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दलाल एवं बिचौलिए तालाब जीर्णोद्धार के नाम पर खानापूर्ति कर पुनः सरकारी राशि की लूट एवं बंदरबांट करने के फिराक में

*चंदवा प्रखंड में तालाब निर्माण योजना पास करवाने के नाम पर फिर से ठगे गए ग्रामीण।*

 

*दलाल एवं बिचौलिए तालाब जीर्णोद्धार के नाम पर खानापूर्ति कर पुनः सरकारी राशि की लूट एवं बंदरबांट करने के फिराक में।*

 

*बिचौलियों ने विधायक से अनुशंसा कराकर तालाब पास करवाने के नाम पर ग्रामीणों से वसूले दो–दो लाख रुपए।*

 

*पूर्व में भी बिचौलियों द्वारा विधायक के नाम पर ग्रामीणों से ठगे गए हैं लाखों रुपए।*

 

*बिचौलियों एवं सरकारी अभियंताओं के भ्रष्ट गठजोड़ द्वारा बिना एक भी इंच मिट्टी खोदे निकाल ली गई थी योजना की राशि।*

 

 

 

चंदवा।चंदवा प्रखंड में एक बार पुनः नेता अधिकारी एवं बिचौलियों के भ्रष्ट गठजोड़ द्वारा बंजर भूमि राइस फैलो विकास योजना अंतर्गत सरकारी तथा निजी तालाब जीर्णोद्धार एवं गहरीकरण योजना के नाम पर सरकारी राशि की लूट एवं बंदरबांट करने की तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। इस बार भी पिछली बार की ही तरह विधायक द्वारा अनुशंसा कराकर तालाब पास करवाने के नाम पर स्थानीय विधायक के बिचौलियों द्वारा भोले भाले ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर दर्जनों ग्रामीणों से प्रति तालाब दो –दो लाख के दर से रुपए वसूले गए हैं। एक ओर तो इनमें से कुछ ग्रामीणों के काम पास हो गए परंतु कुछ के नहीं हुए, अब जिनके तालाब पास हो गए उनके पीछे सरकारी राशि की लूट एवं बंदरबांट करने हेतु तथाकथित विधायक के लेफ्ट / राइट हैंड और बिचौलिया रूपी कुछ नेता सत्ता का रुआब दिखाते हुए लगे हुए हैं। ये दलाल एवं बिचौलिए घटिया निर्माण को छुपाने हेतु आम लोगों से दुगनी बेसब्री से मानसून का इंतजार कर रहे हैं परंतु यह मानसून भी बड़ी बेरुखी से देर कर उनके अरमानों पर बिजलियां गिरा रहा है। अब दूसरी ओर वैसे लोग हैं जिनके तालाब पास नहीं हुए ऐसे लोग अपने पैसे की वापसी हेतु सत्ताधारी पार्टी के प्रखंड के मालिक बतलाने वाले नेता सह बिचौलिया सह विधायक के लेफ्ट हैंड के पीछे लगे हुए हैं परंतु पिछली बार की तरह इस बार भी विधायक के लेफ्ट /राइट हैंड इन्हें बहलाने, फूसलाने तथा टहलाने में लगे हुए हैं। अब तो उन लोगों ने ग्रामीणों का फोन भी उठाना बंद कर दिया है।

विदित हो कि पिछली बार 2021 – 22 में भी बंजर भूमि/राइस फेलो विकास योजना के तहत तालाब जीर्णोद्धार एवम गहरीकरण योजना के नाम पर विधायक के इन्हीं लेफ्ट/ राइट हैंड द्वारा ग्रामीणों से अद्भुत ढंग से लूट एवं ठगी की गई थी। उक्त लूट की मार से अभी भी ग्रामीण जल बिन मछली की तरह छटपटा रहे हैं और विधायक के यही लेफ्ट– राइट इन्हें अब भी भुगतान करवा देने का झांसा दे रहे हैं जबकि उक्त योजना पिछले वर्ष ही कैंसिल हो चुका है। इस योजना को पास करवाने के नाम पर भी विधायक के इन्हीं लेफ्ट राइट हैंड द्वारा ग्रामीणों से लाखों रुपए वसूले गए थे।

