Breaking
Wed. Feb 5th, 2025

एनटीपीसी ने विस्थापित विकास संघर्ष समिति के बैनर तले तीन सूत्री मांगों को किया खारिज

*एनटीपीसी ने विस्थापित विकास संघर्ष समिति के बैनर तले तीन सूत्री मांगों को किया खारिज*

 

*समिति के संयोजक के द्वारा ऊर्जा सचिव को लिखा पत्र, ऊर्जा सचिव ने कृष्णा साहू को चिट्ठी भेजकर मांगों को किया खारिज*

 

*4.35 लाख से बढ़ा कर एनटीपीसी ने 15 लाख प्रति एकड़ के दर से मुवाबजा भुगतान किया।*

 

*प्लांट बंदी से एनटीपीसी को लगभग 107 करोड़ रुपया का हुआ आर्थिक नुकसान*

 

टंडवा (चतरा):विस्थापित विकास संघर्ष समिति के तीन सूत्री मांग को लेकर संयोजक कृष्णा साहू के द्वारा 28 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय ऊर्जा सचिव को लिखे गए पत्र मे तीन सूत्री मांगों को लेकर दिए गए आवेदन पर एनटीपीसी केंद्रीय कार्यालय ने पूर्ण रूप से खारिज कर दिया है। एनटीपीसी केंद्रीय कार्यालय के अपर महाप्रबंध पंकज ध्यानी ने 22 नवंबर 2021 को विस्थापित विकास संघर्ष समिति के संयोजक कृष्णा साहू को पत्र प्रेषित कर उक्त विषय की जानकारी दी है। संबंधित पत्र की प्रतिलिपि ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार को भी प्रेषित किया गया है। एनटीपीसी केंद्रीय कार्यालय से निर्गत पत्र में भुरैयतों के तीन सूत्री मांगों को उचित नहीं माना है। एनटीपीसी मुख्यालय से निर्गत पत्र के अनुसार एनटीपीसी नॉर्थ करणपुरा पावर प्लांट टंडवा का अधिकांश भूमि का दाखिल खारिज एनटीपीसी के नाम होने के उपरांत भूमि दखल होने, भवन तथा परियोजना निर्माण कार्य किए जाने की बात कही गई है, पत्र में पकरी बरवाडीह कोल परियोजना के लिए झारखंड सरकार के संकल्प संख्या 116/ 27 फरवरी 2013 के माध्यम से नियम प्रकाशित किया गया था जिसे एनटीपीसी नॉर्थ करणपुरा परियोजना द्वारा भी उसी नियम का अनुपालन कर पकरी बरवाडी के समरूप मुआवजा दर तथा एन्युटी के शर्तों को मानते हुए 15 लाख प्रति एकड़ के माध्यम से किसानों को भुगतान दिया जा चुका है। उक्त राशि भुगतान के समय रैयत एवं एनटीपीसी के बीच एक एकरारनामा भी तैयार किया गया था जिस पर रैयत तथा एनटीपीसी के हस्ताक्षर हैं जो कि झारखंड सरकार के नोटरी द्वारा भी प्रमाणित है, जिसमें स्पष्ट रूप से वर्णित है कि रैयत द्वारा भुगतान प्राप्त करने के बाद मुआवजा तथा पुनर्वास एवं पुर्णस्थापना आदि संबंधी सभी दावों पर पूर्ण एवं अंतिम रूप से निपटारा माना जाएगा, तथा इस संबंध में भविष्य में अन्य कोई दावा इत्यादि करने का रैयत हकदार नहीं रहेंगे और ना कोई दावा माना जायेगा। पत्र के अनुसार मुआवजा भुगतान का सारा बाधा उसी वक्त समाप्त हो गई थी जब यह कारनामा तैयार किया गया था।

Related Post