घाटशिला:-घाटशिला शहर के मुख्य डाकघर तथा लिटिल एंजेल स्कूल के निकट खुले में मेडिकल कचरा फेंका जा रहा है। इस कारण लोगों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए निजी अस्पताल खुले में खतरनाक कचरा फेंक कर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। बड़ी मात्रा में प्लास्टिक के सिरिंज रोए गिलाफ तथा ऑपरेशन के बाद बाजपट्टी भी अत्र पत्र फेंक दी जाती है। इन्हें खाकर मवेशी बीमार हो रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि डॉक्टर इस बात को जानते है फिर भी नर्सिंग होम से निकलने वाले कचरे का उचित प्रबंध नहीं किया जाता है।समाजसेवी अमित सेन ने कहा यहां लोगों की घटिया मानसिकता का परिचायक है।
प्रत्येक चौक चौराहे पर कचरा का लगता है अंबार
शहर मेंसाफ सफाई की व्यवस्था नहीं रहने के कारण घरों तथा निजी नर्सिंग होम के सामान्य तथा मेडिकल कचरे का अंबार शहर के प्रत्येक चौक चौराहों पर फेंक दिया जाता है। कचरे पर भिन्न-भिन्न आती मक्खी और मच्छरों का साम्राज्य वेक्टर जनित रोग को आमंत्रित कर रहा है। इस सड़क से गुजरने वाले यात्री नाक पर कपड़े डाल कर गुजरते हैं और साथ में संक्रमित बीमारियों को संग्रहित करते हैं। इस तरह के कचरा हटाने को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासनिक पदाधिकारियों से बात की है इसके बाद भी ठोस समाधान नहीं किया जा रहा है।
कानून का उल्लंघन करने पर 5 साल का कारावास
घाटशिला अनुमंडल में मेडिकल कचरे के उचित प्रबंध के लिए कहीं इंनसीनिटर उपलब्ध नहीं है। अगर मेडिकल वेस्टेज को 48 घंटे के अंदर मानक के अनुसार नष्ट कि नहीं किया जाता है तो यह मानव जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है। 20 जुलाई 1986 से जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 1986 में लागू हुआ था इसमें कानून का उल्लंघन करने वालों पर 5 साल का कारावास और एक लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है।
क्या कहते है चिकित्सक
1150 डिग्री पर मेडिकल कचरा नष्ट होना चाहिए
अगर मेडिकल कचरे को 1150 डिग्री सेल्सियस के निर्धारित तापमान पर नहीं जलाया जाए तो यह डायोक्सीन फयूरांस ऑर्गेनिक प्रदूषण पैदा करते हैं। इस प्रदूषण से कैंसर तथा मानसिक परेशानी होती है। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है। खासकर वेक्टर जनित रोग होने की आशंका अधिक होती है क्योंकि इन पर जो मक्खी मच्छर बैठते हैं और रोग को संग्रहित करते हैं- डॉक्टर रथींद्रनाथ चिकित्सक घाटशिला।
घाटशिला कमलेश सिंह की रिपोर्ट