इन रिसर्च के बाद डब्ल्यूएचओ ने भी कहा कि स्टेरॉयड दवाई कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को दी जा सकती है
स्टेरॉयड दवा के 3 ट्रायल किए गए हैं,इसमें कोरोना पीड़ितों को ये दवाएं देने पर मौत का खतरा कम हुआ है
कोरोनावायरस के ब्रिज 90 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं। वैक्सीन आने की हाल फिलहाल संभावना नहीं दिख रही है। इस बीच हुई एक रिसर्च में कुछ उम्मीदों को जगने वाले नतीजे दिए हैं इसके मुताबिक कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान सस्ती स्टेरॉयड दवाओं से बचाई जा सकती है। इस रिसर्च पर डब्ल्यूएचओ ने भी मुहर लगा दी है। संस्था ने कहा कि स्टेरॉयड दवाएं कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को दी जा सकती है।
यह दवाएं संक्रमण से होने वाली मौत का आंकड़ा 20 फिसदी तक घटा सकती है । हालांकि इसे शुरुआती लक्षणों वाले मरीजों को देने की जरूरत नहीं है।
* क्या कहते रिसर्च के नतीजे
जनरल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में इस नए रिसर्च के नतीजे प्रकाशित हुए हैं। इसमें बताया गया है कि कोरोना से बीमार पड़े 100 मैं से कम से कम 8 लोगों की जान स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बच सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि रिसर्च के नतीजे प्रभावशाली हैं, पर स्टेरॉयड कोरोना वायरस का इलाज कतई नहीं है।
* क्या कहना है डब्ल्यूएचओ का
डब्ल्यूएचओ की क्लीनिककल केयर हेड जेनेट डियाज के मुताबिक स्टेरॉयड दवा के 3 ट्रायल किए हैं ट्रेन में यह बात सामने आई है कि कोरना पीड़ित को यह दवाई देने पर मौत का खतरा कम हुआ है। ट्रायल के दौरान मरीजों को डेक्सामेथासोन हाइड्रोकॉर्टिसोने और मिथाईलप्रेडिसोलोन जैसे स्टेरॉयड ड्रग दिए गए यह मरीज की यूनिटी बढ़ाने के साथ शरीर में सूजन भी काम करते हैं। स्टेरॉयड के क्लीनिकल ट्रायल ब्रिटेन ब्राजील चीन फ्रांस स्पेन और अमेरिका में हुई है।
* कैसे किया गया है रिसर्च
इस नई स्टडी में दुनिया भर में कोरना मरीजों पर हो रहे स्टेरॉयड के इस्तेमाल के क्लीनिकल ट्रायल की जानकारी को शामिल किया गया है। स्टडी बताती है कि कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों में डेक्सामेथासोन और हाइड्रोकॉर्टिसोन नाम के दो स्टेरॉयड प्रभावी साबित हो सकते हैं। लंदन के इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर एंथोनी गार्डन के मुताबिक साल की शुरुआत में स्थिति बेहद हतोत्साहित करने वाली थी। लेकिन अब 6 महीने में हमें भरोसेमंद और हाई क्वालिटी क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे मिल गए जो बताते हैं कि हम इस घातक बीमारी से कैसे निपट सकते हैं।
* रिसर्च में कितने लोगों को शामिल किया गया?
यह स्टडी कोरोना से गंभीर रूप से बीमार 1,703 लोगों पर की गई जिनमें से 40 फिसदी की मौत आम इलाज देने के बाद हुई। 30 फीसदी लोगों की मौत स्टेरॉयड देने के बाद हुई। यह रिसर्च केवल अस्पतालों में गंभीर रूप से बीमार मरीजोंंं पर की गई। इनमें संक्रमित अधिकतर लोगो मैं मामूली लक्षण दिखाई दे रहे थे।
* स्टेरॉयड का काम क्या है ?
आमतौर पर स्टेरॉयड मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और सूजन को शांत करने का काम करते हैं। इसका इस्तेमाल गठिया और अस्थमा जैसी बीमारियों के साथ-साथ गंभीर संक्रमण के मामलों में किया जाता है।
* स्टेरॉयड दवाई कैसे करती है काम?
रिसर्च के मुताबिक कोरोना वायरस के शुरुआती दौर में स्टेरॉयड दवाएं अधिक प्रभावी नहीं होती लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है इसका अधिक असर इम्यूनिटी पर पड़ता है । दरअसल कोरोनावायरस शरीर के इम्यून सिस्टम पर सबसे ज्यादा दबाव डालता है। जिस कारण वह फेफड़ों और शरीर के अन्य और गंज को नुकसान पहुंचा सकता है।
* ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मार्टिन लेंडरे कहते हैं कोरोना किसी संक्रमित व्यक्ति में जब उसी स्थिति मेंंं पहुंच जाए जब मरीज की जान बचानेेे के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूत पड़े , तब आपको समझ जाना चाहिए कि आप इस स्थिति में काटिकोसटेरायड केेेेेे इस्तेमाल के प्रिकॉशन लिख सकते हैं।
* क्या है स्टेरॉयड
स्टेरॉयड एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ होता है जो हमारे शरीर के अंदर ही बनता है। इसके अलावा यह प्राकृतिक रसायन पदार्थ का केमिकल रूप भी होता है, जिसका इस्तेमाल किसी विशेष बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है। इसके अलावा स्टेरॉयड का उपयोग पुरुष में हार्मोन बढ़ाने प्रजनन क्षमता बढ़ाने मेटाबॉलिज्म और इम्यूनिटी को दुरुस्त करने में किया जाता है। मांसपेशियों और हड्डियों में मजबूती बढ़ाने के साथ-साथ दर्द के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।
* स्टेरॉयड के नुकसान?
इस के ज्यादा इस्तेमाल से कार्डिएक अरे स्ट हार्ड अटैक लीवर की समस्या ट्यूमर हड्डियों को नुकसान शरीर का विकास रुकना बांझपन बाल झड़ना लंबाई बढ़ना अवसाद आदि बीमारियां हो सकती है। हालांकि डॉक्टर कई मामलों में स्टेरॉयड का इंजेक्शन देते हैं।
* डेक्सामेथासोन स्टेरॉयड के इस्तेमाल की भी एक्सपर्ट्स ने दी थी सलाह
इसी साल जून में ब्रिटेन में डेक्सामेथासोन नाम के एक स्टेरॉयड के इस्तेमाल को लेकर ट्रायल हुआ था या काफी सफल भी रहा इसके बारे में ब्रिटेन के एक्सपर्ट ने दावा किया था कि डेक्सामेथासोन कोरोना से संक्रमित और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को ठीक कर सकती है। यह दवा काफी सस्ती है और दुनिया भर में आसानी से उपलब्ध भी है। डेक्सामेथासोन पहली ऐसी स्टेरॉयड ड्रग है जिसने संक्रमण से होने वाली मौत को रोकने में मदद की दुनिया भर में इसका प्रयोग कोरोना के मरीजों पर किया जा रहा है।