देश भर के खाद्यान्न व्यापारी उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा 2 जुलाई को जारी एक अधिसूचना से खासे नाराज हैं, जिसमें देश भर के साथ झारखण्ड खाद्यान थोक विक्रेताओं के लिए दालों की स्टॉक सीमा 200 टन और खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 टन निर्धारित की गई है। कारोबारियों का कहना है कि जारी की गई अधिसूचना मनमानी और अनुचित है और सबसे बड़ी बात सरकार की अपनी खुद की नीति का उल्लंघन है। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री पीयूष गोयल के समक्ष इस मुद्दे को उठाते हुए, कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज उन्हें एक ज्ञापन भेजकर उक्त अधिसूचना को योग्यता के आधार पर वापस लेने का आग्रह किया है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश सोन्थलिया ने श्री पीयूष गोयल को भेजे गए एक पत्र में कहा कि उक्त अधिसूचना भेदभावपूर्ण है और देश में दालों के व्यापार की सामान्य व्यावसायिक प्रथाओं के खिलाफ है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि अधिसूचना जारी करते समय, संबंधित अधिकारियों द्वारा हितधारकों के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया जो कि किसी भी नीतिगत मुद्दे को उठाने से पहले हितधारकों को विश्वास में लेने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सलाह का सीधा उल्लंघन है।
श्री खंडेलवाल और श्री सोन्थालिया ने कहा कि देश भर में लगभग 5 लाख व्यापारी खाद्यान्न का व्यवसाय करते हैं और 23 लाख से अधिक लोगों को जिनमें मुख्य रूप से अशिक्षित वर्ग के लोग हैं, को सामान लदान और उतारने के लिए रोजगार प्रदान करते हैं। लगभग 5 लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से खाद्यान्न व्यापार से अपनी आजीविका चलाते हैं। देश में विभिन्न दालों का वार्षिक उत्पादन लगभग 256 लाख टन है, और लगभग 20 लाख टन की दाल आयत होती है ! देश में दाल कारोबार लगभग रु. 140 लाख करोड़ है ! 2017 में एक अधिसूचना के माध्यम से सरकार ने यह अनिवार्य कर दिया गया था कि सरकार के पोर्टल पर 6 प्रकार की दालों, मसूर, चना, तूर, उड़द, मूंग और काबली चना की स्टॉक सीमा अपलोड की जाएगी, जिसका व्यापारियों द्वारा विधिवत पालन किया जा रहा है।
कैट नेताओं ने कहा कि सितंबर, 2020 में सरकार ने स्पष्ट रूप से घोषणा की थी कि आवश्यक वस्तु अधिनियम या स्टॉक सीमा तभी लागू होगी जब दालों की कीमत या तो एमएसपी से 50% अधिक होगी या देश में कोई आपातकालीन स्थिति होगी। सरकार की इस घोषणा की अवहेलना करते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा 2 जुलाई, 2021 को एक अधिसूचना जारी की गई थी जिसमें कहा गया था कि थोक व्यापारी 200 टन तक दाल का स्टॉक कर सकते हैं और जिसमें से किसी भी एक प्रकार की दाल का 100 टन तक स्टॉक किया जा सकता है। जबकि अन्य दालों के लिए स्टॉक बचे 100 टन में ही करना होगा ! दालें मूल रूप से 8 प्रकार की होती हैं और इन 8 प्रकार की दालों को मिलाने और संसाधित करने के बाद 30 से अधिक प्रकार की दालों में परिवर्तित किया जाता है। यह कल्पना से परे है कि थोक विक्रेता कैसे सिर्फ 100 टन में 30 से अधिक प्रकार की दालों को स्टॉक कर सकते है।
श्री सोन्थालिया ने कहा कि सरकार ने इस अधिसूचना में तह भी कहा की मिलर्स को 15 मई के बाद प्राप्त माल के लिए कस्टम क्लीयरेंस की तिथि से 45 दिनों के भीतर अपने स्टॉक को समाप्त करना होगाअन्यथा उन्हें थोक विक्रेताओं के लिए निर्धारित स्टॉक सीमा का पालन करना होगा. जबकि ह 15 मई, 2021 से पहले मिलर्स पर ऐसी कोई सीमा नहीं थी। देश भर में 50 हजार से अधिक मिलर्स हैं जो दालों के प्रसंस्करण और परिष्करण गतिविधियों में लगे हुए हैं। आम तौर पर एक मिलर 3 हजार से 5 हजार टन तक कच्ची दालों का स्टॉक रखता है।
सिंहभूम चेम्बर के महासचिव भरत वसानी ,व्यापार मंडल परसूडीह के दीपक भलोटिया और जमशेदपुर चेम्बर के हर्मिंदर सिंह मंटू ने आग्रह किया है कि स्टॉक सीमा निर्धारित करने वाली अधिसूचना को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाए क्योंकि 200 टन की स्टॉक सीमा 1955 में तय की गई थी जब देश की जनसंख्या केवल 25 करोड़ थी। वर्तमान आबादी के लिए यह सीमा काफी तर्कहीन और अनुचित है। यदि सरकार को लगता है कि स्टॉक की सीमा लागू करना आवश्यक है, तो देश की मौजूदा आबादी के अनुपात में 2000 टन की स्टॉक सीमा वो भी किसी विशेष दाल के लिए कोई स्टॉक सीमा निर्दिष्ट किए बिना थोक व्यापारियों के लिए निर्धारित की जा सकती है।
श्री सोन्थालिया ने यह भी आग्रह किया है कि चूंकि दालों का आयात भारी मात्रा में किया जाता है, इसलिए आयातकों या मिलर्स के लिए कोई स्टॉक सीमा निर्धारित नहीं की जानी चाहिए। पोर्टल पर स्टॉक लिमिट का अपडेशन केवल 6 प्रकार की दालों तक सीमित था जो एमएसपी श्रेणी के अंतर्गत हैं जबकि 2 जुलाई की वर्तमान अधिसूचना के खंड 2 (i) के तहत “मूंग को छोड़कर सभी दालों को एक साथ रखने” को अद्यतन करने का प्रावधान करती है। कैट ने आग्रह किया है कि उक्त अधिसूचना के खंड 2 (i) को वापस लिया जाए और स्टॉक के अद्यतन की पूर्व स्थिति को बनाए रखा जाना चाहिए।