ESIS: प्राइवेट नौकरी वालों को भी मिलता है सरकारी बीमा, मुफ्त इलाज से लेकर फैमिली पेंशन तक हैं कई फायदे

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केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने कम आमदनी वाले निजी कर्मचारियों के लिए कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESIS) उपलब्ध करा रखी है. इस योजना का फायदा प्राइवेट कंपनियों, फैक्ट्रियों और कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों को मिलता है. इस योजना के हेल्थ कवर, अस्पताल में मुफ्त इलाज से लेकर फैमिली पेंशन तक कई फायदे हैं.

योजना के दायरे में लाए गए कर्मचारियों और उनके आश्रितों को इलाज का खर्चा प्राप्त करने का हकदार है. कुछ एक विशेष परिस्थिति में नकद फायदा लेने का भी अधिकार है. अगर काम के दौरान चोट या किसी बीमारी के कारण कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके आश्रितजन परिवारिक पेंशन के हकदार होते हैं.

इनमें से इलाज का खर्चा उपलब्ध कराने का दायित्व राज्य सरकार का है. राज्य सरकार अपने विभिन्न कर्मचारी राज्य बीमा अस्पतालों द्वारा लाभार्थियों को प्राप्त कराती है. बाकी फायदें कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के स्थानीय कार्यालयों के जरिए नकद रूप में उपलब्ध कराए जाते हैं.

ESIS का किन्हें मिलता है फायदा

कर्मचारी राज्य बीमा योजना संचालन करने की जिम्मेदारी कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की है. ईएसआई अधिनियम (1948) के तहत औद्योगिक, वाणिज्यिक, कृषि संस्थानों में अगर 10 या इससे ज्यादा कर्मचारी हैं तो ये ईएसआई के दायरे आते हैं. दुकानें, होटल, रेस्तरां, सिनेमा, अखबार और विज्ञापन आदि संस्थानों में अगर 20 या अधिक रोजगार व्यक्ति हैं तो वह सभी ईएसआई दायरे में आते हैं.

ईएसआईएस में कर्मचारी और कंपनी दोनों का योगदान होता है. मौजूदा समय में कर्मचारी की सैलरी से मजदूरी का 1.75 फीसदी योगदान ईएसआईसी में होता है. कंपनी की ओर से मजदूरी का 4.75 फीसदी.

बीमा योजना के अन्य फायदें

कर्मचारी राज्य बीमा योजना के तहत अगर किसी कर्मचारी की रोजगार के दौरान मौत हो जाती है तो ईएसआईसी की ओर से उसके आश्रितों को नियमित रूप से मासिक पेंशन मिलती है. अगर कोई कर्मचारी चोट लगने के कारण स्थायी रूप से डिसेबल हो जाता है तो उसे 24 महीने तक नकद मासिक भत्ता मिलता है. यहीं नहीं रिटायरमेंट के बाद ईएसआई अस्पतालों से इलाज की सुविधा भी मिलती है.

मातृत्व छुट्टी के दौरान गर्भवती महिला को औसत दैनिक वेतन का 100 फीसदी नकद भुगतान किया जाता है.

अगर गर्भवती महिला को ईएसआई अस्पतालों में इलाज की सुविधा नहीं मिलती है, उनको दूसरे अस्पतालों में इलाज के लिए 7500 रुपये के हिसाब से दो बार नकद भुगतान मिलता है.