इस लूट की कहानी और भी रोचक है पहले योजना पास करवाने के नाम पर ग्रामीणों से लाखों रुपए वसूले गए और फिर योजना का अभिलेख भी खोला गया इतना ही नही अभिलेख खोलने के बाद योजना के क्रियान्वयन हेतु भूमि संरक्षण पदाधिकारी लातेहार के पत्रांक 127 दिनांक 31–3– 2022 के द्वारा शाखा प्रबंधक केनरा बैंक लातेहार तथा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया चंदवा शाखा को पानी पंचायत समिति का गठन होने एवं समिति के अध्यक्ष सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से खाता खोलने का अनुरोध किया गया जिसके आधार पर सभी गठित पानी पंचायत समितियों के अध्यक्ष/ सचिव के नाम से बैंक में खाता खोलकर उन्हें पासबुक एवं चेक बुक भी निर्गत किया गया। उक्त प्रक्रिया के संपन्न होने के उपरांत भूमि संरक्षण विभाग द्वारा लाभुकों को कार्य शुरू करने का मौखिक आदेश दिया गया। विभाग के मौखिक आदेश के बाद लाभुकों ने कार्य प्रारंभ कर दिया विधायक के बिचौलियों द्वारा लाभुकों को शीघ्र भुगतान करवा देने का लालच दिया जाता रहा कुछ लाभुकों ने योजना को लगभग पूर्ण भी कर लिया परंतु भुगतान आज तक नहीं हुआ। बाद में पता चला कि उक्त योजना को तत्कालीन उपायुक्त ने कैंसिल कर दिया था। योजना कैंसिल होने के बावजूद भी ग्रामीण तथा लाभुक कहीं योजना पास करवाने के नाम पर बिचौलियों को दिए गए लाखों रुपए वापस ना मांगने लगे इसलिए ग्रामीणों को योजना कैंसिल हो जाने के बाद भी बिचौलिए ठगते रहे और लाभुक योजना का कार्य करते रहे। अब उक्त योजना के क्रियान्वयन के एक वर्ष से ज्यादा बीत गए परंतु भुगतान न होना था ना हुआ क्योंकि कैंसिल योजना का भुगतान कैसे हो सकता है? अब उक्त योजना का भुगतान न होने के कारण ग्रामीणों के बीच तहलका मचा हुआ है और उनके लाखों रुपए डूब गए हैं वह बर्बाद हो गए हैं परंतु बिचौलियों द्वारा अभी भी उन्हें भुगतान करवा देने का झूठा लालच देकर ठगा तथा बेवकूफ बनाया जा रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि ग्रामीणों की इस बर्बादी और दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है विधायक, बिचौलिया या ऑफिसर फिलहाल दोषी कोई भी हो हमेशा की तरह गरीब ग्रामीण जनता ही ठगी और लूटी गई है।

वित्तीय वर्ष 2021– 22 में ही इन्हीं बिचौलियों द्वारा कुछ भ्रष्ट अभियंताओं के साथ गठजोड़ कर चंदवा प्रखंड में जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) फंड से ली गई तालाब निर्माण योजनाओं में भारी तथा अभूतपूर्व लूट मचाई गई थी। इस मद से ली गई योजना सं–167/21–22 ग्राम पंचायत माल्हन के ’सलैया डीह तालाब निर्माण’ तथा योजना संख्या 168/21–22 ’ग्राम गनियारी तालाब निर्माण’ में बिना 1 इंच भी मिट्टी खोदे योजना प्रगति की झूठी रिपोर्ट दिखाकर एवम योजना सं– 165/21–22, 166/21–22 ,169/21– 22, 170/21– 22,171/21– 22, 172/ 21– 22 तथा 173/21–22 में भारी अनियमितता बरतते हुए डीएमएफटी फंड के करोड़ों रुपए की राशि की लूट तथा बंदरबांट कर ली गई थी। उक्त लूट की घटना पर झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य दीपू कुमार सिन्हा ने उपायुक्त लातेहार से लिखित शिकायत कर दोषी लोगों पर कार्रवाई एवं सरकारी राशि की रिकवरी की मांग की थी। उस समय भी इस लूट के पूरे प्रकरण की विस्तृत खबर आपके प्रिय अखबार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इस भारी लूट एवं अनियमितता की खबर ने पूरे प्रदेश स्तर पर सुर्खियां बटोरी थी जिस पर झारखंड के मुख्य सचिव ने भी संज्ञान लेकर जांच कराने का निर्देश दिया था। मुख्य सचिव के निर्देश के बाद अखबार की खबर एवं लिखित शिकायत के आधार पर जांच कमिटी बनाकर उक्त घोटाले की जांच की गई थी जिसमें प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने वाले सरकारी अभियंताओं पर विभागीय कार्रवाई भी हुई और इस प्रकरण की विस्तृत जांच अब भी जारी है। इस चर्चित घटना के बाद उक्त भ्रष्ट गठबंधन के बिचौलिए एवं दलाल कुछ दिन खामोश थे परंतु मामले के पुराना पड़ते ही इस बार वे पुनः सक्रिय हो गए हैं। एक ओर फिर से विधायक के अनुशंसा से तालाब पास करवा देने के नाम पर भोले-भाले ग्रामीणों से लाखों रुपए वसूले गए हैं जिसमें कुछ ही लोगों के तालाब पास हुए और अधिकतर लोगों के लाखों रुपए को बिचौलियों ने डकार लिया है। अब दूसरी ओर जो तालाब पास हुए हैं उसमें भी पूर्व की भांति घोर अनियमितता तथा घपले बाजी कर सरकारी राशि की लूट तथा बंदरबांट करने की पुरजोर तैयारी है।

