दुमका प्रियव्रत झा
वसंत पंचमी के पावन अवसर पर तीनों लोकों के मालिक बाबा बासुकीनाथ का तिलकोत्सव धूमधाम से मनाया गया। बासुकीनाथ स्थित फौजदारी दरबार में तिलकोत्सव के महा आयोजन के महत्वपूर्ण अवसर पर शिव भक्तों का सैलाब उमड़ आया। ब्रह्ममुहुर्त की बेला से ही जलार्पण के लिए भक्तगण कतार में लगे रहे तिलकहरूआंे की विशाल फौज तिलकोत्सव का साक्षी बनने की कवायद करते देखे गए। बाबा का तिलक चढ़ाने के लिए दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, मुजफ्फपुर, वैशाली समेत संपूर्ण मिथिलांचल के अनेक भागों से एवं देश के अन्य हिस्सों से भक्त पहुंचे। मिथिलांचल के लोग तिलकहरू (मायके वाले) की भूमिका में थे। यह लोग तिलक में चढ़ावे के लिए बांस की भंगी में अपने साथ पवित्र गंगाजल लाते हैं। उसी जल से महादेव का अभिषेक करते हैं क्योंकि गंगाजल भोलेनाथ को अन्य पूजन सामग्री की तुलना में सबसे अधिक प्रिय होता हैं। इसके अलावा श्रद्धालुओं द्वारा अपने आराध्य देव को यथासाध्य दान भी दिया जाता है। इस मौके पर मिथिलांचल के लोगों ने अलग-अलग टोली बनाकर भजन कीर्तन एवं होली का गीत गाया। वहीं महिलाओं के मांगलिक गीतों की सुरीली आवाज अद्भुत छटा बिखेरे हुई थी। मंदिर प्रबंधन की ओर से रात्रि 8ः30 बजे तिलकोत्सव के रस्म का समय तय किया गया है। तिलकोत्सव का रस्म पूरे विधि-विधान से षोडशोपचार विधि से किया गया। तिलक के रूप में बाबा को पितांबरी धोती, चादर, गमछा, चांदी की अंगूठी, चांदी का आसन, चांदी का कड़ा एवं बाजू बंध, फल एवं मिठाई प्रदान किया गया। पारंपरिक मान्यताओं के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन से ही होली का आगाज हो जाता है।