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उन्नत भारत अभियान , NIT Jamshedpur ” गुआ लौह अयस्क खान ( SAIL ) , झारखंड के लौह अयस्क के चूर्ण ( Fines ) का संवर्धन ” पर संगोष्ठी

जमशेदपुर: प्रकृति , रोज़गार और विज्ञान में समन्वय बना कर कार्य करना आवश्यक है । यह बात आज गुआ अयस्क खान में जमा हुए डम्प ( फाईन्स ) के उपयोग से सम्बंधित आभासी गोष्ठी में NIT जमशेदपुर के निदेशक प्रोफेसर करुणेश कुमार शुक्ला ने कहा . उन्नत भारत अभियान , एनआईटी जमशेदपुर के द्वारा गूगल मीट के माध्यम से आज ” गुआ लौह अयस्क खान ( SAIL ) , झारखंड के फ़ाईन्स का संवर्धन विषय पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।इस परिचर्चा में एक ओर स्टील मिशन , भारत सरकार के निदेशक मुकेश गुप्ता , NML के निदेशक डॉ इंद्रनील चटराज , आईआईटी मद्रास के प्रोफ़ेसर टी वेणुगोपाल ने भाग लिया । उन्होंने कहा कि सामाजिक सहमति के साथ कोई कार्य करना चाहिए . उनका कहना था कि लौह अयस्क के चूर्ण प्रदूषण नही फैलाय इसके लिए यह आवश्यक है कि पेड़ पौधे लगाये जाएँ , टेलिंग पौंड बनाए जाएँ , जो सेल गुआ में कर रही है . परंतु उससे अधिक ज़रूरी है उस चूर्ण ( Fines ) का उपयोग किया जाए । डॉ मुकेश गुप्ता ने जोर दिया कि सरकारी विभागों में आपस में समन्वय नही होने से किसी भी कार्य में अनावश्यक विलम्ब होता है । चाहे वो फ़ॉरेस्ट क्लीयरेंस हो या पर्यावरण किलियारेंस . उन्होंने सका दिया की वतमान समय में ढाई से तीन मिलियन टन का बेनिफिसीयसन प्लांट एवं पिलेट प्लांट की अति आवश्यकता है । वहीं स्थानीये स्तर पर सांसद श्रीमति गीता कोड़ा ने बताया कि गुआ में भारी मात्रा में लौह अयस्क के चूर्ण ( Fines ) जमा हो गया है और किस प्रकार स्थानीय लोगों को दिन प्रतिदिन प्रदूषण का सामना करना पड़ता है । कारो नदी का पानी लाल हो जाता है और यह खेतों को भी बर्बाद कर देता है । यदि बेनिफिसीयसन प्लांट एवं पिलेट प्लांट लगता है तो लोगों को रोज़गार भी मिलेगा एवं प्रदूषण समस्या से भी मुक्ति मिलेगी । युवा उद्यमी मिश्री लाल विश्वकर्मा ने कुछ ऐसे तकनीकी का जानकारी देने की बात कही जो वहाँ के उद्यमी कर सकते है । और छोटे – छोटे प्रयास से एक ओर रोज़गार उत्पन कर सकते है तो आत्मनिर्भर भारत के सपनों को भी साकार करने के दिशा में कदम बाधा सकते हैं । गुआ लौह अयस्क खान के मुख्य प्रबंधक विपिन कुमार गिरी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया की उनके द्वारा टेलिंग पॉड को विकसित करने , पेड़ लगाने जैसे कार्य किए जा रहे है । वे प्रयास रत है कि उपलब्ध तकनीकी का उपयोग करके ( Fines ) लौह अयस्क के चूर्ण का उपयोग करेंगे । उन्होंने इस विषय में तकनीकी सहयोग लेने की बात कही । साथ ही साथ फ़ाईन्स के क्षेत्र में तकनीकी दृष्टि से कार्य करने वाले CSIR – NML Jamshedpur के मिनरल परोसेसिंग डिविज़न के हेड डॉ रत्नाकर सिंह , IMMT भुबनेश्वर में मिनरल परोसेसिंग डिविज़न के हेड डॉ एस के विश्वाल , टाटा स्टील के पिलेटाईजेसन डिविज़न के हेड डॉ श्रीनिवास दवारापुरी , आईआईटी आईएसएम के डॉ एस सोरेन सेल , आर एंड दी , सेल के पूर्व महाप्रबंधक डॉ एस पान ने ( Fines ) लौह अयस्क के चूर्ण के उपयोग के लिए उपलभ तकनीकी की चर्चा की और बताया कि सिंटर , पिलेट , मेटलिक पिलेट बनाने का तकनीक उपलब्ध है । इसका उपयोग काट गुआ में प्लांट बैठाने की योजना को कार्य रूप दिया जा सकता है । टाटा स्टील के कोरपोरेट स्ट्रेटेजी एवं प्लानिंग के चीफ़ तथा CII झारखंड के माईनिंग प्लानिंग से सम्बंधित सोमेश बिश्वाश ने टेक्नोलोजी में होने वाले खर्च की जानकारी दी तथा इसका उदाहरण दिया कि विश्व के दूसरे देशों में इसका उपयोग कैसे हो रहा है । , उन्नत भारत अभियान , एनआईटी जमशेदपुर के द्वारा आयोजित अपने प्रकार के पहले संगोष्ठी जिसमें वास्तविक समस्या के समाधान के लिए रास्ता खोजने के लिए अकादमिक संस्थान , अनुसंधान संगठन , उद्योग जगत , सरकार के स्थानीय प्रतिनिधियों , अधिकारियों के बीच संवाद स्थापित किया गया । गोष्ठी में चाईबासा के खनन पदाधिकारी संजीव कुमार , प्रदूषण विभाग के एस पासवान , रुंगटा माईन्स के जीयोलोजिस्ट डॉ ब्रज किशोर झा , बंगलोर नंदी हिल से सरथ कुमार , एनएमएल के डॉ विद्याधर , डॉ बिनोद कुमार , डॉ एस एन साहू के अलावा कई शोध करने वाले विद्यार्थी भी उपस्थित थे . कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी के संयोजक डॉ रणजीत प्रसाद ने किया जिसमें विशेष रूप से सिनियर प्रोजेक्ट असिस्टेंट सुमन सिंह , विश्वजीत राय एवं छात्रों में वत्शल राज तथा अर्चित देव का सहयोग प्राप्त हुआ . कार्य क्रम का शुभारम्भ सरस्वती वंदना से एवं समापन राष्ट्र गान के साथ हुआ ।

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