चंदवा प्रखंड में वित्तीय वर्ष 2023 में एक बार फिर से पूर्व की ही भांति भूमि संरक्षण विभाग द्वारा बंजर भूमि/ राइस फैलो विकास योजना 2022–23 के अंतर्गत सरकारी/ निजी तालाबों के जीर्णोद्धार एवं गहरीकरण योजना के तहत प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में विधायक के अनुशंसा पर दर्जनाधिक तालाब जीर्णोद्धार एवं गहरीकरण की योजनाएं ली गई हैं। इस बार ली गई योजनाओं में एक बात गौर करने वाली है कि पिछले वित्तीय वर्ष में लूट का केंद्र बने माल्हन पंचायत में एक भी योजना नहीं दी गई है। लगता है कि इस पंचायत के वासियों द्वारा पिछली योजनाओं में सरकारी राशि की लूट तथा बंदरबांट की घटना को उजागर किए जाने के दंड स्वरूप यहां विधायक तथा उनके लेफ्ट– राइट द्वारा एक भी योजना नहीं दी गई है।

इस माध्यम से शायद वे चंदवा वासियों को यह बतलाना चाहते हैं कि उनके लूट का जहां के लोग विरोध करेंगे उस गांव तथा पंचायत के वासियों को परमानेंट सरकार की विकास योजनाओं से वंचित कर दिया जाएगा इस बहाने वे अपने भ्रष्ट गठबंधन की ताकत दिखलाना चाहते हैं।

वैसे इस बार भी इनके द्वारा चंदवा प्रखंड के इन दर्जनाधिक तालाबों में लूट की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है। इन सभी तालाबों की प्राक्कलित राशि 16 से 18 लाख रुपए के बीच है। प्राक्कलन के अनुसार इस राशि से 225/ 200 के आकार के तालाब का जीर्णोद्धार करना है जिसमें 12 फीट की गहराई तक मिट्टी काटनी है। हर तालाब में लगभग 10,000 से लेकर 12,000 क्यूबिक मीटर तक मिट्टी की कटाई और खुदाई करनी है। हर तालाब की योजना में तालाब के चारों ओर 1 फीट ब्यास का ह्यूम पाइप लगाकर इनलेट एवं आउटलेट बनाना है। नियम के अनुसार योजना के चयनित कार्य स्थल पर ग्रामीणों के बीच आम सभा कर अभिकर्ता अध्यक्ष/ सचिव का चयन करना है,

परंतु लूट को अंजाम देने हेतु अभिकर्ता चयन के मामले में भारी अनियमितता बरतते हुए बिचौलियों तथा सरकारी कर्मियों के गठजोड़ द्वारा कागज में ही फर्जी ग्रामसभा कर अपने मनोनुकूल अभिकर्ता का चयन कर लिया गया है। सरकारी रिपोर्ट में 1 से 4 अप्रैल 2023 के बीच योजनाओं का कार्य प्रारंभ दिखलाया गया है परंतु सभी योजनाएं मई के अंतिम सप्ताह से लेकर जून के प्रथम सप्ताह में प्रारंभ की गई हैं। अभी भी इन योजनाओं में तेजी से निर्माण कार्य करने का प्रयास हो रहा है। कुछ योजनाएं दो-चार दिनों पहले ही प्रारंभ की गई हैं। कुछ योजनाओं में 2 से 3 फीट मिट्टी की कटाई की गई है तो कुछ में अधिकतम 6 से 7 फीट तक मिट्टी की खुदाई हुई है। किसी भी योजना में योजना से संबंधित बोर्ड नहीं लगाया गया है जिससे ग्रामीणों को योजना से संबंधित जानकारी मिल सके। सब कुछ जल्दी-जल्दी और गुपचुप ढंग से करने का प्रयास हो रहा है जो पुनः सरकारी राशि की लूट तथा बंदरबांट करने के अंदेशे को बलवती कर रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब 15 जून के बाद मिट्टी से संबंधित योजनाओं में निर्माण कार्य बंद कर देने का सरकारी नियम है तो जून के अंतिम सप्ताह तक अफरा-तफरी में योजनाओं का क्रियान्वयन क्यों और कैसे किया जा रहा है?

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