गिरिडीह
स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक थे।उन्होंने स्वच्छ व स्वस्थ समाज के निर्माण में अपने जीवन को न्योछावर कर दिया।उक्त बातें महर्षि दयानंद सरस्वती के जयंती समारोह में क्षेत्र के शिक्षाविद एवं सामाजिक चिंतक सुधीर द्विवेदी ने सोमवार को पंचायत सचिवालय जगन्नाथडीह में आयोजित महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती कार्यक्रम में कही बतलाया कि आध्यात्मिक क्रांति लाने एवं समतामूलक समाज की निर्माण के लिए महर्षि का योगदान अतुलनीय है।कहा कि कोई भी संत महात्मा या महापुरुष किसी जाति विशेष या धर्म विशेष के न होकर सम्पूर्ण मानव जाति एवं प्राणिमात्र के कल्याण के लिए होते है।वे जाति पाँति से ऊपर हैं।पर कुछ लोग महापुरूषों को जातीय दायरे में बांधकर उनके कद को छोटा करना है।कहा कि सबसे बड़ी पूजा मानवता की सेवा है।कहा कि महापुरुषों को जातीय दायरे में बांधने वाले उनके अनुयायी नही हो सकते। युवा चिन्तक,समाज सुधारक योगेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि अध्यात्म को नई दशा व दिशा प्रदान किये। अध्यात्म व विज्ञान एक दूजे के अनुपूरक है। इनके चिरस्मरणीय आदर्शों को अपनाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने महर्षि के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उन्हें महान संत एवं वैदिक संस्कृति का रक्षक बताया।
कार्यक्रम में अंजली सिन्हा,रविन्द्र सिंह,विकास यादव,पवन यादव,राजू वर्मा,प्रदीप स्वर्णकार,रिंकी देवी,माया देवी,योगेश सिन्हा,राधिका देवी,किरण देवी सहित अन्य मौजूद थे।
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