धनबाद: धनबाद जिले में अपराध नियंत्रण और गश्ती व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए पुलिस प्रशासन ने एक नई और अत्याधुनिक पहल की है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रभात कुमार ने शनिवार को टेलीफोन के ज़रिए बातचीत के क्रम में जानकारी दी कि जिले में क्यूआर बेस्ड बीट पेट्रोलिंग सिस्टम (QR Based Beat Patrolling System) लागू किया गया है। यह तकनीकी व्यवस्था पूरे देश में पहली बार धनबाद में लागू की जा रही है।
धनबाद की सुरक्षा कितनी प्रभावी होगी?
धनबाद के एसएसपी प्रभात कुमार: ज़मीन से जुड़े अधिकारी, जिनकी निगरानी में अपराधियों की नहीं चलती,धनबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार को काम करने वाले अफसरों की श्रेणी में गिना जाता है। वे न केवल ऑफिस के भीतर निर्णय लेने में तेज़ हैं, बल्कि शहर की ज़मीनी हकीकत को खुद देखने के लिए अक्सर सड़कों पर उतरते हैं। कभी बाइक पर पेट्रोलिंग करते हुए, तो कभी आम लोगों के बीच गोलगप्पे खाते हुए – उनका सहज और सख्त दोनों रूप धनबाद के लोग भलीभांति जानते हैं।
अपराधियों के खिलाफ प्रभात कुमार की नीति बिल्कुल स्पष्ट है – सख्त और ज़ीरो टॉलरेंस।
बड़े अपराधियों पर वे खुद कार्रवाई के लिए सड़कों पर उतरते हैं। उनकी इस कार्यशैली ने न केवल अपराधियों में डर पैदा किया है, बल्कि आम लोगों में विश्वास भी जगाया है कि “पुलिस हर समय सतर्क है।”
अब गश्ती में लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं बची है। हाल ही में लागू किया गया क्यूआर बेस्ड बीट पेट्रोलिंग सिस्टम पुलिस को हाईटेक और जवाबदेह बना रहा है। कंट्रोल रूम को हर गश्ती की रियल-टाइम लोकेशन, पेट्रोलिंग का समय और पुलिसकर्मी की पहचान की जानकारी मिल रही है। इससे अधिकारियों को यह साफ़ पता रहता है कि कौन गश्ती पर था, कहां था और कितनी बार किसी इलाके में गश्ती की गई।
इस तकनीकी निगरानी और सक्रिय नेतृत्व के चलते अब धनबाद में अपराधियों के लिए जगह सीमित होती जा रही है। प्रभात कुमार की यह पहल न केवल जिले के लिए मिसाल बन रही है, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक मॉडल भी साबित हो सकती है।
एसएसपी ने बताया कि इस प्रणाली के अंतर्गत जिलेभर में 1000 से अधिक स्थानों पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं। पेट्रोलिंग पर निकले पुलिसकर्मी इन कोड्स को स्कैन करेंगे, जिससे उनके मूवमेंट की रियल टाइम मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम से की जा सकेगी।
उन्होंने कहा, “इस सिस्टम से यह पता लगाया जा सकेगा कि किस क्षेत्र में कितनी बार गश्ती हुई है, कौन पुलिसकर्मी गश्ती पर है और किस क्षेत्र में गश्ती नहीं हुई। इससे किसी भी प्रकार की लापरवाही पर तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।”
इस तकनीकी पहल में पीसीआर वैन, टाइगर मोबाइल यूनिट और अन्य गश्ती दल शामिल होंगे। सभी गश्ती गाड़ियों को जीपीएस सिस्टम से भी जोड़ा गया है, जिससे यह भी पता चल सकेगा कि कोई वाहन कितनी देर से कहां खड़ा है। यदि कोई गाड़ी निर्धारित समय से अधिक देर तक किसी स्थान पर खड़ी पाई जाती है, तो उसका कारण जांचा जाएगा।
धनबाद पुलिस के पास इस समय 30 पीसीआर वैन, हाईवे पेट्रोलिंग यूनिट और 50 टाइगर मोबाइल यूनिट हैं, जो दिन-रात गश्ती में लगे रहते हैं। एसएसपी ने कहा कि शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में सिटी एसपी और ग्रामीण एसपी के साथ-साथ सभी वरीय अधिकारी कंट्रोल रूम से इस पूरे सिस्टम पर नजर रखेंगे।