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ट्रैफिक पुलिस की दबंगई: सड़क पर वाहन चालकों को परेशान करने का नया हथकंडा, नियम ताक पर रखकर वसूली का खेल जारी

जमशेदपुर। ट्रैफिक पुलिस की दबंगई रुकने का नाम नहीं ले रही है। वाहन जांच के नाम पर सड़क पर खड़े होकर लोगों को परेशान करने, धमकाने और नज़राना वसूलने का खेल आम हो गया है। ताजा मामला सिदगोड़ा 28 नंबर रोड का है, जहां पेड़ के पीछे छिपकर बैठे ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने टाटा स्टील के अधिकारी प्रदीप तियू को उस वक्त दबोच लिया जब वे पत्नी को डॉक्टर के पास छोड़कर लौट रहे थे।

प्रदीप तियू न्यू बारीडीह के रहने वाले हैं और टाटा स्टील में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि रविवार सुबह वे अपनी पत्नी को एग्रिको विद्यापतिनगर स्थित डॉक्टर के पास ले गए थे। जैसे ही उन्होंने पत्नी को बाइक से उतारा, वैसे ही पेड़ के पीछे छिपकर बैठा ट्रैफिक पुलिस का जवान दौड़ पड़ा और उनकी बाइक की चाभी जबरन छीनने की कोशिश करने लगा। जब चाभी नहीं छिन पाया तो उसने प्रदीप तियू के सिर पर से हेलमेट ही उतार लिया और बाइक को भी जबरदस्ती ले जाने की कोशिश की।

यह पहली बार नहीं है जब ट्रैफिक पुलिस पर इस तरह की गंभीर लापरवाही और अवैध वसूली के आरोप लगे हैं। आए दिन वाहन चालकों को पकड़ने के लिए पुलिसकर्मी पेड़, गुमटी, और खंभों के पीछे छिपकर बैठ जाते हैं और मौका मिलते ही वाहन चालकों को पकड़कर डराने-धमकाने लगते हैं। कई बार तो वाहन चालकों को चाभी जबरन छीनकर उन्हें असहाय बना देते हैं।

टाटा स्टील के अधिकारी प्रदीप तियू ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस के जवान नियमों का खुला उल्लंघन कर रहे हैं। एसएसपी और डीसी बार-बार कहते हैं कि वाहन जांच के दौरान बाइक सवार की चाभी जबरन छीनने का कोई नियम नहीं है। इसके बावजूद पुलिसकर्मी इस तरह की हरकत करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

शहर में इस दबंगई के खिलाफ आजसू, भाजपा और महिला संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कई बार अधिकारियों को ज्ञापन देने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं।

सवाल यह उठता है कि जब बार-बार नियम तोड़ने की शिकायतें पहुंच रही हैं तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? क्या पुलिस प्रशासन की जवाबदेही खत्म हो गई है?

यह मामला न केवल प्रदीप तियू के साथ हुई ज्यादती है, बल्कि हर उस आम नागरिक के अधिकारों का भी हनन है, जो सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस के इस दबंगई का शिकार बन रहे हैं। सवाल अब यह है कि पुलिस की इस मनमानी पर लगाम कौन लगाएगा?

अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर प्रकरण पर क्या ठोस कदम उठाता है, ताकि भविष्य में वाहन चालकों के साथ इस तरह की अवैध वसूली और दबंगई पर अंकुश लगाया जा सके।

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