Breaking
Fri. Jan 24th, 2025

पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से चिंतित केंद्र! ओपेक देशों से तेल उत्‍पादन बढ़ाने को कहा, PM नरेंद्र मोदी ने दिया दाम घटाने का फार्मूला

नई दिल्‍ली. दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक भारत ने सऊदी अरब (Saudi Arabia) और दूसरे तेल उत्पादक देशों (OPEC) से कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का स्तर घटाने की मांग की है. भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्‍चा तेल (Crude Oil) महंगा होने के कारण इकोनॉमिक रिकवरी और डिमांड को नुकसान हो रहा है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अगर पहले की सरकारों ने देश की आयात पर निर्भरता को कम करने की दिशा में काम किया होता तो आज आम लोगों पर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों (Petrol-Diesel Prices) का बोझ नहीं पड़ता.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अगले कुछ महीनों तक तेल की कीमतों के बजाय मांग बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए.

दरअसल, सऊदी अरब ने फरवरी और मार्च 2021 के दौरान तेल उत्‍पादन में हर दिन 10 लाख बैरल की कटौती का ऐलान किया. इसके बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेल की कीमतों में लगातार तेजी हो रही है. सऊदी अरब ने तेल निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और रूस समेत सहयोगी देशों (OPEC Plus) के साथ समझौते के तहत यह कदम उठाया था. इससे तेल की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है, जो एक साल का सबसे ज्यादा स्तर है. इससे भारत में पेट्रोल का खुदरा मूल्य 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गया है.

भारत समेत विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि पर पड़ रहा असर प्रधान ने ऊर्जा परिदृश्य पर 11वीं आईईए आईईएफ (IEA IEF) ओपेक संगोष्ठी में कहा कि कुछ हफ्तों में कच्चे तेल के दाम में तेजी के कारण पहले से मांग में चली आ रही गिरावट और बढ़ गई. इसके कारण ग्‍लोबल इकोनॉमी की की रिकवरी पर बुरा असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि भारत ने महंगाई को कई मोर्चों पर काबू कर लिया है, लेकिन कच्चे तेल के कारण पैदा होने वाली मुद्रास्‍फीति पर सरकार कुछ नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा कि कीमत को लेकर संवेदनशील भारतीय ग्राहक पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने से प्रभावित हैं. इससे मांग वृद्धि पर भी असर पड़ रहा है. इससे न केवल भारत में बल्कि दूसरे विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि पर गलत असर पड़ेगा.

पेट्रोल में एथेनॉल की मात्रा बढ़ाकर कम किया जा सकता है आयात

पीएम मोदी ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में देश की जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात किया गया था. वहीं, सिर्फ 53 फीसदी गैस का आयात किया गया. अगर इस आयात को कम करने की दिशा में पहले कोशिश की गई होती तो आम आदमी पर आज बोझ नहीं पड़ता. साथ ही कहा कि केंद्र सरकार मध्‍यवर्ग को लेकर संवेदनशील है. इसीलिए पेट्रोल में एथेनॉल का हिस्सा बढ़ाने पर ध्‍यान दिया जा रहा है. बता दें कि एथेनॉल गन्‍ने से हासिल किया जाता है. इससे तेल के आयात में कटौती होगी और किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. उन्‍होंने कहा कि केंद्र सरकार एनर्जी इंपोर्ट डिपेंडेंस घटाने पर काम कर रही है. इसके अलावा अक्ष्‍ज्ञय ऊर्जा पर भी काम चल रहा है. अक्षय ऊर्जा की 2030 तक देश में कुल ऊर्जा उत्पादन में करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी हो जाएगी.

Related Post