बिजनेस डेस्कः शापूरजी पालोनजी ग्रुप (एसपी समूह) यानी मिस्त्री परिवार ने कहा है कि अब समय आ गया है कि टाटा संस से बाहर निकला जाए। जिसके बाद 70 वर्षों पुराना यह रिश्ता खत्म हो जाएगा, जिसमें पिछले कुछ वर्षों के दौरान खटास आ गई थी। एसपी समूह ने एक बयान में कहा, “70 वर्षों का शापूरजी पलोनजी-टाटा का संबंध आपसी विश्वास, सद्भावना और मित्रता पर आधारित था।”
कंपनी ने कहा, “शपूरजी पलोनजी समूह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि टाटा ग्रुप से अलग होना, इस निरंतर मुकदमेबाजी का आजीविका और अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव के कारण आवश्यक है।” इसका मतलब यह है कि एसपी समूह, जो अपनी दो निवेश फर्मों के जरिए टाटा संस में 18.4 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है, अपनी हिस्सेदारी बेचने और कंपनी से बाहर जाने के लिए तैयार है।
एसपी समूह ने कहा है कि वह टाटा संस से बाहर निकल जाएगा, बशर्ते उसे जल्द और न्यायपूर्ण समाधान मिल जाए।
इस बीच टाटा समूह मिस्त्री परिवार की टाटा संस में 18.5 फीसदी हिस्सेदारी को खरीदने के लिए तैयार हो गया है।
मिस्त्री को देने पड़ सकते हैं 1.40 लाख करोड़
टाटा समूह को टाटा संस में मिस्त्री परिवार की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी को खरीदने के लिए लगभग 1.40 लाख करोड़ रुपए चुकाने पड़ सकते हैं। जून 2020 की कॉरपोरेट फाइलिंग के अनुसार टाटा संस की कुल नेटवर्थ 7,80,778.2 करोड़ रुपए है। यह नेटवर्थ कंपनी के पास मौजूदा शेयर होल्डिंग से आती है। मिस्त्री परिवार के 18 फीसदी शेयरों की कीमत 1.40 लाख करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है। हालांकि, अंतिम रकम कई अन्य मूल्यांकनों के बाद तय होगी।
कब शुरू हुआ विवाद
सुप्रीम कोर्ट में दोनों समूहों के वकीलों ने विवाद को जल्द सुलझाने के लिए प्रस्ताव दिया है। जिसके बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह विवाद जल्द सुलझ जाएगा। बता दें कि 2016 में यह विवाद शुरू हुआ जब पलोनजी मिस्त्री के बेटे सायरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था। तभी से दोनों समूहों के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है। इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने National Company Law Appellate Tribunal (राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण) के सायरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद बहाल करने के आदेश पर रोक लगा दी थी।