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Fri. Mar 14th, 2025

महुआडांड़ का आदिवासी बहुल गांव जहां हर घर में पैदा होते थे सोलजर।

महुआडांड़ प्रखण्ड के चैनपुर पंचायत का एक ग्राम है बहेराटोली।यह आदिवासी बहुल गांव यहां 70 घर की आबादी है। वहीं गांव की जनसंख्या 350 से ऊपर है। इस गांव की सबसे बड़ी खासियत है- यहां हर घर से कोई न कोई सेना (आर्मी ) में रह चुका है।

 

महुआडांड मुख्यालय से 6 किमी दूर है से गांव…

 

महुआडांड़ प्रखंड से 6 किमी दूरी पर बहेराटोली गांव स्थित है। यह एक आदिवासी बहुल गांव है, वर्तमान मे इस गांव से 2 आर्मी एवं आधा दर्जन से अधिक पुलिस बल मे शामिल है। जबकि गांव 80 से अधिक भूतपूर्व सैनिक रह चुके हैं। कई ऐसे परिवार हैं, जिसमें दादा भूतपूर्व सैनिक रहे हैं तो बेटा सेना या पुलिस का जवान है। वही गांव के युवा सैनिक बनने की जी तोड़ कोशिश में लगे रहते है।

 

मार्शल कुजूर (75) भूतपूर्व आर्मी के सुबेदार पद पर रह चुके कहते है कि 1962 मे आर्मी मे शामिल हुआ था।1990 तक इस गांव से लगभग हर घर से एक या उससे अधिक लोग सेना मे शामिल थे। 1965 या फिर 1971 का युद्ध या कारगिल की लड़ाई, यहां के फौजियों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

 

भूतपूर्व सैनिकों (आर्मी ) अलबिनुस खलखो ( 73 ) कहते है, इस गांव को फौजीयो का गांव कहा जाता है। इस गांव से आर्मी मे सबसे पहले मारकुश एक्का जो लगभग 1952 मे नौकरी लगी थी। उनसे ही प्रभावित होकर गांव से युवा फौज मे जाने लगे थे। 1965 मे हम तीन भाई एक साथ ही आर्मी मे शामिल हुए थे। और 20 साल तक देश का सेवा किये। लेकिन जब झारखंड अलग हुआ तो यहां से बहाली के लिए युवाओ संख्या कमी आती गई।

 

गांव के युवा अमोद पन्ना ने बताया कि आज भी गांव से हम युवा सेना मे जाना चाहते है, इसे लेकर हम तैयारी भी करते है, दौड़ में शामिल होते हैं लेकिन कभी मेडिकल तो कभी हाईट मे छाठ दिया जाता हैं। 2019 मे रांची 2020 दुमका और 2021 मोरहाबादी मे बहाली को लेकर गया था पर तीनो बार नाकाम रहा।

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