पोटका : डेटन इंटरनेशनल स्कूल, तेतला में आदिवासी चिकित्सा पद्धति ( होडोपैथी )पर एक कार्यशाला का आयोजन हैड़ोपैथी एथनोमेडिसिन डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया. द्वारा किया गया l जिसमें तकरीबन झारखंड के अलग-अलग जिलों से 45 होडोपैथी पर प्रैक्टिस करने वाले वैद्यराजो का जुटान हुआ l कार्यशाला में केरल से आए हुए वरिष्ठ बोटानिस्ट वैज्ञानिक डॉ राधाकृष्णन, लखनऊ से आए हुए वरिष्ठ बोटानिस्ट वैज्ञानिक डॉ अनिल गोयल, गिरिडीह से आए हुए होडोपैथी विशेषज्ञ डॉ पीपी हेंब्रोम एवं बैद्यराज मान सिंह मुंडा जी उपस्थित थे l संस्था के तहत देश का पहला आदिवासी चिकित्सा ( होडोपैथी ) को अनुसंधान एवं बढ़ावा देने के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एथनो मेडिसिन ( नीम ) का शिलान्यास भी किया गया l इंस्टिट्यूट में आदिवासी पद्धति से विभिन्न बीमारियों का इलाज एवं अनुसंधान किया जाएगा एवं विभिन्न प्रकार के जड़ी बूटी से दवाइयां तैयार की जाएंगी l साथ ही, होडोपैथी को बढ़ावा देने के लिए 3 वर्षीय कोर्स का संचालन किया जाएगा एवं डिग्रियां प्रदान की जाएंगी l होडोपैथी के क्षेत्र में भी अब डॉक्टर बनेंगे l कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि के रूप में केरल से आए हुए डॉ राधाकृष्णन जी ने कहा कि आने वाला समय ट्राइबल मेडिसिन का होगा l यह पद्धति आज का नहीं है बल्कि सैकड़ों वर्ष पुरानी पद्धति है l जिसमें गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज संभव है झारखंड में इस संस्थान के माध्यम से नए-नए बीमारियों का इलाज के लिए रिसर्च किया जाएगा और यहां पर हम लोग मेडिसिनल प्लांटेशन एवं कल्टीवेशन यहां के किसानों को साथ लेकर करेंगे एवं मेडिसिनल इंडस्ट्री भी स्थापित होगा साथ ही साथ दवाइयों का प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग भी एक ही एरिया में संभव हो पाएगा l इस प्रक्रिया से नए-नए रोजगार का भी अवसर प्राप्त होंगे इसके अलावा उद्यमिता को भी बढ़ावा मिलेगा l
वही, होडोपैथी के विशेषज्ञ डॉ पीपी हेंब्रम ने कहा कि यह आदिवासियों की प्राचीन पद्धति है जिसे हमें बचाए रखना है इस पद्धति को एक स्वरूप देकर आगे बढ़ाया जाएगा l नए विशेषज्ञ पैदा किए जाएंगे l इसके अलावा उनको डिग्रियों से भी सुसज्जित किया जाएगा ताकि इनको भी मेडिकल क्षेत्र में जगह मिल सके l डॉ.हेंब्रम ने कहा कि आने वाले दिनों में पूर्वी सिंहभूम मेडिसिनल खेती के विश्व विख्यात होगा l अन्य अतिथि डॉ.अनिल गोयल ने कहा कि झारखंड में देश का पहला एथोनो मेडिसिन संस्थान का खुलना आदिवासी चिकित्सा पद्धति के लिए वरदान साबित होगा l इसमें राज्य सरकार को भी चाहिए कि ऐसे संस्थानों को स्थापित करने में मदद करें l आदिवासी राज्य में आदिवासी पद्धति को बढ़ावा देना ही चाहिए l कार्यक्रम में मुख्य रूप से भोपाल मुर्मू, निरंजन नाथ मुर्मू, धीरेंद्र नाथ महतो, पिथो नाथ मुर्मू, निमाई चंद्र महतो, छोटराय मारड़ी, बिरजू हेंब्रम, बसंती सरदार, सुदर्शन महतो, मोहन हरदा, खेलाराम सोरेन इत्यादि मौजूद थे