सार इस बार महाअष्टमी का व्रत 24 अक्तूबर को और नवमी तिथि का व्रत 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा। जबकि दशमी तिथि पर विजयदशमी का पर्व होगा। वाराणसी के पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि का पूर्ण मान 24 अक्टूबर को है इसलिए निर्विवाद रूप से अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी जबकि दशमी तिथि 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
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नवरात्रि 2020 अष्टमी नवमी पूजा तिथि: शारदीय नवरात्रि का पवित्र दिन चल रहा है। शारदीय नवरात्रि 17 अक्तूबर से आरंभ हुआ था । इस बार अधिकमास के कारण नवरात्रि का पर्व करीब एक महीने की देरी पर शुरू हुआ था। कई बार की तरह इस बार भी अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
जो भक्त हर बार नवरात्रि पर नौ दिनों तक उपवास और पूजा आराधना करते हैं उनमें से बहुत लोग अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्या पूजन कर माता की विदाई करते हैं। इस बार अष्टमी तिथि 24 अक्तूबर शनिवार के दिन मनाई जाएगी जबकि नवमी तिथि 25 अक्तूबर को होगी। लेकिन पंचांग भेद के कारण अष्टमी और नवमी तिथि दोनों एक ही दिन है। दरअसल हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार दो तिथियां एक ही दिन पड़ जाती है। इस कारण से एक व्रत या त्योहार दो दिन मनाया जाता है। इस बार महाअष्टमी का व्रत 24 अक्तूबर को और नवमी तिथि का व्रत 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा। जबकि दशमी तिथि पर विजयदशमी का पर्व होगा। वाराणसी के पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि का पूर्ण मान 24 अक्टूबर को है इसलिए निर्विवाद रूप से अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी जबकि दशमी तिथि 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
पंचांग गणना के अनुसार अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि
हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार 23 अक्तूबर दिन शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। जो अगले दिन यानी 24 अक्तूबर की सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। नवमी तिथि 24 अक्तूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट से आरंभ हो जाएगी जो 25 अक्तूबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। उसके बाद दशमी तिथि 25 अक्तूबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट से आरंभ होकर 26 अक्तूबर की सुबह 9 बजे तक रहेगी। नवरात्रि पर दुर्गाष्टमी का महत्व
नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। जो भक्त नवरात्रि पर नौ दिनों तक उपवास और साधना के साथ मां की आराधना करते हैं वह अष्टमी और नवमी तिथि पर देवी के रूप में कन्याओं का पूजन कर माता की विदाई करते हैं। दुर्गा अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन करने के बाद माता का आशीर्वाद प्राप्त कर उनकी विदाई की जाती है। मान्यता है कि मां दुर्गा नवरात्रि के नौ दिन तक कैलाश को छोड़कर पृथ्वीलोक पर अपने भक्तों को आशीर्वाद देने आती हैं।
अष्टमी तिथि पर देवी महागौरी की उपासना
नवरात्रि के आठवें दिन मां के महागौरी रूप की उपासना की जाती है। महागौरी का स्वरूप बहुत ही शांत स्वभाव का होता है। माता सफेद रंग का वस्त्र धारण कर शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है।
नवमी तिथि पर देवी सिद्धिदात्री का उपासना
नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां सिद्धिदात्री सरस्वती का भी स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं को भी माँ सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई है । इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। भक्त इनकी पूजा से यश,बल और धन की प्राप्ति करते हैं।
25 अक्टूबर को विजयदशमी का पर्व
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि पर दोपहर के समय दशहरा मनाया जाएगा। 25 अक्तूबर विजयदशमी मनाई जाएगी। नवमी तिथि 25 अक्तूबर को सुबह समाप्त हो जाएगी फिर इस दिन दशमी तिथि शुरू हो जाएगी। विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि है इसलिए इस दिन को सभी शुभ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस दिन बच्चों का अक्षर लेखन, दुकान या घर का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, अन्न प्राशन, नामकरण, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार, भूमि पूजन आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं।