिन सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देकर धन, धान्य और आरोग्य की कामना की जाती है।इधर सूर्य की उपासना को लेकर चंदवा में कई सामाजिक संगठन सड़क की सफाई , नाली की सफाई घाट की सफाई वही व्रतियों के लिए बहुत ही कम दर पर फल, ईख , और जगह जगह पर चाय का स्टाल ना जाने इस महापर्व में सभी धर्मों के लोग साक्षात भगवान सूर्य की उपासना में लगे हुए हैं वहीं सड़क में संस्थान की ओर से रात्रि में प्रकाश की भी व्यवस्था की गई है बताते चलें कि इस महापर्व में प्रशासन की भी अहम भूमिका रहती है विश्व में ट्रैफिक व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाता है हमको अर्क के बाद सभी लोग अपने अपने घर लौट जाते हैं और दूसरे दिन 2:00 बजे सुबह से ही घर से निकलकर घाट की ओर प्रस्थान करते हैं इस बार विवेका नंद किशोर संस्था की ओर से व्रतियों के लिए घाट में ही दुउरा पीतल के कलश दिया जा रहा है वही रौनियार समाज के तरफ से सभी व्रतियों को पूजा के लिए ईख की भी व्यवस्था की गई है। विवेका नंद किशोर संस्था अपने 52 वर्ष मना रहा है जिससे उनके सदस्यों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। वही हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भगवान भुवन भास्कर की प्रतिमा रखी गई है पंडित गोपाल वैद्य और जजमान संजीव कुमार आजाद उर्फ पप्पू के द्वारा भगवान भवन भास्कर की पूजा की जाएगी और वृत्ति भवन भास्कर के प्रतिमा को पच कर्मा करने के लिए तैयार रहते हैं।

Related Post