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छोटा नागपुर की रानी’ के नाम से प्रसिद्ध नेतरहाट झारखंड की राजधानी रांची से 156 किमी पश्चिम में लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखण्ड में स्थित है। समुद तल से 3761 फीट की उंचाई पर स्थित नेतरहाट में गर्मी के मौसम में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है। लोग देश-विदेश से यहां के मनमोहक दृश्य को देखने आते हैं। वैसे तो सालो भर यहां ढंड का मौसम बना रहता है। यहां का सूर्योदय और सूर्यास्‍त देखने के लिए भी लोग आते है सनसेट पॉइंट और सनराइज पांइन्ट पर लोगों का काफी संख्या में भीड़ देखी जा सकती है।घने जंगल के बीच बसे इस जगह की प्राकृतिक सुन्‍दरता देखते ही बनती है। पर्यटक यहां आने पर प्रसिद्व नेतरहाट विद्यालय, नासपाती बगान, अपर घघरी, लोअर फॉल, शैले हाउस, पलामू बंगला आदि की सुंदरता नेतरहाट की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। वही यहां से ऊंची-ऊंची चोटियों व खाइयों से विहंगम दृश्यों की सुंदरता देखते बनती है। यहां की वादियों में चलने वाली ठंडी हवा मन के तार को बरबस ही छेड़ने लगती है। समुद्रतल के 3761 फिट की ऊंचाई पर बसे नेतरहाट की वादियों में बस जाने का मन करता है।

नेतरहाट विद्यालय 

*नेतरहाट विद्यालय की स्थापना*

प्रसिद्व नेतरहाट विद्यालय की स्‍थापना नवम्‍बर 1954 में हुई थी। राज्‍य सरकार द्वारा स्‍थापित और गुरुकुल की तर्ज पर बने इस स्‍कूल में अभी भी प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर नामांकन होता है। यहां के अनेक छात्र ने हरेक क्षेत्र में इस विद्यालय का नाम रौशन किया है। हिन्‍दी माध्‍यम के इस विद्यालय में अग्रेंजी और संस्‍कृत भी पढाया जाता है।कई शीर्ष के नौकरशाह और टेक्नोक्रेट इसी विद्यालय से पढ़ कर निकले है। अभी वर्तमान में नेतरहाट विद्यालय में छात्रों की जनसंख्या लगभग 500 से ज्यादा है।

चीड़ वन

*नेतरहाट का चीड़ वन मनो को मोह लेती है*

 

नेतरहाट में चीड़ वन के बीच एक अभयारण्य है जो लोगों को इस भाग में आने के लिए उत्साहित करता है।नेतरहाट का तापमान रांची की तुलना में पूरे वर्ष अच्छा रहता है। यह कहा जा सकता है कि यह स्थान पूरे झारखंड राज्य में सबसे ठंडा है। इस स्थान में की कृषि फार्म भी हैं।

 

*नेतरहाट की जलवायु*

 

नेतरहाट की जलवायु जुलाई और अगस्त में बहुत अच्छी रहती है ओर नम नहीं होती है |गर्मियों के दिनों में नेतरहाट की जलवायु बहुत ठण्ड रहती है। इस मौसम का मजा लेने लोक देश विदेश से आते हैं। यहाँ कई फूलों के पेड़ हैं विशेष रूप से कचनार और कैसिया प्रजाति के। सीजनल फूलों को पूरे वर्ष विकसित किया जा सकता है |

अपर घाघरी छरना

*उपर घाघरी झरना*

 

नेतरहाट बाजार से लगभग 3 किलोमीटर पर स्थित है अपर घाघरी यह जगह प्रसिद्व पिकनिक स्‍थल के रूप में जाना जाता है। यहां की प्राकृतिक सुन्‍दरता के बीच पिकनिक मनाने का अपना अलग ही मजा है। यहां पहुंचने के लिए पेट्रोल पंप नवटोली होते हुए जाना पड़ता है।

 

*लोवर घाघरी झरना*

 

बजाज कार्ड से लगभग 9 किमी की दूरी स्थित है लोवर घाघरी।घने जंगलों के बीच से गुजरती इस झरने की सुन्‍दरता देखते ही बनती है। 32 फीट की उंचाई से गिरते हुए इस झरने को देखने हजारों की संख्‍या पर्यटक यहां आते है। यहां के आस-पास के जंगल इतने घने है कि सूर्य की किरणें भी इसको पार नही कर पाती है। यहां पहुंचने के लिए आप पर घागरी होते हुए जंगली रास्ते से होकर जाना पड़ता है।

शैले हाउस

*शेले हाउस है इतिहास के भवन*

 

शेले हाउस को लकड़ी घर के नाम से भी जाना जाता है इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए वहां की इंचार्ज मोहम्मद असलम उर्फ गुड्डू ने बताया कि जानकारी के अनुसार शैले हाउस का निर्माण 1919 ईस्वी में लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवर्ट गेट के द्वारा उड़ीसा बिहार कार्यकाल में किया गया था। यह भवन का निर्माण लकड़ी से की गई है इसका पिलर छत और जमीन लकड़ी का बना हुआ है। इस कंपाउंड के अंदर 1920 ईस्वी में चीड़ का पेड़ लगवाया गया था जो आज भी मौजूद है जी जिसमें ईसवी सन लिखा हुआ है। वही जीवन पेड़ भी लगा हुआ है। साथ ही इस कंपाउंड में बहुत सारे फूल पौधों को भी लगाया गया। 2 वर्ष पूर्व लातेहार डीसी जीशान कमर की देखरेख में इसकी मरम्मत भी कराई गई थी। लोगों का कहना है कि यहां पर गवर्नर छुट्टी बिताने के लिए आते थे और 4 से 5 महीना यहां रह कर अपने कार्य को भी संपादित करते थे।

 

नासपाती बगान

*लगभग 100 एकड़ पर लगा है नाशपाती का पेड़*

 

नेतरहाट में लगभग 100 एकड़ में नस्पति का बागान स्थित है 85 एकड़ जिसे डंकन बागान कहा जाता है वही लगभग 5 एकड़ जंगल वार फेयर स्कूल जिसे पहले (फार्म) भी कहा जाता था साथ ही वहां के लोगों के द्वारा लगभग 15 एकड़ में भी नाशपाती की खेती की जाती है। वही जो डंकन बागान और जंगल वार फेयर स्कूल में नाशपाती का बागान है उसका हर वर्ष टेंडर भी निकाला जाता है।

 

नेतरहाट हाट बाजार

 

*बारिश होने के बाद नेतरहाट में दिन भर छाया रहा कुहासा*

 

बारिश के दिनों में अक्सर नेतरहाट के पुरे क्षेत्र में कुहासा छाया हुआ रहता है। सामने से आता व्यक्ति भी दिखाई नहीं देता। अगर दिन में लाइट जला कर वाहनों का आवागमन नहीं किया जाए तो दुर्घटना भी घटित हो सकती है। लगभग नेतरहाट के सभी लोग गर्मी छोड़ सभी माह में गर्म वस्त्र का उपयोग करते हैं।

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