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अनिवार्य जीएसटी नंबर छोटे खुदरा विक्रेताओं के लिए ई-कॉमर्स को अपनाने में एक बाधा है

कैट ने वित्त मंत्री सीतारमण से ई-कॉमर्स के लिए अनिवार्य ज़ीएसटी शर्त को हटाने का आग्रह किया

 

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का ध्यान जीएसटी के तहत एक विसंगति की ओर आकर्षित किया है जो प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “डिजिटल इंडिया” के दृष्टिकोण के विपरीत है और श्रीमती सीथारमन से आग्रह किया है की जीएसटी काउन्सिल से चर्चा कर इस विसंगति को तुरंत समाप्त किया जाने का आग्रह किया है।

 

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थालिया ने कहा कि जीएसटी अधिनियम के तहत एक विक्रेता जो ई-कॉमर्स में उत्पाद बेचना चाहता है, उसे अनिवार्य रूप से जीएसटी नंबर प्राप्त करना आवश्यक है। कोई भी विक्रेता जिसके पास जीएसटी नंबर नहीं है, उसे उत्पाद बेचने की किसी भी ई-कॉमर्स पोर्टल पर अनुमति नहीं है । अधिनियम का यह प्रावधान देश भर के लाखों व्यापारियों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए ई-कॉमर्स का उपयोग करने से रोक रहा है।

 

श्री खंडेलवाल और श्री सोन्थालिया ने कहा कि एक ओर जहां पीएम मोदी के विजन के अनुसरण में कई मंत्रालय और राज्य सरकारें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अधिक से अधिक विक्रेताओं को लाने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन जीएसटी नंबर के बिना विक्रेताओं को अनुमति नहीं देने का प्रावधान देश के लाखों व्यापारियों द्वारा डिजिटल कॉमर्स को अपनाने के लिए एक प्रमुख निवारक और रोड़ा बन गया है । सरकार देश में छोटे खुदरा विक्रेताओं के सशक्तिकरण के बारे में बहुत कुछ करने का इरादा रखती है लेकिन चूंकि इन छोटे खुदरा विक्रेताओं का सालाना कारोबार 40 लाख रुपये से कम है, इसलिए उन्हें जीएसटी पंजीकरण लेने से छूट दी गई है और इसलिए जीएसटी परिषद द्वारा दी गई यह राहत एक दुःस्वप्न बन गई है ख़ास तौर पर उन छोटे व्यापारियों के लिए जो डिजिटल कॉमर्स को अपनाना चाहते हैं।

 

कैट ने कहा कि किसी भी ई-कॉमर्स पोर्टल पर ऑनबोर्ड करते समय जीएसटी नंबर की शर्त को हटाना ज़रूरी है ।प्रमाणीकरण के उद्देश्य से, आधार संख्या, बैंक खाता विवरण या इसी तरह के अन्य उपायों को ई-कॉमर्स पोर्टल पर ऑनबोर्डिंग के लिए आवश्यक योग्यता के रूप में निर्दिष्ट किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि न केवल व्यापारियों बल्कि बड़ी संख्या में कारीगरों, शिल्पकारों, कुटीर और घरेलू उद्योगों, कलाकारों और अन्य समान वर्गों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खुद को शामिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो न केवल घरेलू बाजार बल्कि निर्यात को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। अधिक मात्रा में भुगतना पड़ रहा है।

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