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Wed. Feb 5th, 2025

किसान एकजुटता मंच का पथ निर्माण विश्रामागार में बैठक  मोदी सरकार द्वारा किसान विरोधी कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का किसान एकजुटता मंच ने किया स्वागत

किसान एकजुटता मंच का पथ निर्माण विश्रामागार में बैठक

 

मोदी सरकार द्वारा किसान विरोधी कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का किसान एकजुटता मंच ने किया स्वागत

 

आंदोलनकारी किसानों को आतंकवादी, आंदोलन जीवी, खालीस्तानी, एनटी नेशनल कहने वालों का अहंकार टुटा

 

लातेहार। किसान एकजुटता मंच ने पथ निर्माण विश्रामागार चंदवा में बैठक की, इसमें कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार अध्यादेश के रूप में लाए गए सभी तीन किसान – विरोधी, कॉर्पोरेट – समर्थक काले कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की है, उन्होंने गुरु नानक जयंती के अवसर पर यह घोषणा किया।

 

किसान एकजुटता मंच इस घोषणा का स्वागत करता है और उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा।

 

अगर संसद से कृषि बिल रद्द हो जाता है तो यह भारत में एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत होगी।

 

हालांकि इस संघर्ष में करीब 700 किसान शहीद हुए हैं।

 

किसान एकजुटता मंच ने कहा है कि किसान आंदोलन ने मोदी सरकार की अहंकार और तानाशाही को चकनाचूर कर दिया।

 

किसान एकजुटता मंच प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाना चाहता है कि किसानों का यह आंदोलन न केवल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है

किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है।

 

इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकि है।

 

किसान आंदोलन के एतिहासिक एक साल तथा 700 किसानों की शहादत की तथा देश व विश्व भर में किसान आंदोलन से जुड़े लोगों की यह जीत है।

 

लखिमपुर खीरी की किसान हत्याकांड के लिए केन्द्र सरकार जिम्मेवार है।

 

मोदी सरकार के मंत्रियों द्वारा किसान आंदोलन को बदनाम करने, कूचलने, बौडर में कील ठोकने, पानी बिजली काटने ,

आतंकवादी खालीस्तानी, एनटी नेशनल कहकर उन्हें बदनाम करने का संडयंत्र भी काम नहीं आया, किसान बरसात ठंढ और गर्मी में आंदोलन में डटे रहे।

 

किसान आंदोलन में सात सौ किसान शहीद हुए, उनके परिवार उजड़ गए, सरकार की लाठी टुटी, लोहे के किले गल गए, सरकार की वाटर कैनन खत्म हो गई, किसान आंदोलन को कुचलने के सारी मशीनरी लग गई, किसानों के छाती पर गाड़ी चढाई गई, सरकार क्या नहीं किया,

किसान नेताओं को झूठे मुकदमों में फंसाने का नापाक साजिश भी सरकार को काम नहीं आया, बल्कि किसान आंदोलन के दौरान हुए विधानसभा चुनावों एवं उपचुनावों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा।

 

5 राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में किसान आंदोलन के चलने से भाजपा की हार की आहट के कारण बना कृषि कानून रद्द करने की घोषणा।

 

भारत के अन्नदाता किसानों का एतिहासिक किसान आंदोलन पूरे विश्व के किसान आंदोलन को उर्जा देगा, जब भी किसान लड़ा है जीता है।

 

किसान एकजुटता मंच ने कहा है कि शहीद किसान परिवारों के प्रत्येक सदस्यों को नौकरी और प्रयाप्त मुआवजा दी जाय, आंदोलन के क्रम में हुए झूठे मुकदमे को वापस लिया जाए।

 

बैठक में शहीद किसानों के प्रति एक मिनट का मौन रखकर शोक प्रकट किया गया।

 

बैठक में किसान एकजुटता मंच के जिला संयोजक दीपू कुमार सिन्हा, सह संयोजक अयुब खान, सह संयोजक असगर खान, सह संयोजक जितेंद्र कुमार सिंह, सह संयोजक सुरेश कुमार उरांव, सह संयोजक बिरेंद्र कुमार, बबलु राही, महबूब अंसारी, रवि शंकर जाटव, हाफिज शेर मोहम्मद, शमीम अंसारी व अन्य शामिल थे।

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