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सब्जी बेच रही बिरसा मुंडा की पड़पोती कहती हैं – शर्म आती है बताने में कि मैं कौन हूं

*सीएम के नाम खुला पत्र…*

 

आदरणीय मुख्यमंत्री जी, झारखंड

मैं जौनी कुमारी मुंडा। भगवान बिरसा मुंडा की वंशज। मैं अभी बिरसा कॉलेज खूंटी में बीए पार्ट-3 की छात्रा हूं। जब शिक्षक बिरसा के आंदोलन के बारे में पढ़ाते हैं, तो गर्व होता है। लेकिन, मैं किसी को नहीं बताती कि मैं भगवान बिरसा की पड़पोती हूं। क्योंकि लोग हमारी स्थिति देखकर निराश हो जाएंगे। सुनती हूं कि आदिवासी छात्राओं को पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति का लाभ मिलता है। मैंने कई बार आवेदन दिए, लेकिन कभी नहीं मिली। मेरे पिता सुखराम मुंडा 82 की उम्र में भी खेतों पर मेहनत करते हैं। 1000 रुपए वृद्धावस्था पेंशन मिलती है, उसी से मेरी पढ़ाई का खर्च चलता है। भगवान बिरसा ‘अबुआ दिशुम अबुआ राज’ की बात करते थे। आज झारखंड में अबुआ राज है, लेकिन हमारी स्थिति थोड़ी भी नहीं सुधरी। मैं सरकार से कुछ नहीं मांगती। अलग से कुछ नहीं चाहिए, लेकिन जो नियम जनजातियों के लिए बने हैं, जो योजनाएं गरीबों के लिए हैं, उनका लाभ तो मिले। मैं अपने लिए, अपने बाबा, अपनी मां के लिए सम्मान चाहती हूं।

बस इतना ही।

 

 

 

खूंटी बाजारटांड़ के पास आम, जामुन, रूगड़ा, कटहल, साग आदि बेच रहीं महिलाओं-युवतियों में एक जौनी कुमारी भी हैं, जो कच्चे कटहल का कोवा बेच रही हैं। जौनी भगवान बिरसा मुंडा की पड़पौत्री हैं। सड़क के उस पार ही उसका कॉलेज है, जहां से वह स्नातक पार्ट-3 की पढ़ाई कर रही हैं। उसका ऑनर्स मुंडारी भाषा है, जिसमें पढ़कर वह गांव और अन्य बच्चों को शिक्षित करना चाहती है। पिछली परीक्षा सेमेस्टर-3 में उसने 73.2 प्रतिशत नंबर लाए थे। कॉलेज में 3 बार छात्रवृत्ति के लिए आवेदन भरे, लेकिन कभी उसे छात्रवृत्ति नहीं मिली।

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