गोरखपुर. महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के मौके पर भक्त भगवान शंकर को खुश करने के लिए जलाभिषेक और रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) करते हैं. गोरखपुर के सभी शिवालयों में तैयारी पूरी है और झारखंडी महादेव मंदिर (Jharkhandi Mahadev Mandir) में विशेष तैयारियां की गयी हैं. पंडित अवध बिहारी शुक्ल का कहना है कि इस बार महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है. 130 सालों बाद यह योग बन रहा है जिसमें सर्वाध सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग मिल रहा है. ऐसे में शिवरात्रि पर भगवान शंकर की पूजा करने का विशेष महत्व है.
पंडित अवध बिहारी शुक्ल ने कहा कि इस बार महाशिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालु 80 दाना खड़ा चावल और 80 समी का पत्र भगवान शंकर को जरूर चढ़ाएं.इससे भक्तों की सभी मनोकमना पूर्ण होगी.
खासी दिलचस्प है झारखंडी महादेव मंदिर के शिवलिंग की कहानी
झारखंडी महादेव मंदिर पर पूजा कर रहे पुजारी शंभु गिरी का कहना है कि इस मंदिर में भगवान शंकर का शिवलिंग प्रकट हुआ था. वह बताते हैं कि पहले इस क्षेत्र में जंलग हुआ करता था. यह निर्जन क्षेत्र था और लकड़हारे यहां से लकड़ी काट कर ले जाते थे. एक दिन एक लकड़हारा लकड़ी काट रहा था कि तभी उसकी कुल्हाड़ी एक पत्थर से टकराया जिसके बाद उससे खून की धारा निकलने लगी, जिससे वो डर गया. लकड़हारा जितनी बार शिवलिंग को ऊपर लाने की कोशिश करता वो उतना ही नीचे धंसता चला जा रहा था. लकड़हारे ने आसपास के लोगों को इस घटना के बारे में बताया. उसी रात वहां के जमींदार को रात में एक सपना आया कि यहां पर भगवान शिव प्रकट हुए हैं, जिसके बाद यहां पर पूजा पाठ शुरू हो गयी. तब से लेकर आज तक यहां पर पूजा पाठ जारी है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त आता है और कुछ मांगता है, तो उसकी मनोकमना जरूर पूर्ण होती है.महाशिवरात्रि पूजा सामग्री
इस बार महाशिवरात्रि का पावन पर्व 11 मार्च यानी गुरुवार मनाया जाएगा. इस पावन पर्व पर शिव के साथ माता पार्वती की पूजा भी की जाती है. शिवरात्रि के दिन रात में पूजा करना सबसे फलदायी माना गया है. इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष सामग्रियों के साथ की जाती है. पूजा में पुष्प, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, बेर, जौ की बालें, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, देसी घी, शहद, गंगा जल, साफ जल, कपूर, धूप, दीपक, रूई, चंदन, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, गंध रोली, इत्र, मौली जनेऊ, शिव और मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण, रत्न, पंच मिष्ठान्न, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन का इस्तेमाल किया जाता है.