फास्टैग को 1 जनवरी से अनिवार्य किया जाना है लेकिन उसके पहले ही इसे देश में अधिकतर लोग अपना चुके हैं। हाल ही में एनएचएआई ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन पहली बार 80 करोड़ रुपये के पार हुई है तथा देश भर में रिकॉर्ड 50 लाख ट्रांसैक्शन किये गये हैं। बतातें चले कि अभी तक देश बार में 2.20 करोड़ फास्टैग बांटे जा चुके हैं।
पिछले साल से फास्टैग नये वाहनों में लाया गया था और अब इसे सभी तरह के वाहनों के लिए नए साल से अनिवार्य किया जा रहा है।
देश भर के टोल प्लाजा को इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम के लिए तैयार किया जा चुका है जिस वजह से भारी कलेक्शन दर्ज किया गया है।
एनएचएआई ने बयान जारी करके कहा कि फास्टैग के माध्यम से पहली बार टोल कलेक्शन 24 दिसंबर, 2020 को एक दिन में 80 करोड़ रुपये के पार गया है, इसके साथ ही रिकॉर्ड 50 लाख फास्टैग ट्रांसैक्शन प्रति दिन किये गये हैं, यह एक ऐतिहासिक लैंडमार्क है।”
इसके साथ ही एनएचएआई का कहना है कि 1 जनवरी 2021 से फास्टैग अनिवार्य किये जाने की वजह से सभी इंतजाम किये जा चुके हैं ताकि वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकना ना पड़े। वर्तमान में 30,000 पॉइंट ऑफ सेल्स से इसे बेचा जा रहा है, साथ ही यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध है।
बतातें चले कि नए सेन्ट्रल मोटर व्हीकल नियम आने के बाद से डिजिटल ट्रांसैक्शन में बढ़त दर्ज की गयी है और अधिक से अधिक लोग इसे अपना रहे हैं। एनएचएआई ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से भी अब फास्टैग अपना रहे हैं क्योकि यह एक कांटेक्टलेस तरीका है।
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है जो टोल प्लाजा से गुजने पर अपने आप ही टोल काट लेता है। इसे भारत में सबसे पहले 2014 में लाया गया था। इसकी सुविधा से आपको किसी भी टोल प्लाजा से गुजरते समय लाइन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
फास्टटैग को वाहन के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है, इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन लगा होता है। टोल प्लाजा के पास पहुँचते ही यह रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन वहां लगे सेंसर के संपर्क में आता है और वहां लगने वाले शुल्क को काट लेता है।
फास्टैग एक प्रीपेड खाते से जुड़ा होता है तथा राशि वही से काटी जाती है, इसमें राशि खत्म होने के बाद इसे पुनः रिचार्ज कराना पड़ता है। वाहन में लगे फास्टटैग की वैधता 5 साल की होती है, इसके बाद आपको वाहन में नया फास्टटैग लगाना पड़ेगा।